रॉयटर्स के पत्रकार आदित्य कालरा ने 13 फरवरी को ट्विटर पर बताया कि धनी ऐप ने उनके नाम पर लोन दिया है, जिसके लिए उन्होंने आवेदन नहीं दिया था। अपने ट्वीट में कालरा ने बताया कि इंडियाबुल्स की तत्काल लोन देने वाले ऐप धनी से उनके पैन नंबर का प्रयोग कर लोन लिया गया है। कालरा ने कहा, “मेरी क्रेडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा। आईवीएल फाइनेंस (इंडियाबुल्स) धनी द्वारा मेरे पैन नंबर और नाम पर उत्तर प्रदेश और बिहार में लोन दिए। इसके बारे में मुझे कुछ पता नहीं। मेरे नाम और पैन पर लोन कैसे दिया जा सकता है।”
Shocking revelation in my credit report. A loan disbursed by IVL Finance (Indiabulls) @dhanicares with my PAN number & name, addresses in Uttar Pradesh and Bihar. I have no clue. How can a disbursal happen on my name and PAN. In default already @RBI @IncomeTaxIndia @nsitharaman pic.twitter.com/LMMrwKyeit
— Aditya Kalra (@adityakalra) February 13, 2022
कालरा ने सिबिल रिपोर्ट से कर्ज की जानकारी का स्क्रीनशॉट भी साझा किया। दस्तावेजों के अनुसार, लोन दी गई राशि 1,000 रुपये है और इसे 14 नवंबर 2021 को स्वीकृत किया गया था। ऋण लेने वाले व्यक्ति ने ऋण नहीं चुकाया।
कालरा अकेले व्यक्ति नहीं हैं, जिनके नाम पर लोन दिया गया और वे इससे अनजान रहे। कालरा ने स्कैमर्स द्वारा ठगे गए कई लोगों के ट्वीट साझा किए। ऐसा लगता है कि हर मामले में स्कैमर्स ने बेहद छोटे लोन लेने के लिए पैन के डिटेल का उपयोग किया।
More from others with credit report photos. Same case. Loan disbursed to someone who submitted someone else’s PAN and name. Then default starts. Scary bad loans ticking bomb, fraud and more. @RBI @dhanicares @IncomeTaxIndia https://t.co/xX5X5XQ5rO
— Aditya Kalra (@adityakalra) February 13, 2022
कालरा ने ऋण लेने के बाद से अपने क्रेडिट स्कोर में उतार-चढ़ाव का एक स्क्रीनशॉट साझा किया। अगस्त 2021 में उनका क्रेडिट स्कोर 801 था, जो दिसंबर 2021 में गिरकर 666 हो गया। यह जनवरी में यह फिर से रिवाइव हो गया। संभवतः इस क्रेडिट लाइन पर अन्य गतिविधियाँ होने के कारण ऐसा हुआ।
Oops. Another big one. Dhani representatives have now told me on phone that amount of loan was tranferred to fraudster’s Dhani wallet who gave an incorrect Aadhar number, but used my name and PAN! https://t.co/PD7OVJXRR4
— Aditya Kalra (@adityakalra) February 14, 2022
ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे मामलों में यदि धनी या वित्तीय संस्थान जल्द कार्रवाई नहीं करते हैं तो पीड़ित के क्रेडिट स्कोर पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा। जालसाज एक पैसा भी वापस नहीं देता, इसलिए पीड़ित व्यक्ति को ऋण लेने में भविष्य में परेशानी होगी। जब भी वह ऋण लेने की कोशिश करेगा तो मामला सामने आएगा और उसकी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचेगी।
जाँच के दौरान ऑपइंडिया को ऐसे कई मामले मिले। कथित ऋण धोखाधड़ी के पीड़ितों में से एक ऋषभ बबुता ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि वह पिछले तीन महीनों से इस संकट से बाहर निकलने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। एनआरआई (मर्चेंट नेवी ऑफिसर) बबुता ने कहा, “चूँकि मैं एक एनआरआई हूँ, इसलिए कोई भी बैंक या संस्थान मुझे बिना गिरवी या ओवरड्राफ्ट खाते के ऋण या कार्ड जारी नहीं कर सकते। नियमों के बावजूद धनी द्वारा लोन दिया गया और मैं समस्या में फँस गया हूँ।”
@FinMinIndia There is a new scam brewing at @dhanicares / @ibhomeloans – They are issuing loans without verification of PAN There are others like me, who never took these loans and are affected by them for non-payment. No one is listening today as this is not a Scam of Crores YET
— Rishabh Babuta (@babuta_) January 4, 2022
