ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म पर पढ़ाई के साथ राजनीति की चर्चा में एक नया नाम जुड़ गया है। Unacademy के करण सांगवान के बाद फिलहाल अब इस विवाद में बबिता मैडम (Babita Madam Video) का नाम सामने आया है। बबिता मैडम ICS कोचिंग में कार्यरत हैं। बबिता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वो छात्रों से पढ़े-लिखे लोगों को ही वोट देने की अपील कर रहीं हैं। साथ ही वो सभी पार्टियों को एक जैसा बताते हुए बच्चों से तमाम लोगों पर जाति और धर्म के नाम पर वोट देने का आरोप लगा रहीं हैं।
बबिता मैडम ICS कोचिंग में पढ़ाती हैं। यह कोचिंग हरियाणा के सोनीपत में है। अपने इस वीडियो को बबिता ने अपनी फेसबुक प्रोफ़ाइल पर गुरुवार (17 अगस्त, 2023) को शेयर किया है। उन्होंने कहा, “पढ़े-लिखे लोगों को राजनीति में आने की बहुत ज्यादा जरूरत हैं इण्डिया में।” क्लास में राजनैतिक पार्टियों के खिलाफ बयानबाजी करते हुए बबिता ने आगे कहा, “2004 से 2014 तक कॉन्ग्रेस को दे रखा था देश लेकिन लोग दुखी हुए। फिर 2014 से अब तक तक किसके हाथ में है देश। बीजेपी के। लेकिन अब इलेक्शन आएँगे न तो वही पुरानी बातें होंगी। बोफोर्स की बातें होंगी। राम मंदिर की बात होगी। जिसमें धर्म की बात होगी।”
बबिता ने गारंटी लेते हुए आरोप लगाया कि आने वाले चुनावों में कोई भी स्कूल, कॉलेज, रोजगार या अस्पताल के नाम पर वोट नहीं माँगेगा। उन्होंने आबादी को नंबर 1 बताते हुए रोजगार के अनुपात को काफी कम बताया। हालात को बदतर बताते हुए बबिता ने कहा कि स्कूटी वालों को आटा चुराना पड़ रहा है। चोरी करने वालों को बबिता ने ‘बेचारा’ बताया और कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोई बुरा बनना चाहता है। बबिता मैडम के अनुसार, नहा-धो कर पार्टी लेना और देना ही अच्छी लाइफ है।
बबिता के इस लेक्चर के दौरान कुछ छात्र उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहे थे और पीछे आपस में चर्चा कर रहे थे। बबिता को उन छात्रों को टोकना पड़ा और खुद को सुनने के लिए कहा। उन छात्रों पर बबिता ने बाकी छात्रों को डिस्टर्ब करने वाला बताया। उन्होंने बार-बार खुद को सुनने पर जोर डालते हुए कहा, “अगर तुम्हारा सिलेबस हो गया है तो नीचे वाली क्लास ले लिया करो फिर ऊपर नहीं आया करो।” अपने अभिभावकों के समयकाल के लोगों को टीचर ने नासमझ बताया।
उन्होंने आगे कहा, “मुझे क्या फर्क पड़ता है, तुम्हें क्या फर्क पड़ा है कि मस्जिद मंदिर बने। अच्छी बात है बनाओ। धर्म भी जरूरी है। धर्म इंसान को सीधे रास्ते पर चलना सिखाता है। लेकिन धर्म प्राथमिकता नहीं है। प्राथमिकता है पढ़ाई-लिखाई। दिमाग के स्तर को इतना बढ़ा दो कि लोग अन्धविश्वास और पाखंड से दूर हट जाएँ। पढ़ें-लिखें और पैसा कमाएँ।” बकौल बबिता, सरकार के हाथ में सब कुछ है लेकिन वो कमअक्लों और नशेड़ियों को थोड़े से पैसे दे कर वोट ले लेती है।
बताते चलें कि इस से पहले एक क्लास के दौरान बच्चों को पोलिटिकल एजेंडा पढ़ाते हुए ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म अनएकेडमी (Unacademy) ने करन सांगवान को नौकरी से निकाल दिया था। नौकरी से निकाले जाने से पहले सांगवान का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह अंग्रेजों के कानून में बदलाव के लिए लाए गए बिल को लेकर अपनी भड़ास निकालते दिखे थे। इसके जरिए वे छात्रों के बीच एक खास पॉलिटिकल एजेंडा का प्रसार कर रहे थे।