वाराणसी में विवादित ज्ञानवापी ढाँचे (Gyanvapi Mosque Survey) को लेकर सोमवार (16 मई 2022) को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने विवादित ज्ञानवापी ढाँचे परिसर में सर्वेक्षण के दौरान मिले विशाल शिवलिंग और मंदिर के तमाम अवशेषों की जानकारी दी। साथ ही सर्वे के दौरान विवादित ढाँचे के परिसर में मिले शिवलिंग वाली जगह को सील करने और वहाँ की सुरक्षा बढ़ाने को कहा।
हालाँकि, कोर्ट ने रस्तोगी की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई टाल दी है। अब 20 मई (शुक्रवार दोपहर 12 बजे) को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।
Muslim side objects. Justice Padia clarifies that he meant that both the parties will be heard on the next date.
— LawBeat (@LawBeatInd) May 16, 2022
Hearing is adjourned till Friday at 12 pm. #KashiVishwanathTemple #GyanvapiMasjid #GyanvapiEvidence #GyanvapiMosque
रस्तोगी ने बहस के दौरान कोर्ट में कहा कि हिंदू पक्ष कानून के अनुसार अपने भगवान के लिए केस लड़ रहे हैं। वक्फ एक्ट हिंदुओं से जुड़े मामलों में लागू नहीं होता है। रस्तोगी ने कहा, “यहाँ, हम कानून के अनुसार भगवान के लिए लड़ रहे हैं। कोई ढाँचा नहीं गिराया जा रहा है जैसा कि बाबरी मस्जिद मामले में हुआ था। यह मंदिर प्राचीन काल से अब तक अस्तित्व में है। अगर मुगलों ने पूर्व में किसी धार्मिक स्थल से छेड़छाड़ किया है, तो हम कोर्ट में जाने के लिए स्वतंत्र है।” मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि ज्ञानवापी ढाँचे की जगह सतयुग से मंदिर है।
Here, we are fighting the cause of the Lord as per the law. No structure is being taken down as was the case in the Babri Maszid matter: Rastogi#KashiVishwanathTemple #GyanvapiMasjid #GyanvapiEvidence #GyanvapiMosque
— LawBeat (@LawBeatInd) May 16, 2022
विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में बताया कि सन 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन व मोहम्मद जकारिया ने बनारस अधीनस्थ अदालत में घोषणात्मक वाद दायर किया था। उन्होंने अदालत को बताया कि मुस्लिम वक्फ अधिनियम, 1960 हिन्दुओं पर लागू नहीं होता। यह भगवान विश्वेश्वर मंदिर के अंतर्गत आता है। रस्तोगी ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का हवाला देते हुए कहा कि उपासना स्थल की प्रकृति के संबंध में दिए गए निर्णय में सुधार किया जा सकता है।
रस्तोगी ने तर्क दिया, “क्या किसी मंदिर में नमाज पढ़ने से आपका धार्मिक चरित्र बदल सकता है? अगर कोई मुस्लिम मंदिर में नमाज पढ़ता है, तो उसे इस्लाम से बाहर कर दिया जाता है, इसलिए कोई भी मुस्लिम मंदिर में नमाज नहीं पढ़ सकता है।” रस्तोगी ने आगे कहा, “यह संपत्ति देवता के नाम पर है। मुस्लिमों का इससे कोई संबंध नहीं है।”
गौरतलब है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी विवादित (Gyanvapi Mosque Survey) ढाँचे का तीन दिनों तक चले सर्वे का काम समाप्त हो गया है। सर्वे के तीसरे दिन हिन्दू पक्ष की तरफ से सोमवार (16 मई, 2022) को करीब 12 फीट 8 इंच लंबा शिवलिंग नंदी के सामने विवादित ढाँचे के वजूखाने में मिलने का दावा किया गया है। जिसके बाद वाराणसी सिविल कोर्ट के जज रवि कुमार दिवाकर ने शिवलिंग की जगह को सील करते हुए उसे सीआरपीएफ के हवाले कर दिया है। वहीं वजू पर भी पाबन्दी लगा दी है।