Monday, November 18, 2024
Homeदेश-समाज'यहाँ जाति पर बँटती है सीट, 97% लाकर भी मेरे बच्चे को नहीं मिला...

‘यहाँ जाति पर बँटती है सीट, 97% लाकर भी मेरे बच्चे को नहीं मिला एडमिशन’: नवीन के पिता का छलका दर्द, यूक्रेन-रूस युद्ध में हुई मौत

यूक्रेन में जान गँवाने वाले भारतीय छात्र नवीन, के पिता का कहना है कि देश के शिक्षा तंत्र और जातिवाद के चलते इंटेलिजेंट बच्चें सीट नहीं पाते। वह कहते हैं, "मैं हमारे राजनैतिक तंत्र, शिक्षा तंत्र और जातिवाद के कारण उदास हूँ। सब कुछ निजी संस्थानों के हाथ में है।"

यूक्रेन-रूस युद्ध में जान गँवाने वाले पहले भारतीय छात्र नवीन के जाने के बाद अब कर्नाटक से उनके पिता का बयान आया है। अपने बेटे की मौत से आहत पिता ने मीडिया को बताया है कि आखिर उन्हें नवीन को यूक्रेन में क्यों भेजना पड़ा। अपनी बात रखते हुए उन्होंने भारतीय शिक्षा क्षेत्र में लागू आरक्षण नीतियों पर भी वार किया।

क्यों भेजा था नवीन को यूक्रेन

नवीन के पिता शेखरप्पा ने कहा, “हमारे कुछ सपने थे जो अब बिखर गए हैं। मेरा बेटा जिसने प्री यूनिवर्सिटी कोर्ट में 97% मार्क्स पाए थे, एक टैलेंटेड बच्चा था जिसे सिर्फ यहाँ के सिस्टम की वजह से बाहर पढ़ने जाना पड़ा, जिसमें प्राइवेट एड्यूकेशन इंस्टिट्यूट आपकी पहुँच से बाहर होते हैं। मैंने पता किया था मुझे किसी भी मेडिकल कॉलेज में उसका एडमिशन करवाने के लिए 85 से 1 करोड़ देने थे। तब मैंने सोचा कि मैं अपने बेटे को यूक्रेन भेजूँगा। लेकिन वो तो मुझे और ज्यादा महंगा पड़ गया।”

भारत में जाति के आधार पर बँटती हैं सीट: मृतक छात्र के पिता

नवीन के पिता ने मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील की कि वो लोग इस मामले में देखें। वह कहते हैं, “डोनेशन आदि बहुत बेकार चीजें हैं। इसी के चलते इंटेलीजेंट बच्चे पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। यहाँ जगह पाने के लिए करोड़ों माँगे जाते हैं। ऐसे में विदेश में वही शिक्षा बल्कि अच्छी शिक्षा वो भी बढ़िया उपकरणों के साथ मिलती है। यहाँ भारत में सिर्फ जाति के आधार पर मिलती हैं सीटें। मेरे बेटे के 97 फीसद पीयूसी में आए थे।”

पैसे उधार लेकर बेटे को भेजा था विदेश : नवीन के पिता

उन्होंने कहा, देश के शिक्षा तंत्र और जातिवाद के चलते इंटेलिजेंट बच्चें सीट नहीं पाते। वह कहते हैं, “मैं हमारे राजनैतिक तंत्र, शिक्षा तंत्र और जातिवाद के कारण उदास हूँ। सब कुछ निजी संस्थानों के हाथ में है।” उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे लेकर नवीन को एबीबीएस पढ़ने यूक्रेन भेजा था। वहाँ वह अपने दोस्तों के साथ अपार्टमेंट में रहता था। जब से जंग शुरू हुई थी वह घर पर कम से कम 5-6 बार कॉल करता था और फ्लैट के नीचे बने बंकर में जाकर रहने लगा था।

गोली लगने से पहले कहाँ थे नवीन?

नवीन के सीनियर अमित बताते हैं कि उन्होंने बंकर से मार्ट जाने के लिए करीब 6 बजे बंकर छोड़ा था।  7:58 पर उन्होंने एक दोस्त को कुछ पैसे भेजने के लिए मैसेज किया और 8:10 पर हमें खबर आई कि वो अब नहीं हैं। नवीन के सीनियर ने बताया कि वो सारे लोग बिना खाए-पिए 4 दिन से बंकर में रह रहे थे। नवीन के बड़े भाई हर्षा ने बताया कि उनके भाई का इस जून में आठवाँ सेमेस्टर था। उसके बाद वो इंटर्नशिप लेने वाला था। पर अब ये कल्पना करना भी मुश्किल है कि वो हमारे साथ नहीं है।

कब लगी नवीन को गोली?

बता दें कि भारतीय छात्र की मृत्यु की खबर मंगलवार को सुबह आई थी। इसके बाद विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी करके इस खबर की पुष्टि की गई। साथ ही विदेश मंत्रालय की ओर से नवीन के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की गई थी। कुछ खबरों से पता चला था कि जिस समय नवीन पर गोली चलाई गई उस समय वह Lviv के स्टेशन जा रहे थे ताकि वहाँ से पश्चिमी सीमा पहुँच सकें। वहीं अब रिपोर्ट्स आई हैं कि नवीन खाना लेने बंकर से बाहर निकले थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -