बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व सांसद दाऊद अहमद पर लखनऊ जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रशासन ने रविवार (4 जुलाई 2021) की सुबह यहाँ की रिवर बैंक कॉलोनी में दाऊद अहमद की 5 मंजिला अवैध इमारत को जमींदोज कर दिया। इस निर्माणाधीन इमारत लागत करीब 100 करोड़ बताई जा रही है। इसे गिराने में प्रशासन को 5 घंटे लगे। इस दौरान एक हादसा भी हुआ। बिल्डिंग का मलबा पोकलैंड मशीन पर गिर पड़ा, जिसके चलते ड्राइवर मलबे के बीच फँस गया। उसे तुरंत रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
प्रशासन के मुताबिक, दाऊद ने इस बिल्डिंग का अवैध तरीके से निर्माण करवाया था। निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से NOC नहीं ली गई थी, जबकि विभाग बार-बार नोटिस जारी कर रहा था। इसके बावजूद, दाऊद ने अवैध निर्माण को नहीं गिरवाया। अब लखनऊ प्रशासन ने नगर निगम, ASI और पुलिस विभाग के साथ मिलकर बिल्डिंग पर बुलडोजर चलाया है।
जानकारी के मुताबिक, इस बिल्डिंग का नक्शा भी एलडीए के अधिकारियों ने बिना एएसआई की अनुमति के ही स्वीकृत कर दिया था। हालाँकि, बाद में विरोध के बाद इसको निरस्त कर दिया। अब एएसआई के आदेश पर जिला प्रशासन और पुलिस के लोग संयुक्त अभियान चलाकर इमारत को ध्वस्त कर रहे हैं। ये बिल्डिंग रेजीडेंसी के नजदीक है और इस सीमा के भीतर ऊँचे निर्माण प्रतिबंधित है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की ओर से इस अवैध बिल्डिंग को गिराने की कोशिश पूर्व में की गई थी, लेकिन रसूख और कागजों में फँसा कर इसको रोक दिया गया था। तब नक्शा पास होने और अन्य कई कारण बताते हुए कार्रवाई रोकी गई थी। इस बिल्डिंग को लेकर बाद में एएसआई के संयुक्त निदेशक ने पूर्व सांसद दाऊद को नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि सात दिन में ये निर्माण खुद हटा लें। हटाए न जाने की दशा में प्रशासन की जेसीबी मशीनों ने इमारत को ध्वस्त करना शुरू कर देगा।
रविवार सुबह सात बजे से ही बिल्डिंग को गिराने के लिए कार्रवाई की गई। विरोध की आशंका को लेकर पुलिस फोर्स को भी बुला लिया गया था। हालाँकि, कोई विरोध के लिए सामने नहीं आया। पुरातत्व विभाग के संयुक्त महानिदेशक ने 3 जुलाई 2021 को इसे ध्वस्त करने का आदेश पारित किया था। जिसके बाद रविवार को कार्रवाई की गई। बिल्डिंग पाँच मंजिला बनाई गई थी। इसमें केवल फिनिशिंग काम बचा था।
बाहर का पिलर्स तोड़ते वक्त गिरा मलबा
अपार्टमेंट के भीतरी हिस्से में बने पिलर्स मजदूरों की मदद से तोड़े गए। इसके बाद बाहरी पिलर पोकलैंड मशीन की मदद से तोड़ा जाना था। यह पिलर टूटते ही पूरी इमारत अपने आप गिर जाती। हालाँकि इस दौरान इंजीनियर इस बात का अंदाजा नहीं लगा सके कि पिलर टूटने के बाद इमारत सीधे मशीन की तरफ ही गिरेगी। यहाँ तक कि ड्राइवर भी पिलर तोड़ने के बाद उतनी तेजी से पीछे नहीं हट पाया। इस बीच इमारत भरभराकर सीधे मशीन की तरफ ही गिरी और पोकलैंड मलबे में दब गई। हालाँकि पोकलैंड के भीतर ड्राइवर के चारों तरफ लोहे का केबिन था जिसके चलते उसे गंभीर चोटें नहीं आई हैं।