प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (26 मार्च 2022) को कहा कि भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र (Global Centre for Traditional Medicine) का घर होने पर सम्मानित महसूस कर रहा है।उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक औषधि और बेहतर स्वास्थ्य के तरीके दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहे हैं और लोगों के स्वस्थ रखने में मदद करेगा।
India is honoured to be home to a state-of-the-art @WHO Global Centre for Traditional Medicine. This Centre will contribute towards making a healthier planet and leveraging our rich traditional practices for global good. https://t.co/w59eeIKR5g
— Narendra Modi (@narendramodi) March 26, 2022
अभी एक दिन पहले ही आयुष मंत्रालय ने गुजरात के जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य एजेंसी के साथ एक समझौता किया है। इसका अंतरिम कार्यालय गुजरात में इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद (आयुर्वेद शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान) होगा। इस संस्था में भारत सरकार द्वारा 1900 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
WHO & the Government of #India🇮🇳 today agreed to establish the WHO Global Centre for Traditional Medicine, to maximize the potential of traditional medicines through modern science and technology https://t.co/KlkDdDB3LK pic.twitter.com/Ca5V7GcCAG
— World Health Organization (WHO) (@WHO) March 25, 2022
पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा, “यह केंद्र एक स्वस्थ ग्रह बनाने और वैश्विक भलाई के लिए हमारी समृद्ध पारंपरिक पद्धतियों का लाभ उठाने में योगदान देगा। भारत से पारंपरिक दवाएँ और स्वास्थ्य पद्धतियाँ विश्व स्तर पर बहुत लोकप्रिय हैं। यह @WHO केंद्र हमारे समाज में कल्याण को बढ़ाने में एक लंबा सफर तय करेगा।”
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दुनिया की लगभग 80% आबादी पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है। दुनिया भर में कई लाखों लोगों के लिए पारंपरिक चिकित्सा कई बीमारियों के इलाज के लिए पहली प्राथमिकता है। संस्था ने कहा कि संस्था के 194 में से 170 देश इस चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल करते हैं।
WHO के महानिदेशक ने कहा, “यह सुनिश्चित करना WHO के मिशन का अनिवार्य हिस्सा है कि सुरक्षित और प्रभावी उपचार तक सभी लोगों की पहुँच हो। यह नया केंद्र पारंपरिक चिकित्सा के आधार को मजबूत करने के लिए विज्ञान की शक्ति का उपयोग करने में मदद करेगा। मैं इसके समर्थन के लिए भारत सरकार का आभारी हूँ।”
वर्तमान में इस्तेमाल होने वाला 40% फार्मास्युटिकल उत्पाद प्राकृतिक रूप से प्राप्त किए जाते हैं। जैसे, एस्पिरिन की खोज विलो पेड़ (Willow Tree) की छाल और गर्भनिरोधक गोली जंगली Yam (सूरन जैसा) पौधों की जड़ों से तैयार की गई थी। वहीं, बच्चों में कैंसर का इलाज Rosy Periwinkle फूल पर आधारित है। कहा जाता है कि मलेरिया के इलाज प्राचीन चीनी चिकित्सा ग्रंथों के शोध पर आधारित है।