एक विशेष POCSO (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) अदालत ने फैसला दिया है कि किसी नाबालिग का हाथ पकड़ के प्यार का इजहार करना यौन शोषण के अंतर्गत नहीं आता है। साथ ही अदालत ने 28 वर्षीय आरोपित को भी बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि ये ‘यौन प्रताड़ना’ के अंतर्गत नहीं आता है। आरोपित ने 2017 में एक 17 साल की लड़की का हाथ पकड़ के प्यार का इजहार किया था।
विशेष POCSO अदालत ने कहा कि ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं, जिससे पता चलता हो कि आरोपित की कोई गलत मंशा थी। अदालत ने पाया कि इस मामले में यौन अपराध की कोई मंशा नहीं थी, इसीलिए ये यौन अपराध नहीं है। आरोपित ने न तो पीड़िता का पीछा किया था और न ही उसे किसी सुनसान इलाके में ले जाने की कोशिश की थी। साथ ही आपराधिक बल का इस्तेमाल भी नहीं किया था।
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— Punjab Kesari (@PunjabKesariCom) August 1, 2021
विशेष POCSO अदालत ने कहा कि आरोपित ने ऐसा कुछ भी नहीं किया था, जिससे 17 वर्षीय नाबालिग के सम्मान को ठेस पहुँचे। अदालत ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन पक्ष ये साबित करने में नाकाम रहा कि आरोपित ने वो अपराध किए हैं जैसा उनके द्वारा कहा जा रहा है। अदालत ने आरोपित को ‘संदेह का लाभ’ देते हुए बरी कर दिया। बता दें कि 2012 में बने इस कानून में 2018 में बदलाव किए गए थे और बच्चों के यौन शोषण के मामले में सख्त सज़ा व विशेष अदालत का प्रावधान किया गया था।
कुछ ही दिनों पहले जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के एक फैसले को लेकर विवाद हुआ था। अदालत ने कहा था कि अदालत ने कहा कि बगैर पेनिट्रेशन के आरोपित द्वारा अपने और पीड़िता के कपड़े उतारने को बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता। आरोपित फैयाज अहमद डार पर अपनी ही नाबालिग भतीजी से रेप की कोशिश के आरोप थे। नाबालिग पीड़िता के मुताबिक, आरोपित ने टेप से उसका मुँह बंद कर दिया था और उसने उसकी और अपनी पैंट उतार दी थी।