बबुता को इस घोटाले के बारे में नवंबर 2021 में पता चला। उन्होंने बताया कि उनके नाम पर एक हजार और दो हजार रुपये के दो कर्ज लिए गए। इन लोन का भुगतान न करने के कारण जुर्माने सहित कुल देय राशि 12,000 रुपये हो गई। उन्होंने जाँच की कि कहीं CIBIL रिपोर्ट में कोई त्रुटि तो नहीं है। 27 दिसंबर को एक बार जब उन्हें यकीन हो गया कि सिबिल की ओर से कोई मुद्दा नहीं है तो उन्होंने धनी से संपर्क किया।
बबुता समेत हर मामले में धनी ने शिकायत का जवाब तो दिया, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं बताया। उन्होंने कहा, “धनी ने इस धोखाधड़ी का समाधान नहीं किया है। मैं अभी भी समाधान खोजने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं उनकी धोखाधड़ी टीम के संपर्क में हूँ, जिन्होंने मुझे अपने मूल दस्तावेज भेजने के लिए मजबूर किया, लेकिन समाधान फिर भी नहीं कर पाए।”
इससे ये बात साबित होती है कि धनी ने पैन को सत्यापित नहीं किया, अन्यथा लोन स्वीकृत नहीं होता। बबुता ने इस मामले की शिकायत साइबर क्राइम यूनिट, आयकर विभाग, सिबिल और आरबीआई से की, लेकिन अभी भी उन्हें समाधान का इंतजार है। उन्होंने कहा, “मैंने 14 जनवरी को साइबर अपराध अधिकारी के साथ डिटेल साझा किया था। साइबर सेल के नेशनल अकाउंट से एक पुष्टिकरण ईमेल मिला, लेकिन उनकी तरफ से आज तक कोई कॉल या जवाब नहीं आया।”
अंदरूनी लोगों के शामिल होने की आशंका
ऑपइंडिया से बात करते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) गुरु प्रसाद ने कहा, “इस तरह की धोखाधड़ी से प्रभावित क्रेडिट स्कोर को जाँच पूरी होने के बाद ही ठीक किया जा सकता है। संभावित धोखाधड़ी के बारे में जानने के बाद पीड़ित को सबसे पहले बैंक को सूचित और पुलिस में शिकायत दर्ज करानी है। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने का कोई आसान तरीका नहीं है।” उन्होंने कहा, “कंपनी के अंदर से कर्ज बाँटने वाले की जब तक संलिप्तता नहीं होगी, तब तक इस तरह की धोखाधड़ी संभव नहीं है।”
लोन देने वाली कंपनियाँ पैन को सत्यापित नहीं करतीं
विशेषज्ञों के अनुसार, ये ऋण कंपनियां जिस कार्यप्रणाली का पालन कर रही हैं, उसमें समस्या है। V2Technosys के सीईओ विनय मुरारका ने कहा, “बैंकों के साथ एक ऐसा तंत्र है जिसका उन्हें ऋण देते समय पालन करना चाहिए। जब आप ऋण के लिए आवेदन करते हैं, तो बैंक दस्तावेजों को प्रमाणित करता है और उसके बाद ही आपको ऋण देता है। धानी ऐप में क्या हो रहा है, ऐसे मामलों में कंपनी दस्तावेजों को प्रमाणित नहीं कर रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि ऋण को पैन कार्ड से जुड़े खाते में वितरित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “पैन कार्ड से जुड़े बैंक खाते में पैन कार्ड और बैंक खाते में उल्लिखित मिलान विवरण के साथ ऋण का वितरण किया जाना चाहिए। साथ ही, कंपनियों को ऋण देने से पहले आधार प्रमाणीकरण करना होगा। यह स्पष्ट रूप से ऋण कंपनी की गलती है क्योंकि वे ऋण देने से पहले दस्तावेजों को प्रमाणित नहीं कर रहे हैं।”
सिबिल स्कोर पर इसके पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “पीड़ित के लिए अदालत में लड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। यदि आप पीड़ित हैं तो पुलिस में शिकायत दर्ज करें, अधिकारियों को सूचित करें और कंपनी के खिलाफ अदालत में मामला दर्ज करें।” उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि सिबिल भी इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, “सिबिल को धनी के खिलाफ कई शिकायतें मिली होंगी। मुझे आश्चर्य है कि वे अभी भी इन कंपनियों को इसमें शामिल कर रहे हैं और पीड़ितों के सिबिल स्कोर में जानकारी जोड़ रहे हैं। यही हाल आरबीआई का भी है। उन्हें अब तक कंपनी के ऑपरेशन को निलंबित कर देना चाहिए था।”
7.5 करोड़ डाउनलोड, 2.5 करोड़ क्रेडिट- कितनी धोखाधड़ी?
विशेषज्ञों का मानना है कि धनी ऐप के हर छह डाउनलोड में से एक फ्रॉड से लिंक्ड है। कैशलेस कंज्यूमर के श्रीकांत लक्ष्मणन ने कथित धोखाधड़ी के तकनीकी पहलू के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि धनी अपने उपयोगकर्ताओं को लोन देेने के लिए पैन के रैंडम कलेक्शन का उपयोग करता है। उनके पास 75 मिलियन इंस्टाल हैं और आशंका है कि 6 में से 1 का पैन इस फर्जी क्रेडिट लाइन का शिकार हो सकता है।”
So @dhanicares uses random collection of PAN to give its users credit on their wallet.
