सीबीआई की विशेष अदालत में इशरत जहाँ एनकाउंटर मामले में क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारियों की ओर से की गई कार्यवाही को जायज ठहराया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने आखिरी तीन आरोपित आईपीएस अधिकारी तरुण बारोट, जीएल सिंघल और सहायक उप निरीक्षक अनाजू चौधरी को भी आरोप से बरी कर दिया है। सभी पर इशरत जहाँ, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो अन्य लोगों का जून 2004 में ‘फर्जी’ एनकाउंटर करने का आरोप था।
Ishrat Jahan encounter case: CBI court discharges last three accused police officials including Tarun Barot and GS Singhal
— ANI (@ANI) March 31, 2021
पिछले दिनों तीनों ही अधिकारियों ने आरोपों से मुक्त करने की अर्जी लगाई थी। इससे पहले तत्कालीन महानिदेशक पीपी पांडे, तत्कालीन डीआईजी डी जी वंजारा व तत्कालीन पुलिस उपायुक्त एन के अमीन को भी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी जी एल सिंघल, तरुण बारोट व अनाजू चौधरी ने आईबी से मिले इनपुट के आधार पर कार्यवाही की जैसा उन्हें करना चाहिए था।
अदालत ने यह भी कहा कि इशरत को आतंकवादी नहीं मानने का कोई कारण नजर नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि इशरत जहाँ, लश्कर ए तैयबा की आंतकी थी, इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता, इसलिए तीनों अधिकारियों को निर्दोष बताते हुए बरी किया जाता है।
पुलिस अधिकारियों ने जिस घटना को अंजाम दिया वह परिस्थिति के हिसाब से सही थी तथा उनके द्वारा यह जानबूझकर किया गया हो, ऐसा नहीं लगता है। इशरत जहाँ व उसके तीन साथियों जावेद शेख, अमजद अली व जीशान जौहर को क्राइम ब्रांच ने जून 2004 में एक एनकाउंटर में मार गिराया था। इस एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे पूर्व आईपीएस एवं क्राइम ब्रांच के मुखिया डी जी बंजारा तथा पुलिस उपाध्यक्ष एनके अमीन को भी आरोपित बनाया गया था।