Monday, November 25, 2024
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‘वो जहाँ भी है चैन से नहीं बैठ सकता, ये फैसला है मेरे अल्लाह का’: महाराष्ट्र में दिए बयान को लेकर उत्तराखंड में उपद्रव, महंत रामगिरी को घोषित किया गुस्ताख़-ए-रसूल

इस प्रदर्शन का आयोजन मुस्लिम सेवा संगठन, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द और इमाम-ए-रिसालात जैसे संगठनों ने किया था।

अपने पैगंबर की शान में गुस्ताखी का आरोप लगा कर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोगों ने एकजुट हो कर प्रदर्शन किया है। रविवार (25 अगस्त, 2024) को हुए इस जमावड़े में राज्य के तमाम जिलों से मुस्लिमों ने आ कर शिरकत की। इस दौरान नारेबाजी की गई और ईशनिंदा के खिलाफ कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को 3 माह का अल्टीमेटम दिया गया। इस प्रदर्शन में आए लोगों ने महाराष्ट्र के संत रामगिरि महराज को गुस्ताख़ ए रसूल बताते हुए जेल भेजने की माँग की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार को देहरादून के परेड ग्राउंड में मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोगों का जमावड़ा शुरू हुआ। वो सब एकजुट हो कर प्रदर्शन करने लगे। इस प्रदर्शन का आयोजन मुस्लिम सेवा संगठन, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द और इमाम-ए-रिसालात जैसे संगठनों ने किया था। जमावड़े का नाम शान ए रिसालत रखा गया था। नारेबाजी के लिए बाक़ायदा मंच लगाया था था जिस पर शहर क़ाज़ी सहित उत्तराखंड के कई मौलाना व मुफ़्ती मौजूद थे।

इसी सभा में एक मंचासीन मुस्लिम ने कहा, “जो नबी की शान में गुस्ताखी करने वाले हैं उनका एक ही ठिकाना जहन्नुम है।” इसी व्यक्ति ने रामगिरि महाराज नाम का लेते हुए आगे कहा, “वो महाराष्ट्र में, जहाँ भी है वो चैन से नहीं बैठ सकता, ये फैसला है मेरे अल्लाह का। उसके साथ में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ये देख लो भाई।”

पूरे प्रदर्शन के दौरान सबसे खास बात ये रही कि तमाम बुनियादी मतभेदों के बाद मंच पर देवबंदी और बरेलवी फिरके के उलेमा एक साथ मौजूद थे। भीड़ ने नारेबाजी करते हुए संत रामगिरि को तत्काल जेल भेजने की माँग उठाई। सम्मेलन के दौरान उलेमाओं ने मोदी सरकार से कहा कि वो ईशनिंदा के खिलाफ 3 महीने के अंदर कानून लाएँ। समय सीमा के अंदर कानून न आने पर पूरे जमावड़े के साथ दिल्ली कुछ करने का एलान भी किया गया। मंचासीन लोगों ने आरोप लगाया कि बार-बार इस्लाम पर टिप्पणी अमन चैन खराब करने की साजिश है।

परेड ग्राउंड पर जमा भीड़ रैली की शक्ल में जिलाधिकारी देहरादून के ऑफिस तक जाना चाहती थी। हालाँकि, पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को रैली निकालने से रोक दिया। आखिरकार परेड ग्राउंड में ही जिले के सीनियर प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया। इस पूरे जमावड़े की ड्रोन से निगरानी करवाई गई। कई थानों की फोर्स को एहतियातन तैनात किया गया था। बताते चलें कि महाराष्ट्र के संत रामगिरि की एक टिप्पणी को रसूल की शान में ग़ुस्ताख़ी बता कर देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय प्रदर्शन कर रहा है। कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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