प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पहल पर अब करीब 100 साल के बाद एक बार फिर से भक्तों को माँ अन्नपूर्णा देवी के दर्शन संभव हो सकेंगे। करीब 100 साल पहले स्मगल करके कनाडा ले जाई गई देवी की मूर्ति को भारत वापस लाया गया है। जिसे अब मूर्ति के वास्तविक स्थान वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
माँ अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति बीते 15 अक्टूबर को देश वापस लाई गई थी। पिछले साल नवंबर में ही पीएम नरेंद्र मोदी ने अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति को देश में वापस लाए जाने की घोषणा की थी। पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के दौरान कहा था कि इसे चुरा लिया गया था और 1913 के आसपास देश से बाहर ले जाया गया। इस मामले में मंगलवार (2 अक्टूबर 2021) को केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कनाडा के ओटावा से प्राप्त माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को मिली है और इसे वाराणसी ले जाया जाएगा।
वहीं CM योगी ने कहा, “100 साल पहले काशी से माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति चोरी हुई थी। यहाँ से यह मूर्ति अलग-अलग हाथों में पहुँचते-पहुँचते कनाडा के विश्वविद्यालय में पहुँची थी। अब यह मूर्ति उत्तर प्रदेश को 11 नवंबर को दिल्ली में प्राप्त होगी।”
100 साल पहले काशी से मां अन्नपूर्णा की मूर्ति चोरी हुई थी। यहां से यह मूर्ति अलग-अलग हाथों में पहुंचते-पहुंचते कनाडा के विश्वविद्यालय में पहुंची थी। अब यह मूर्ति उत्तर प्रदेश को 11 नवंबर को दिल्ली में प्राप्त होगी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, लखनऊ pic.twitter.com/8uQWup1rbO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 3, 2021
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, 1976 से 55 मूर्तियों को भारत लौटाया गया था, उनमें से लगभग 75 प्रतिशत 2014-2021 के दौरान प्राप्त की गई थीं। इसमें से 2014 के बाद 42 मूर्तियों को वापस देश में लाया गया था। मंत्रालय ने कहा है कि माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति को पहले 11 नवंबर को अलीगढ़ ले जाया जाएगा, फिर कन्नौज और 14 नवंबर को ये अयोध्या पहुँचेगी। इसके बाद 15 नवंबर को अपने अंतिम गंतव्य वाराणसी पहुँचेगी, जहाँ इसे अनुष्ठानों के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
मां अन्नपूर्णा की मूर्ति 14 नवंबर को काशी पहुंचेगी। 15 नवंबर को काशी में बाबा विश्वनाथ धाम में इस मूर्ति की स्थापना का कार्यक्रम संपन्न होगा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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मंत्रालय ने कहा, “संस्कृति मंत्रालय उन प्राचीन वस्तुओं को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिनकी विरासत का महत्व है और जिनका स्थानीय महत्व है। जिन लोगों से उनकी पैतृक विरासत छीन ली गई है उन लोगों में विश्वास फिर से स्थापित किया जाएगा।”
मैकेंजी आर्ट गैलरी में रखी गई थी मूर्ति
देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को 100 साल पहले जब स्मगल करके कनाडा ले जाया गया था तो उसके बाद से यह रेजिना विश्वविद्यालय की मैकेंजी आर्ट गैलरी में रखी गई थी।
भारतीय उच्चायोग की एक विज्ञप्ति के अनुसार, विश्वविद्यालय ने मूर्ति को वापस करने का फैसला किया है। यह पता चला है कि मूर्ति को ‘संदिग्ध परिस्थितियों में हासिल किया गया था और नैतिक अधिग्रहण के मौजूदा सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था। प्रतिमा को विश्वविद्यालय के कुलपति ने पिछले साल एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान ओटावा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को सौंपा था।
इसके बाद तत्कालीन अन्नपूर्णा मंदिर के महंत ब्रह्मलीन महाराज रामेश्वरपुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस प्रतिमा को मंदिर परिसर में भव्य समारोह के साथ प्राण प्रतिष्ठा की बात कही थी, लेकिन ऑपइंडिया के सूत्रों की मानें तो मंदिर और प्रशासन के बीच बात बनी नहीं और अब इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठ श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर में बनाए जाने वाले मंदिरों में से किसी एक मंदिर में होगी।