केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस साल चार ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। बता दें कि किसी भी संगठन के लिए विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से एफसीआरए मँजूरी होना अनिवार्य है।
The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार, जिन चार ईसाई समूहों का FCRA सस्पेंड किया गया है, उनमें झारखंड का Ecreosoculis North Western Gossner Evangelical, मणिपुर का Evangelical Churches Association (ECA), झारखंड का Northern Evangelical Lutheran Church और मुंबई स्थित New Life Fellowship Association (NLFA) शामिल हैं। इसके अलावा दो अमेरिकी दानदाता Seventh Day Adventist Church और Baptist Church भी मंत्रालय के शक के घेरे में हैं। ये दोनों यूएस बेस्ड हैं।
न्यूजीलैंड में न्यू लाइफ चर्चों के मिशनरियों के आगमन के बाद 1964 में न्यू लाइफ फैलोशिप एसोसिएशन भारत में अस्तित्व में आया। सरकार ने 10 फरवरी, 2020 को इसका लाइसेंस निलंबित कर दिया था। इससे पहले, बजरंग दल ने अप्रैल और सितंबर 2019 में एसोसिएशन द्वारा ‘प्रार्थना सभाओं’ में खलल डाली थी और लोगों का धर्मांतरण करने के लिए प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज की थी।
इसी प्रकार, Evangelical Churches Association की उत्पत्ति वेल्श प्रेस्बिटेरियन मिशनरी से हुई, जो 1910 में भारत आया था। यह 1952 में एक पूर्ण एसोसिएशन बन गया। इसे मणिपुर से संचालित किया जाने लगा। द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि Ecreosoculis North-Western Gossner Evangelical, जिसका FCRA लाइसेंस हाल ही में निलंबित कर दिया गया है, को छोटानागपुर, जर्मनी के गॉसनर मिशन से ट्रेस किया जा सकता है। चौथा एसोसिएशन, Northern Evangelical Lutheran Church 1987 में भारत में स्थापित किया गया था और इससे 99 देशों के लगभग 7.7 करोड़ ईसाई जुड़े हुए हैं।
इन चार ईसाई एसोसिएशनों के अलावा सरकार ने दो अन्य संगठनों के भी FCRA लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। इन संगठनों के नाम राजनांदगाँव लेप्रोसी हॉस्पिटल एंड क्लीनिक और डॉन बॉस्को ट्राइबल डेवलपमेंट सोसायटी हैं। गृह मंत्रालय ने अब तक 20,674 लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। फिलहाल 22,457 गैर-सरकारी संगठनों के पास FCRA लाइसेंस हैं और लगभग 6,702 संगठनों के लाइसेंस की समय सीमा समाप्त हो गई है। मोदी सरकार के पहले पाँच वर्षों में, 14,800 से अधिक गैर सरकारी संगठनों को FCRA नियमों के उल्लंघन के लिए अपंजीकृत किया गया था।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल रिपोर्टों में बताया गया कि दक्षिण भारत के कई पेंटेकोस्टल ने आर्थिक सहायता के कारण अपने धार्मिक अभियानों को रोक दिया है। पादरी को अब ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार के काम के लिए वेतन नहीं मिल रहा। वो अब बैंक का लोन चुकाने में भी असमर्थ हैं, जो कि उन्होंने अपने घर और वाहन खरीदने के लिए बैंक से लिए थे। सिर्फ केरल की ही बात करें, तो वहाँ पर 100 से अधिक पेंटेकोस्टल मिशन सार्वजनिक स्थानों और सड़क के किनारे प्रचार करते हैं।
पेंटेकोस्टल मिशन मुख्य रूप से विदेशी फंडों पर निर्भर हैं। कड़े विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के मानदंडों सहित मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों से इन विदेशी फंडों में भारी कमी आई है। 2014 तक केरल को प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि प्राप्त हुई, जो केंद्र सरकार द्वारा धन के विवरण और स्रोत की माँग के बाद अचानक बंद हो गई। ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट के मुताबिक FCRA क्रैकडाउन के परिणामस्वरूप धन के विदेशी प्रवाह में अचानक 40% की अचानक गिरावट आई है।