जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) ने मिडिल स्कूल के फिजिकल एजुकेशन टीचर हारिस उल हक को सस्पेंड कर दिया है। हरिस पर तुर्की (अब तुर्किये) में आए विनाशकारी भूकंप के प्रभावितों की मदद के नाम पर चंदा जमा कर के ठगी के आरोप लगे हैं। हालाँकि ऑपइंडिया से बातचीत में हारिस उल हक ने इन आरोपों को झूठा बताया है। साथ ही कहा है कि उनके खिलाफ केवल शिकायत की गई है। एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ठगी की गई राशि लगभग 1 लाख 40 हजार रुपए बताई जा रही है। मंगलवार (5 सितम्बर, 2023) को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक की है।
31 जुलाई को जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की तरफ से आरोपित हारिस उल हक के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत मिली थी। इस शिकायत के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया की तरफ से दिल्ली के जामिया नगर थाने में धोखाधड़ी, विश्वासघात और हेराफेरी की FIR दर्ज हुई थी। शिकायत में बताया गया था कि तुर्की में आए भूकंप के बाद वहाँ के पीड़ितों की मदद के नाम पर आरोपित हारिस उल हक ने छात्रों से पैसे वसूले थे। वसूलीआरोप है कि यह पैसे हारिस उल हक ने अपने निजी कामों में खर्च कर दिए थे।
पुलिस में FIR दर्ज करवाने के बाद 4 अगस्त, 2023 को जामिया मिलिया इस्लामिया प्रशासन ने इस मामले में एक बार फिर मीटिंग की। इस मीटिंग में आरोपित हारिस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई। यूनिवर्सिटी की जाँच में आरोपित हारिस पूर्व में भी अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया। वह साल 2010 में कदाचार के आरोप में सस्पेंड भी हो चुका है। जामिया मिलिया इस्लामिया ने अंतिम फैसले में पाया कि तुर्की भूकंप पीड़ितों के लिए धन जुटाने के अभियान की अनुमति भी हारिस ने किसी सीनियर से नहीं ली थी।
आरोपों की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल हारिस उल हक को सस्पेंड कर दिया गया है। पुलिस और जामिया मिलिया इस्लामिया प्रशासन द्वारा मामले की जाँच की जा रही है। बताते चलें कि 6 फरवरी 2023 को तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप से वहाँ सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी और हजारों बेघर हो गए थे।
शिक्षक हारिस उल हक ने बताया साजिश
हारिस उल हक ने ऑपइंडिया से बातचीत में सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, “तुर्की में भूकंप आने के बाद स्कूल के कुछ छात्र उनके पास आए थे। छात्रों ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह वह भी तुर्की के भूकंप पीड़ितों की मदद करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने चंदा इकट्ठा किया था। चंदा इकट्ठा होने के बाद इसकी जानकारी देने के लिए मैंने वाइस चांसलर नजमा अख्तर को मेल किया था। उन्होंने इस मेल का जवाब देने की जगह मेरे खिलाफ साजिश रचते हुए कार्रवाई करा दी।”
हारिस उल हक ने बताया, “चंदा इकट्ठा होने के बाद स्कूल के छात्रों ने अपने परिजनों के साथ जाकर तुर्की एंबेसी जाकर 1 लाख 45 हजार 540 रुपए जमा किए थे। इसकी रसीद और छात्रों के वहाँ जाने की फोटो भी मेरे पास है। जामिया स्कूल में हो रही गड़बड़ी के खिलाफ मैं आवाज उठाता था। इसलिए मेरे खिलाफ साजिश रचकर यह सब किया जा रहा रहा है। रही बात FIR की तो अब तक सिर्फ शिकायत हुई है। एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।”