पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल खिर्दीपुर में अक्टूबर में हुई हिंदू विरोधी हिंसा के बाद वहाँ हालात अब भी ठीक नहीं हुए हैं। NIA हिंसा की जाँच कर रही है जबकि शांति बनी रहे इसके लिए इलाके में 9 अक्टूबर से ही रैपिड एक्शन फोर्स को तैनात किया गया है। हालात ऐसे हैं कि कट्टरपंथियों के डर से जिन हिंदुओं ने घर छोड़ा था वो अब तक लौटकर नहीं आए हैं।
दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वह घटना के एक महीने बाद प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति देखने के गए थे। वहाँ उन्हें पता चला कि इलाके में फोटो लेना बिलकुल बना है। ऐसे में उन्होंने कुछ स्थानीयों से बात की और पाया कि 8-9 अक्टूबर को हिंसा हुई उसमें ज्यादा शिकार हिंदू थे जिनके न घर छोड़े गए, न वाहन… सबमें आग लगा दी गई।
एक रवि कुमार और शंभू कुमार ने पत्रकारों को बताया कि वो लोग वार्ड नंबर 13 में रहते हैं। जहाँ उनके जानने वाले 4-5 हिंदू परिवार अब तक घर नहीं लौटे हैं। 9 अक्टूबर को कोजागरी लक्ष्मी पूजा थी। तभी, हिंदुओं के घरों पर अचानक हमला किया गया। वो लोग कौन थे, ये किसी को नहीं पता चला। बस ये पता था कि वो दूसरे समुदाय के थे।
स्थानीयों ने बताया कि हिंसा के दौरान बिजली चली गई थी। न पुलिस आ रही थी और न बिजली। लोग गाड़ी तोड़ रहे थे। गोले फेंके जा रहे थे। बम की आवाज आ रही थी। हालत ऐसी थी कि डर से घर छोड़ गए और अब तक नहीं लौटे। जिनके घर जले उन्होंने दिवाली तक नहीं मनाई। फिलहाल इलाके में पुलिस तैनात है। कैंप लगे हैं। कुछ जवान यूनिफॉर्म में घूमते हैं कुछ सादे कपड़ो में।
नेशनल बॉक्सर मेहराजुद्दीन अहमद ने कहा कि एक भाजपा नेता ने नबी का फ्लैग खींचा था जिससे हिंसा भड़की। वहीं भाजपा का कहना है कि वो जब हिंसा के बाद इलाके में जाना चाहते थे तो उन्हें रोका गया। पुलिस बताती है कि पहले मयूरभंज और भूकैलाश रोड पर हिंसा हुई फिर इकबाल पुर स्टेशन को घेरा गया। मामले की जाँच में उन्हें कई बम और हथियार मिले। सरकार ने एसआईटी बनाई। 63 लोग गिरफ्तार हुए।
उल्लेखनीय है कि बंगाल में अक्टूबर में हुई हिंदू विरोधी हिंसा कोई नई बात नहीं थी। साल 2021 में चुनाव के दौरान भी हिंदुओं पर जानबूझकर टारगेट बनाया गया था। भाजपा को वोट देने वालों के साथ जहाँ मारपीट हुई थी, वहीं औरतों के साथ रेप की घटनाएँ घटी थी। भाजपा कार्यकर्ताओं को तो जगह-जगह मारा गया था।