Sunday, November 17, 2024
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बूढ़ी माँ को इंसाफ़: हाईकोर्ट का अनोखा फ़ैसला – हर बेटे के लिए यह ख़बर ज़रूरी

हरबंस कौर के पास कोई वकील नहीं था। ऐसे में एडवोकेट जनरल ने उनकी सहायता के लिए किसी न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की गुज़ारिश की। नंदा की इस सलाह पर अदालत ने उन्हें ही इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया।

माता-पिता अपनी संतान के सुख के लिए अपना सर्वस्व जीवन उन पर क़ुर्बान कर देते हैं। अपने फ़र्ज़ को निभाते-निभाते वो कब उम्र के आख़िरी पड़ाव तक पहुँच जाते हैं पता ही नहीं चलता। उम्र के इसी पड़ाव में उन्हें अपनी संतान की सख़्त ज़रूरत होती है। क्या हो अगर बुढ़ापे की यही लाठी उनपर क़हर बनकर बरसने लगे। ऐसा ही एक मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की चौखट तक जा पहुँचा जहाँ 85 वर्ष की एक बूढ़ी माँ ने न्याय की गुहार लगाई।

दरअसल, 85 वर्षीय हरबंस कौर का उनके बेटे जगमोहन सिंह के साथ पिछले एक साल से घर में रहने को लेकर विवाद चल रहा था। बूढ़ी माँ ने अपने बेटे के बुरे व्यवहार के चलते उसके ख़िलाफ़ अमृतसर ज़िला मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 जुलाई, 2017 को अदालत ने मेंटेनेंस एंड वेल्फेयर आफ़ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट, 2007 के प्रावधानों के तहत जगमोहन सिंह को माँ का मकान खाली करने का आदेश दिया था।

अपनी याचिका में बूढ़ी माँ ने अदालत को इस सत्य से अवगत कराया था कि उनके बेटे का परिवार घर में ज़बरदस्ती रह रहा है और वो उनकी किसी भी तरह से कोई देखभाल नहीं करता। बूढ़ी माँ ने अदालत को अपने बेटे द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार के बारे में भी बताया। अपनी बूढ़ी माँ के ख़िलाफ़ जगमोहन सिंह ने अमृतसर ज़िला मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देने के लिए अपील दायर की। माँ हरबंस कौर बेटे जगमोहन सिंह की अपील पर सुनवाई के लिए हाईकोर्ट तक जा पहुँची। इस पर हाईकोर्ट ने 2018 में जगमोहन सिंह को मकान में तीन कमरों का कब्जा हरबंस कौर को देने के आदेश दिए थे, लेकिन इस फ़ैसले के बाद भी माँ और बेटे के बीच विवाद नहीं थमा।

इसके बाद चीफ़ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने एक बार फिर इस मामले की सुनवाई अपने चैंबर में की। क़रीब 1 घंटे तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने जगमोहन सिंह को आदेश देते हुए कहा कि अगले आदेश तक वो हरबंस कौर के मकान में केवल एक कमरे में रह सकता है और इसके लिए 1500 रुपए बतौर किराया भी देना होगा। किराया देना इसलिए ज़रूरी किया गया क्योंकि हरबंस कौर ने अदालत को बताया था कि उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, इसलिए अदालत ने उनके हक़ में आदेश जारी किया।

बता दें कि हरबंस कौर के पास कोई वकील नहीं था, ऐसी परिस्थिति में पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने उनकी सहायता के लिए अदालत के समक्ष किसी न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति की जाने की गुज़ारिश की। नंदा की इस सलाह पर अदालत ने उन्हें ही इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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