IT विभाग ने केरल स्थित ‘बिलीवर्स ईस्टर्न चर्च’ और इसके मुखिया इसाई मत के प्रचारक केपी योहानन के घर और ऑफिस में छापेमारी की। हाल ही में इस चर्च पर आरोप लगा कि वह चैरिटी फंड (दान निधि) का इस्तेमाल धार्मिक और निजी कार्यों के लिए कर रहा है, जिसके बाद स्थानीय लोगों से मिले इनपुट के आधार पर यह छापेमारी की कार्रवाई की गई। इसाई प्रचारक केपी योहानन पर आरोप है कि उसने गरीबों के नाम पर विदेश से धन इकट्ठा किया और उसका इस्तेमाल रियल एस्टेट क्षेत्र में और अपने निजी इन्वेस्टमेंट में किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ आयकर विभाग के सूत्रों ने इस मुद्दे पर कई अहम जानकारी दी। अधिकारियों ने योहानन के घर पर खड़ी एक गाड़ी से 57 लाख रुपए और कुछ फोन भी जब्त किए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, छापेमारी का अभियान गुरुवार (5 नवंबर 2020) को शुरू हुआ था और यह अभी तक केरल समेत देश के अन्य क्षेत्रों में जारी है। अभी तक अनेक परिसरों से लगभग 8 करोड़ रुपए बरामद किए जा चुके हैं। फ़िलहाल छापेमारी का यह अभियान जारी है। गौरतलब है कि 2012 में भी राज्य सरकार ने केपी योहनन के खिलाफ जाँच का आदेश दिया था।
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार, ‘बीलीवर्स ईस्टर्न चर्च’ देशभर में कई पूजास्थलों, विद्यालयों, कॉलेजों तथा केरल में एक मेडिकल कॉलेज और एक अस्पताल का संचालन करता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, चर्च को गरीबों और निराश्रितों की मदद के लिये विदेश से दान प्राप्त हुआ है, लेकिन वास्तव में इस तरह के टैक्स फ्री फंड का अचल संपत्ति लेनदेन में व्यक्तिगत और अन्य अवैध खर्चों के लिये बेहिसाब नकद लेनदेन में इस्तेमाल किया गया था।
इसके अलावा, केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पहले ही केरल के बिलीवर्स ईस्टर्न चर्च का एफ़सीआरए (Foreign Contribution Regulation Act) एमाउंट रद्द कर दिया था। यह कार्रवाई तब की गई जब यह पता चला कि विदेशों से मिलने वाले आर्थिक सहयोग (फंड्स) की वजह चैरिटी (दान) होती है, लेकिन यहाँ उसका इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के लिए होता है।
‘चर्च को विदेश से मिलने वाला चंदा समुचित माध्यमों से मिला था लेकिन उन्होंने इसका धार्मिक उपयोग में किया। एफ़सीआरए रद्द होने के बावजूद चर्च का प्रयास रहता था कि अन्य ट्रस्ट की मदद से फंड्स मिल जाएँ।
आयकर विभाग चर्च द्वारा किए गए पिछले 10 साल के लेन-देन की जानकारी एकत्रित कर रहा है। चर्च को पिछले कुछ सालों में लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपए का आर्थिक सहयोग मिला जिसमें से ज़्यादातर राशि धार्मिक संस्थाओं के निर्माण और रियल स्टेट कारोबार में खर्च हो गया।
प्रथम दृष्टया ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि चर्च ने लगभग 1 हज़ार करोड़ रुपए रियल स्टेट में खर्च किए है। चैरिटी (दान निधि) के लिए दिए गए आर्थिक सहयोग का इस्तेमाल चर्च चलाने के लिए हुआ है जो कि धार्मिक कार्य है। क्योंकि छापेमारी का अभियान जारी है इसलिए दिशानिर्देशों के उल्लंघन की सीमा के बारे में फ़िलहाल कोई दावा नहीं किया जा सकता है।