Sunday, November 17, 2024
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जबलपुर में गायत्री मंदिर की जमीन पर बनी मस्जिद तोड़ने पहुँचे हिंदू संगठन, प्रशासन को दिया 10 दिन का अल्टीमेटम: कड़ी सुरक्षा के बीच स्थिति तनावपूर्ण

हिंदू संगठनों ने प्रशासन को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है कि यदि मस्जिद को नहीं तोड़ा गया, तो वे खुद इसे गिरा देंगे। इस विवाद को लेकर 2021 से विरोध जारी है, जिसमें कई ज्ञापन और प्रदर्शन हो चुके हैं।

मध्य प्रदेश के जबलपुर के राँझी इलाके में गायत्री मंदिर की जमीन पर अवैध मस्जिद के निर्माण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। गुरुवार (26 सितंबर 2024) को विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इलाके में पहुँचकर मस्जिद तोड़ने की माँग उठाई। इन संगठनों का आरोप है कि मस्जिद गायत्री बाल मंदिर की जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई है, जिसके खिलाफ पिछले कई सालों से विरोध जारी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अवैध मस्जिद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की और प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की माँग की। उनका दावा है कि मस्जिद के निर्माण से पहले भी वे प्रशासन को इस संबंध में शिकायत कर चुके हैं। उन्होंने प्रशासन को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें कहा गया है कि यदि मस्जिद को नहीं हटाया गया, तो वे खुद इस मस्जिद को गिरा देंगे।

इस मस्जिद को लेकर विवाद नया नहीं है। हिंदू संगठनों का कहना है कि 2021 से ही इस मसले पर विरोध चल रहा है। 12 जून 2021 को कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें दस्तावेज और खसरा नंबरों का हवाला देते हुए कहा गया था कि मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से किया जा रहा है। इसके बाद 27 जुलाई 2021 को एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। हालाँकि, प्रशासन ने तब कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, और मस्जिद का निर्माण चलता रहा।

इसके बाद, 2021 में तत्कालीन एसडीएम ऋषभ जैन ने मस्जिद निर्माण पर रोक लगा दी थी, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसके बावजूद मस्जिद का निर्माण चोरी-छिपे चलता रहा। वे बताते हैं कि लोग बाहर से आते हैं और मस्जिद में ठहरते हैं, जिससे इलाके में कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो रहा है। इसके अलावा, रोहिंग्या मुसलमानों की उपस्थिति को भी लेकर सवाल उठाए गए हैं। हिंदू संगठनों का दावा है कि इस इलाके में रोहिंग्या की गतिविधियाँ बढ़ी हैं, जिनके पास स्थानीय पहचान पत्र भी नहीं हैं, और इसके चलते अपराध भी बढ़ रहा है।

स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर तैनात कर दी गई हैं ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे। कई थानों के पुलिस बल को बुलाकर मस्जिद के आसपास की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। मस्जिद के पास के सभी मार्गों को सील कर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर जाँच का आश्वासन दिया गया है।

एएसपी प्रदीप शेनडे ने बताया कि एसडीएम को ज्ञापन दिया गया है और जाँच के बाद कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम ने कहा है कि वे मस्जिद के निर्माण से संबंधित सभी दस्तावेजों की जाँच करेंगे और उस आधार पर निर्णय लिया जाएगा।

हालाँकि, हिंदू संगठनों का कहना है कि प्रशासन ने इससे पहले भी कई बार आश्वासन दिया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हिंदू संगठनों के विरोध के बीच मस्जिद की स्थिति पर सरकार और प्रशासन के कदमों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। यह आरोप भी लगाया गया है कि मस्जिद को बिजली और पानी की सरकारी सुविधाएँ भी दी जा रही हैं, जबकि इसके निर्माण के दस्तावेज संदिग्ध हैं। संगठनों ने इस पर भी आपत्ति जताई है और कहा है कि सरकारी सुविधाएँ अवैध निर्माण को कैसे मुहैया कराई जा सकती हैं।

विवादित स्थल पर तनाव बढ़ने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के बीच चर्चाएँ हो रही हैं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार तनाव की स्थिति बनी, लेकिन बड़े पैमाने पर हिंसा की कोई खबर नहीं है। हिंदू संगठनों का कहना है कि यह मामला केवल जमीन के कब्जे का नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। उनका कहना है कि अयोध्या, काशी, और मथुरा जैसे स्थानों पर भी इसी तरह के अवैध कब्जे हुए थे, और यहाँ भी वही स्थिति उत्पन्न हो रही है।

इस मसले पर 21 मार्च 2023 को भी एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें संगठन ने प्रशासन से मस्जिद गिराने की माँग की थी। उस समय भी प्रशासन ने जाँच का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब एक बार फिर हिंदू संगठन मस्जिद को गिराने की माँग पर अड़े हुए हैं, और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। अब आखिरी बार प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन सौंपा है और स्पष्ट किया है कि यदि 10 दिनों के भीतर मस्जिद नहीं तोड़ी गई, तो वे खुद इसे गिरा देंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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