— Srikanth ஸ்ரீகாந்த் (@logic) February 14, 2022
They have 75M installs, likely that PAN of 1 in 6 could be victim of these bogus line of credit issued and default of such affecting credit scores. cc @adityakalra @tam_arund @suchetadalal https://t.co/iujqQBrqWR pic.twitter.com/bQUyJkpexZ
उन्होंने आगे कई ट्वीट साझा किए, जहाँ तथाकथित तकनीकी विशेषज्ञों ने रैंडम पैन नंबरों का उपयोग करके दस्तावेजों के बिना धनी ऐप में मुफ्त रिचार्ज कैसे प्राप्त करें को लेकर विस्तृत वीडियो साझा किए थे। उनके द्वारा शेयर किए गए वीडियो को लाखों व्यूज मिल चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 2020 से ऐसी गतिविधियाँ हो रही हैं, जो ट्वीट्स से देखी जा सकती हैं, लेकिन धनी या किसी सरकारी एजेंसी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
For a Rs. 30 recharge, someone can enter random PAN and you might be lucky one! pic.twitter.com/wd56ptragq
— Srikanth ஸ்ரீகாந்த் (@logic) February 14, 2022
ऑपइंडिया से बात करते हुए श्रीकांत ने कहा, “हम इस तरह के घोटालों से बचने के लिए विभिन्न उपायों की बात कर सकते हैं, लेकिन हमें धनी से स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। शिकायतों को देखकर यह व्यक्तिगत श्रेणी का धोखाधड़ी नहीं, बल्कि धनी की जानकारी/गैर-जानकारी वाली एक एक संगठित अपराध हैं।”
धनी ने शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की या ऋणों को देने वाली अपनी कार्य-प्रणाली में बदलाव नहीं किया, इस पर उन्होंने कहा, “डिजिटल ऋण उद्योग में हालिया ट्रेंड आधार या पैन आधारित ई-केवाईसी के अलावा वीडियो केवाईसी (विशेष रूप से कोविड के बाद) का भी चलन है। ज्यादातर ऐप आईडी प्रूफ का ओसीआर वेरिफिकेशन करते हैं। कुछ तो आईडी प्रूफ के साथ सेल्फी लेने के लिए भी कहते हैं। इस मामले में निश्चित रूप से ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने शायद आईडी का सिर्फ एक इनपुट लिया था।”
उन्होंने आगे सभी से ऐसी स्थितियों से बचने के लिए पैन और आधार की जानकारी साझा नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “सरकार को किसी भी लिंकिंग जनादेश की माँग करने से पहले डेटा संरक्षण कानून लाना चाहिए और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। पैन-आधार लिंकेज इस 31 मार्च को होने वाला है। श्रीकांत ने इस तरह की धोखाधड़ी पर रोक लगाने और ऐसे सभी अज्ञात ऋणों को हटाने के लिए क्रेडिट रिपोर्ट की जाँच करते रहने पर भी जोर दिया।
यदि आप धोखाधड़ी बन गए तो आपको क्या करना चाहिए
सबसे पहले आपको अपनी CIBIL रिपोर्ट को नियमित रूप से जाँच करना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोई धोखाधड़ी गतिविधि हुई है या नहीं। आप या तो शुल्क का भुगतान करके CIBIL.com पर चेक कर सकते हैं या आप इसे एक्सपीरियन जैसे सेवा प्रदाताओं के साथ मुफ्त में देख सकते हैं।
यदि आप पीड़ित हैं तो विशेषज्ञों का सुझाव है कि आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- धोखाधड़ी के बारे में तुरंत बैंक या वित्तीय संस्थान को सूचित करें। उनकी आधिकारिक मेल आईडी पर ईमेल लिखकर या पंजीकृत कार्यालय में शिकायत दर्ज करें। शिकायत की एक प्रति अपने पास रखें और एकनॉलेजमेंट नंबर को भविष्य के लिए सुरक्षित रखें। धोखाधड़ी के बारे में आपके पास मौजूद सभी विवरण इसमें शामिल करें।
- सभी दस्तावेज एकत्र करें और पुलिस में शिकायत दर्ज करें। अपने पास FIR की कॉपी जरू रखें।
- एफआईआर की कॉपी बैंक या वित्तीय संस्थान में जमा करें, ताकि उन्हें कानूनी कार्यवाही के बारे में जानकारी हो।
- वित्तीय संस्थान द्वारा कोई कार्रवाई शुरू करने और अदालत में शिकायत दर्ज करने की प्रतीक्षा न करें। विशेषज्ञों का कहना है कि कानूनी प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है।एक उपभोक्ता के रूप में आप या तो उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज कर सकते हैं या आप बैंक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर सकते हैं। शिकायत दर्ज करने के लिए किसी वकील से सलाह लें।
- मामले में कोई प्रगति हुई है या नहीं, यह जानने के लिए नियमित रूप से बैंक और पुलिस के संपर्क में रहें।
इस समय पीड़ित केवल यही कर सकता है कि वह इसे कानूनी रूप से अदालत में लड़े।
ऑपइंडिया ने ईमेल के जरिए धानी से संपर्क किया। जब तक यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई, हमें उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। हम मामले को लेकर कई विशेषज्ञों से भी बातचीत कर रहे हैं। अधिक जानकारी मिलने पर हम कहानी को अपडेट करेंगे।