दशकों पुराने अयोध्या मामले में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की पॉंच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया। इसके साथ ही इस बेहद संवेदनशील मामले की कानूनी लड़ाई का अंत हो गया है। फ़ैसले के बाद तमाम तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आई है। इसी कड़ी में दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा है कि अयोध्या मामले को अब आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। उनके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर करने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब देश में साम्प्रदायिक तनाव के लिए जगह नहीं होगी और आगे ऐसे मुद्दों को हवा नहीं दी जाएगी।
Shahi Imam of Delhi’s Jama Masjid Syed Ahmed Bukhari on #AyodhyaJudgment: We have always maintained that we will accept the verdict of Supreme Court. I hope the country will move towards development. As far as filing a review petition is concerned, I don’t agree with it. pic.twitter.com/XfS8T25NhH
— ANI (@ANI) November 9, 2019
शाही इमाम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा, “मैंने पहले भी कहा था कि देश क़ानून और संविधान के अमल पर चलता है। 134 साल से चल रहे विवाद का अंत हुआ। पाँच सदस्यीय पीठ ने निर्णय लिया। गंगा-जमुनी संस्कृति और सद्भाव को देखते हुए कि यह प्रयास करना होगा कि आगे देश को इस तरह के विवाद से फिर नहीं गुज़रना पड़े।”
उन्होंने कहा, “देश संविधान के तहत चले, कानून का अमल होता रहे, सांप्रदायिक तनाव नहीं हो और समाज नहीं बाँटे, इसके लिए सभी को अपनी भूमिका अदा करनी होगी। हिंदू-मुस्लिम की बात बंद होनी चाहिए और देश को आगे बढ़ाने के लिए सब मिलकर चलें।” शाही इमाम ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि देश सद्भाव की तरफ आगे बढ़ेगा।
फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील से जुड़े ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान के बारे में पूछे जाने पर बुखारी ने कहा, “मेरी अपनी राय है कि मामले को ज्यादा बढ़ाना उचित नहीं है। पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय में जाना बेहतर नहीं है।” उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय पहले से कहता रहा है कि वह फ़ैसले का सम्मान करेगा और अब फ़ैसला आने के बाद लोग इससे सहमत हैं।
ग़ौरतलब है कि CJI रंजन गोगोई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने अयोध्या की जिस जमीन को लेकर विवाद था वहॉं मंदिर निर्माण का आदेश दिया है। साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ ज़मीन देने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से 3 महीने के भीतर इसके लिए एक योजना तैयार करने को कहा है।