गुजरात के भावनगर में हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों द्वारा अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करने की माँग की जा रही है। इसे लेकर सोमवार (20 मार्च 2023) को कलेक्टर कार्यलय तक एक रैली का भी आयोजन किया गया। हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से हिंदू बहुल इलाकों में अधिक मूल्य देकर संपत्ति खरीद कर इलाके को अशांत करने की साजिश रची जा रही है।
रिपोर्टों के मुताबिक लंबे समय से भावनगर के तिलक नगर, कृष्णा नगर के बोर्डी गेट समेत कई हिंदू बहुल इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोग बाजार कीमतों से अधिक अदा कर प्रॉपर्टी और मकान खरीद रहे हैं। स्थानीय लोगों को डेमोग्राफी बदलने और इलाके में अशांति फैलने का डर सता रहा है। यही वजह है कि लोग अशांत क्षेत्र कानून लागू करने की माँग कर रहे हैं।
इसी माँग को लेकर सोमवार को स्थानीय लोगों के साथ विश्व हिन्दू परिषद और दूसरे हिंदू संगठन के लोगों ने रैली निकलाली। भारी संख्या में जमा हुए लोगों ने भीड़भंजन महादेव मंदिर से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक मार्च किया और आवेदन सौंपा। इतना ही नहीं लोगों ने कलेक्टर ऑफिस परिसर में रामधुन का जाप कर अपना विरोध भी जताया। लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन संपत्ति खरीदने व बेचने वाले पर नजर रखे, अन्यथा दूसरे मजहब के लोगों को संपत्ति बेचने वालों के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा।
बता दें यह पहली बार नहीं है जब हिंदू संगठनों द्वारा अशांत अधिनियम की माँग की जा रही है। इससे पहले भी 05 जनवरी 2023 को हिंदू संगठनों ने एक विशाल रैली निकाली थी। शहर के जशुनाथ सर्किल से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक निकाली गई रैली में बच्चों और महिलाओं समेत 5000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था।
क्या है अशांत क्षेत्र अधिनियम ?
जिला प्रशासन, सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखने के लिए उन क्षेत्रों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर सकता है जो जनसांख्यिकी परिवर्तन के लिहाज से अतिसंवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। विक्रेता को आवेदन में यह उल्लेख करना होता है कि वह अपनी मर्जी से संपत्ति बेच रहा है। अचल संपत्ति का हस्तांतरण केवल कलेक्टर द्वारा संपत्ति को खरीदने वाले और बेचने वाले द्वारा किए गए आवेदन पर हस्ताक्षर करने के बाद ही हो सकता है।
संपत्ति खरीब-बिक्री के किसी भी आवेदन के बाद कलेक्टर को औपचारिक जाँच करनी होती है। अधिकारियों को मौके पर खुद जाकर सार्वजनिक तौर पर जानकारियाँ इकट्ठी करनी होती है। प्रभावित लोगों से लिखित में भी स्वीकृति भी लेनी होती है। इस अधिनियम के तहत वे लोग भी शामिल हैं जो उस संपत्ति के आसपास रहते हैं। सभी प्रक्रियाओं का पालन होने और उससे संतुष्ट होने के बाद ही कलेक्टर संपत्ति के हस्तांतरण की मँजूरी दे सकते हैं।
(नोट- मूल रूप से यह रिपोर्ट ऑपइंडिया गुजराती में प्रकाशित की गई है। पूरी रिपोर्ट आप यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते हैं)