सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी चर्चा में है, जिसमें देखा जा सकता है कि हिन्दूवादी संगठन ‘हिन्दू जागरण मंच’ के कार्यकर्ता ताजमहल परिसर में भगवा झंडा फहरा रहे हैं। इस घटना के बाद सीआइएसएफ़ के सुरक्षाकर्मियों ने कार्यकर्ताओं से लंबी पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया।
रविवार (25 अक्टूबर 2020) की दोपहर 12 बजे के आस-पास हिन्दू जागरण मंच युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष गौरव ठाकुर और उनके दो साथी विशेष और मनवेंद्र सिंह पूर्व में स्थित दरवाज़े से टिकट लेकर ताजमहल परिसर में दाखिल हुए। उन्होंने दावा किया कि उनके पास एक बोतल थी, जिसमें गंगा जल रखा हुआ था। इसके अलावा जेब में भगवा झंडा रखा हुआ था। इसके अलावा इन लोगों के पास एक सेल्फी स्टिक भी मौजूद थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह जैसे ही ताजमहल परिसर में दाखिल हुए, उन्होंने वहाँ पर गंगा जल का छिड़काव किया और भगवा झंडा फहराया। ख़बरों में यहाँ तक जानकारी दी गई है कि शिव चालीसा का पाठ भी किया गया है। इसके बाद सीआइएसएफ़ के जवान तुरंत मौके पर पहुँचे और वह सभी को अपने साथ लेकर गए।
फिर हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की निजी जानकारी (नाम, पता और अन्य जानकारी) ली गई और उन्हें बताया गया कि ताजमहल परिसर में इस प्रकार की गतिविधियों पर पाबंदी है। हिन्दुस्तान में प्रकाशित ख़बर के अनुसार गौरव ठाकुर ने इस बात पर कहा कि यहाँ नमाज़ तो पढ़ी जाती है। इसके बाद गौरव ने कहा कि वह ‘तेजोमहालय’ में पूजा करने आया था। तीनों को लंबी पूछताछ के बाद वहाँ से छोड़ दिया गया।
गौरव ठाकुर ने बीते 5 सालों में लगभग 5 बार शिव की आराधना की और भगवा झंडा फहराया। इस मुद्दे पर गौरव ठाकुर का कहना है, “दुनिया का यह अजूबा कोई मकबरा नहीं बल्कि प्राचीन शिव मंदिर है। इस जगह पर मैं पहले भी शिव की आराधना कर चुका हूँ, आगे भी करता रहूँगा। असल मायनों में यह हिन्दू आस्था का केंद्र होना चाहिए, इस बात की जाँच होनी चाहिए कि ताजमहल की वास्तविकता क्या है। लोगों को सत्य जानने का पूरा अधिकार है।”
यह पहला ऐसा मौक़ा नहीं जब ताज महल में पूजा कराने का प्रयास किया गया है। साल 2008 में शिवसेना के कार्यकर्ताओं का एक समूह ताजमहल में दाखिल हुआ और उन्होंने हाथ जोड़ कर ‘परिक्रमा’ शुरू कर दी। उन्हें बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। साल 2018 में हिन्दुवादी संगठन की कुछ महिलाओं ने ताज महल के भीतर प्रवेश के बाद पूजा शुरू कर दी थी। उनका कहना था कि यह सबसे पहले एक शिव मंदिर था।