रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukrain War) के कारण जिन भारतीय छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, उनके लिए राहत की खबर आई है। यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को रूस अपने यहाँ के कॉलेजों में पढ़ाई की सुविधा मुहैया कराएगा। रूस ने ऐसे छात्रों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए आमंत्रित किया है।
चेन्नई में रूस के महावाणिज्य दूत ओलेग अवदीव ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, “यूक्रेन छोड़ने वाले भारतीय छात्र रूस में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं, क्योंकि चिकित्सा पाठ्यक्रम लगभग समान है। वे लोगों की भाषा जानते हैं। उनमें से अधिकांश रूसी बोलते हैं। रूस में उनका स्वागत है।”
Indian students who left Ukraine can continue their education in Russia as medical syllabus is almost the same (as Ukraine). They know the language of people, as in Ukraine, most of them spoke Russian. They're most welcome in Russia: Oleg Avdeev, Consul Gen of Russia in Chennai pic.twitter.com/2O7CMTV5gg
— ANI (@ANI) November 10, 2022
बता दें कि युद्ध से पहले यूक्रेन में करीब 18000 भारतीय छात्र पढ़ाई करते थे। युद्ध शुरू होने के बाद भारत सरकार ने बचाव कार्य शुरू कर इन्हें भारत लाया था। इसके लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय मंत्रियों की टीमें भी गठित की गई थीं, जो यूक्रेन से सीमा साझा करने वाले देशों में जाकर यूक्रेन से छात्रों को भारत लाने में लगे हैं।
दरअसल भारत में डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले स्टूडेंट के लिए भारत सरकार अखिल भारतीय स्तर पर हर साल NEET की परीक्षा आयोजित करती है। इसमें हर साल करीब 8 लाख छात्र इस परीक्षा को क्लियर कर पाते हैं। देश के मेडिकल कॉलेजों में करीब 90,000 सीटें हैं और इनमें से आधी सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हैं।
ऐसे में सीटों की कमी बाकी के छात्र-छात्राओं को विदेशों का रुख करना पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के प्राइवेट सेक्टर के कॉलेजों में करीब 20 लाख रुपए प्रतिवर्ष का खर्च होता हैं। वहीं यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई में हर साल करीब 10 लाख रुपए लगते हैं।