कोरोना वायरस की सेकेंड वेव ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है। हालात को कंट्रोल करने के लिए आसमान के प्रहरी भारतीय वायुसेना मैदान में उतर गई है। वायुसेना ने मरीजों के लिए जीवनरक्षक मेडिकल ऑक्सीजन को एयरलिफ्ट कर उन जगहों पर पहुँचाने का बीड़ा उठा लिया है, जहाँ इसकी कमी है। इसका मकसद ऑक्सीजन सप्लाई में तेजी लाना है।
#IndiaFightsCorona
— Indian Air Force (@IAF_MCC) April 23, 2021
C-17 and IL-76 aircraft airlifted cryogenic oxygen containers from Air Force Station Hindan to Panagarh for recharging, in support of the fight against Covid-19. Similar airlift tasks are underway across the country. pic.twitter.com/1GMdOBRqWY
इंडियन एयरफोर्स के C-17 और IL-17 विमान मेडिकल ऑक्सीजन टैंकरों को एयरलिफ्ट कर देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुँचा रहे हैं। एयरफोर्स ने एक बयान में कहा है कि मिशन के तहत आईएएफ के C-17 और IL-17 ने दो खाली क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया और IL-17 विमान से पश्चिम बंगाल के पन्नागढ़ से खाली कंटेनर को एयरलिफ्ट किया। तीनों टैंकरों में ऑक्सीजन की फिलिंग करने के बाद इसे फिर से एयरलिफ्ट किया जाएगा।
इंडिया टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सीजन टैंकरों के साथ ही वायुसेना सिलेंडर, दवाओं और आवश्यक मेडिकल उपरणों की भी आपूर्ति कर रही है। इससे पहले वायु सेना ने ट्वीट किया था, “कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वायु सेना का परिवहन बेड़ा सहयोग कर रहा है। देशभर में चिकित्सा सुविधाओं को पहुँचाने और कोविड अस्पतालों के निर्माण के लिए वह चिकित्साकर्मियों, उपकरणों और दवाओं को एयरलिफ्ट कर रहा है।”
#IndiaFightsCorona
— Indian Air Force (@IAF_MCC) April 21, 2021
The IAF transport fleet is supporting the fight against Covid-19. Air lift of medical personnel, critical equipment and medicines is underway for Covid Hospitals and facilities across the country. pic.twitter.com/eBHv2yicyR
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संकट से देश को बचाने के लिए भारतीय वायुसेना जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट भी एयरलिफ्ट करेगी। इससे पहले कोविड की टेस्टिंग में तेजी लाने के लिए वायुसेना ने लेह में कोविड सेटअप को एयरलिफ्ट कर पहुँचाया था।
बता दें कि केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, लेकिन इसकी सप्लाई में काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं। दूर-दराज के क्षेत्रों में सड़क के रास्ते ऑक्सीजन आपूर्ति में काफी समय बर्बाद हो जाता है।