अपडेट: बिहार के डीजीपी की जॉंच के बाद हम सूचनाओं को अपडेट कर रहे हैं। पीड़ित पिता इस दौरान कई बार अपने बयान से मुकरे हैं। लिहाजा उनकी ओर से किए गए सांप्रदायिक दावों को हम हटा रहे हैं। हमारा मकसद किसी संप्रदाय की भावनाओं का आहत करना नहीं था। केवल पीड़ित पक्ष की बातें सामने रखना था। इस क्रम में किसी की भावनाओं को ठेस पहुॅंची हो तो हमे खेद है।
बिहार के गोपालगंज के कटेया थाना क्षेत्र स्थित बेलाडीह गाँव (बेलहीडीह, पंचायत: बेलही खास) निवासी राजेश जायसवाल ने अपनी पीड़ा से ऑपइंडिया को अवगत कराया था। वायरल हुए वीडियो के आधार पर स्थानीय थानाध्यक्ष अश्विनी तिवारी पर राजेश और उनकी पत्नी के साथ कथित तौर पर अभद्रता करने के आरोप लग रहे हैं। उनके बेटे रोहित की 29 मार्च 2020 को लाश मिली थी। राजेश ने ऑपइंडिया से बात करते हुए आरोप लगाया था कि उनके बेटे की हत्या की गई है।
ऑपइंडिया की ख़बर के बाद कुछ लोगों ने आरोप लगाया था कि स्थानीय दुश्मनी के कारण थानाध्यक्ष को हटाने के लिए यह पूरा खेल रचा गया है। हमने जब मृतक रोहित के पिता राजेश से इस बाबत पूछा तो उन्होंने कहा, “मेरी दारोगा से कोई दुश्मनी थोड़े थी। मैं एक गरीब आदमी हूँ, पकौड़े बेचता था। मुझे क्या शौक है कि मैं उन लोगों से दुश्मनी मोल लूँ। मैंने तो इस मामले से पहले कभी थाने का मुँह तक नहीं देखा था। मुझे तो अपने बेटे के लिए न्याय चाहिए।”
राजेश ने आगे कहा, “थानाध्यक्ष ने मुझे गाली दी, मेरी पत्नी को गाली दी और मारपीट की। ऐसा व्यवहार किया जाता है क्या? उन्होंने अपनी पैंट खोल कर अश्लील इशारे किए।”
इससे पहले उन्होंने बताया था कि कुछ बच्चे उनके बेटे रोहित को क्रिकेट खेलने के बहाने बुला कर ले गए थे और बाद में उसकी लाश मिली। एफआईआर के मुताबिक, सभी वयस्क आरोपितों के नाम इस प्रकार हैं- मेराज अंसारी, निजाम अंसारी और बशीर अंसारी। बाकी आरोपित 18 साल से कम आयु के हैं।
राजेश फिलहाल गाँव छोड़ कर उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं। थानाध्यक्ष ने ऑपइंडिया को बताया था कि आरोपितों में से 4 को त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर जेल (तीन को जेल, एक को बाल सुधार गृह) भेज दिया गया है।
राजेश पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को खारिज कर देते हैं। उनका कहना है कि उनके बेटे की हत्या को एक्सीडेंट कह कर आरोपितों को बचाया जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि गाँव से उक्त नदी 4 किलोमीटर दूर है, जहाँ से लाश मिली। उन्होंने कहा कि पास की झाड़ी से ही रोहित के कपड़े भी मिले। फिर उन्होंने पूछा, “अगर ये एक्सीडेंट होता तो फिर उसकी लाश पानी में उतने गहरे कैसे मिलती? स्पष्ट है कि उसके ऊपर पत्थर डाला गया ताकि लाश ऊपर न आए। कोई इतनी दूर नहाने क्यों जाएगा? जिस जगह पर लाश मिली है, वहाँ कोई नहाने वैसे भी नहीं जाता।”
ऑपइंडिया ने इस मामले में पुलिस से बातचीत की लेकिन वरीय अधिकारियों का बस इतना ही कहना है कि जाँच के बाद कार्रवाई की जा चुकी है।
इस घटना और राजेश के आरोपों को लेकर हमने बेलाडीह के कुछ ग्रामीणों से भी बातचीत की। उन्होंने बताया कि थाना प्रभारी अश्विनी तिवारी ने 22 दिनों तक मृतक रोहित की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दबा कर रखी।