Friday, November 22, 2024
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ज्ञानवापी शिवलिंग ‘काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद’ को सौंपने की माँग, बोले परिषद के अध्यक्ष – अब ये वजूखाना कैसे हो सकता है?

ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के अंदर वजूखाना (नमाज से पहले पैर हाथ धोने की जगह) को प्रशासन ने सील कर दिया है। प्रशासन ने यहाँ लोहे की चादरें और जाली लगाकर वजू खाने को बंद कर दिया है।

ज्ञानवापी विवाद के बीच ‘काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद’ के अध्यक्ष नागेंद्र पांडे ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने बुधवार (18 मई, 2022) को कहा, “बाबा विश्वेश्वर की मूर्ति मिल गई है तो ये वजूखाना कैसे हो सकता है, अब ऐसा नहीं हो सकता। हमारी माँग है कि जब तक फैसला नहीं आ जाता, तब तक शिवलिंग काशी विश्वनाथ न्यास को सौंप दिया जाए।”

ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के अंदर वजूखाना (नमाज से पहले पैर हाथ धोने की जगह) को प्रशासन ने सील कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रशासन ने यहाँ लोहे की चादरें और जाली लगाकर वजू खाने को बंद कर दिया है। अब किसी को भी इस जगह पर जाने की इजाजत नहीं है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है वजूखाने की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंपी गई है। सीआरपीएफ के दो जवान सील की गई इस जगह पर दिन-रात तैनात रहेंगे।

बीते दिनों वाराणसी में विवादित ज्ञानवापी ढाँचे का सर्वे पूरा होने के बाद हिन्दू पक्ष ने यहाँ शिवलिंग मिलने का दावा किया था। यह शिवलिंग कुएँ में मिला था। इस दौरान 16 मई 2022 (सोमवार) दीवारों पर हिन्दू मंदिर के अवशेष दिखाई देने का भी दावा किया गया था। इसके बाद से इस जगह को सील कर दिया गया है। अगले दिन यानी मंगलवार (17 मई, 2022) को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों (हिंदू और मुस्लिम) के बीच जोरदार बहस ​हुई।

इसमें सबसे पहले वादी (हिंदू) पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए कहा था, “जहाँ शिवलिंग मिला है, वहाँ भीषण बदबू है और वजू किया गंदा जल बह रहा है। उसके नीचे का हिस्सा दीवारों में चुना गया है। इस स्थल पर बांस-बल्ली व मलबा-पत्थर है।” उन्होंने उसे हटाकर तहखाने की दीवार तोड़कर उस स्थान की भी कमीशन कार्यवाही कराने पर बल दिया। वादी पक्ष का तर्क था कि इससे हकीकत का पता चल जाएगा कि शिवलिंग की गहराई कितनी है। यह स्थान नंदी जी के मुख के ठीक सामने है और वही गर्भगृह बताया गया।

दूसरी ओर प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से सर्वे रिपोर्ट आने से पहले ही शिवलिंग पाए जाने की बात पर बिना आपत्ति जताए उसे सील किए जाने पर हैरानी जताई है। प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि पहले रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत हो और उससे सभी अवगत हों। इसके बाद हम अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। साथ ही प्रतिवादी पक्ष ने मीडिया में बयानबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो न पक्षकारों का वकील है, न सर्वे टीम का सदस्य है। वह भी इस मामले में अनापशनाप बयान दे रहा है।

गौरतलब है कि जी न्यूज़ के एक शो में बोलते हुए एडवोकेट विष्णु जैन ने कहा था, “मैंने कोई गोपनीयता भंग नहीं की है। मैं वही सब बता रहा हूँ जो प्रकाशित हो चुका है। तथाकथित ज्ञानवापी मस्जिद की जो भी पश्चिमी दीवार को देख लेगा वो इसे हिन्दू मंदिर ही कहेगा। उसमें देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखने के लिए स्थान बना हुआ है। इसी के साथ घंटियाँ बनी हुई हैं। इस मामले में कुल 7 केस दाखिल हुए हैं। उन केसों में भक्त, भगवान, स्थान और मालिकाना हक सब शामिल है। आने वाले समय में सभी दावे एक साथ जोड़ दिए जाएँगे।”

एडवोकेट विष्णु जैन ने आगे कहा था, “1996 में भी सर्वे हुआ था ज्ञानवापी का। अब दोबारा हुआ है। अगर दोनों स्थितियों में कोई फर्क मिला तो प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट विपक्षी पर लागू होगा। प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट हमारे अदालत जाने का अधिकार छीन लेता है। यह एक्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्णित हर किसी के अदालत जाने के अधिकारों का उललंघन है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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