देश में सामने आते धर्मांतरण के मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि अगर इसी तरह से धर्मांतरण का खेल जारी रहा तो आने वाले समय में देश में बहुसंख्यक जनसंख्या अल्पसंख्यक हो जाएगी। कोर्ट में ये महत्वपूर्ण टिप्पणी जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने की है। उन्होंने कहा है कि जहाँ भी और जैसे भी भारतीय लोगों का धर्मांतरण करवाया जाता है उसे फौरन रोका जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि अगर कि इस प्रक्रिया को चलते रहने दिया गया तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक रह जाएगी इसलिए ऐसी चीजों को रोकना बहुत ज्यादा जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे आयोजन संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के विरूद्ध है। यह अनुच्छेद किसी को भी धर्म मानने व पूजा करने व अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है। धर्म प्रचार की स्वतंत्रता किसी को धर्म परिवर्तन कराने की अनुमति नहीं देती।
India's Majority Population Would Be In Minority One Day If Conversions In Religious Congregations Not Stopped: Allahabad HC | @ISparshUpadhyay #AllahabadHighCourt #ReligiousConversion https://t.co/egehR1cQmB
— Live Law (@LiveLawIndia) July 1, 2024
गौरतलब है कि अदालत ने यह टिप्पणी कई मामले उनके संज्ञान में आने के बाद की, जिससे उन्हें पता चला कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लोगों का ईसाई धर्म में अवैध धर्मांतरण पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रहा है। इस दौरान उन्होंने कैलाश नामक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज की। कैलाश पर यूपी पुलिस ने आईपीसी की धारा 365 और यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेद अधिनियम, 2021 की धारा 3/5 (1) के तहत मामला दर्ज किया है। उस पर आरोप है कि वह अपने गाँव वालों को दिल्ली में एक ऐसे समारोह में ले गया था। उस पर आरोप था कि उसने लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका को अदा किया था।
बाद में कैलाश के विरुद्ध शिकायत एक महिला ने दी थी। महिला ने बताया था कि कैलाश उसे ये विश्वास दिलाकर वहाँ ले गया था कि उसका भाई जो मानसिक बीमारी से पीड़ित है वो ठीक हो जाएगा और एक हफ्ते में उसे उसके पैतृक गाँव वापस भेज दिया जाएगा। हालाँकि बाद में उसका धर्म परिवर्तन करवा दिया गया। शिकायत में कैलाश पर आरोप था कि उसने ईसाई धर्म में कई लोगों को परिवर्तित कराया है।
वहीं जमानत माँगते हुए कैलाश के वकील ने कहा कि मामले में शिकायत करने वाली महिला ने ईसाई धर्म नहीं अपनाया था। लड़का सिर्फ अन्य लोगों के साथ ईसाई धर्म और कल्याण पर केंद्रित सभा में शामिल हुआ था। वकील ने कहा कि ये सब उसके मुअक्किल को फँसाने के लिए हो रहा है।
कोर्ट से यह भी कहा गया कि सभा का आयोजन सोनू पैस्टर ने किया था उसे तो पहले ही अदालत रिहा कर चुकी है। मगर अदालत ने आरोप गंभीर देखते हुए कैलाश को जमानत देने से साफ मना कर दिया। ऐसा करते समय अदालत ने जाँच अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए पीड़ितों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखा जिसमें साफ कहा गया था कि आरोपित अन्य ग्रामीणों ऐसी सभा में ले जा रहा था जहाँ लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करवाया जा रहा था।