Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाज'द कश्मीर फाइल्स में जो देखा वो सिर्फ 5% है': इजरायली फिल्मकार लैपिड के...

‘द कश्मीर फाइल्स में जो देखा वो सिर्फ 5% है’: इजरायली फिल्मकार लैपिड के खिलाफ प्रदर्शन, हिंदू बोले- हमारे घावों पर छिड़का जा रहा नमक

लैपिड ने कश्मीर फाइल्स को ‘प्रोपेगेंडा और अश्लील’ बताने के बाद दो कदम आगे बढ़ गए और कश्मीर में भारतीय नीति को ही गलत ठहरा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें फासीवादी विशेषताएँ हैं। दरअसल, कश्मीर फाइल्स फिल्म 90 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं के पलायन पर आधारित है।

घाटी में पंडितों के नरसंहार पर बनी ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को IFFI जूरी हेड और इजरायल के फिल्म निर्माता नादव लैपिड (Nadav Lapid) द्वारा ‘अश्लील और प्रोपेगेंडा’ बताए जाने पर कश्मीरी पंडित भड़क गए हैं। जम्मू में कश्मीर पंडितों ने लैपिड के बयानों की निंदा की और उसे ‘घाव को नमक मलने’ जैसा बताया।

नादव लैपिड के विरोध में कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन किया। कश्मीरी पंडितों का कहना है कि लैपिड ने वहाँ के नरसंहार, नस्लीय उत्पीड़न, बलात्कार और पलायन पर एक शब्द नहीं बोला, लेकिन उस तथ्य को दिखाने वाली फिल्म को ही प्रोपेगेंडा बता दिया। कश्मीरी पंडितों का पूछना है कि लैपिड की नजर में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार और पलायन हुआ ही नहीं।

रंजन नाम के प्रदर्शनकारी कहते हैं, नादव लैपिड का बयान निंदनीय है। उन्होंने ऐसा बयान देकर जख्म पर नमक रगड़ने का काम किया है। वहीं, एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि पिछले 32 सालों से वे न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन न्याय की जगह इसे प्रोपेगेंडा प्रसारित किया जा रहा है।

एक प्रदर्शनकारी योगेश पंडिता का कहना है, “कश्मीर फाइल्स सिर्फ 5% है। जो हुआ उसका 95% उन्होंने देखा ही नहीं। हम इज़राइल के राजदूत के बयान का स्वागत करते हैं, जो इजरायली फिल्म निर्माता के बयान की निंदा करता है।”

कश्मीरी ऐक्टविस्टस्ट का कहना है कि आजकल हर कोई इस फिल्म को प्रोपेगेंडा बता रहा है और कश्मीरी पंडितों की न्याय की बात कर रहा है, लेकिन सवाल है कि किससे न्याय? इसकी बात कोई नहीं कर रहा है। उन्होंने का कि 30 साल से यही नैरेटिव रचा गया कि कश्मीरी पंडितों को कुछ नहीं हुआ। यह बेहद सोच-समझकर प्रचारित किया गया।

अमित रैना ने कहा कि पहले कश्मीर के पूर्व राज्यपाल जगमोहन को दोषी बताया गया फिर इस फिल्म को बताया जाने लगा। जिन लोगों ने हथियार उठाए और कश्मीरी हिंदुओं की हत्या की, उनको लेकर सवाल नहीं उठाए जा रहे हैं। इस फिल्म ने 32 साल पुराने इस नैरेटिव का भंडाफोड़ कर दिया।

वहीं, एक अन्य कश्मीरी ऐक्टविस्ट सुशील पंडित ने कहा, जहाँ तक कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार का सवाल है तो वह (महबूबा) हिस्ट्रीशीटर हैं। अब तक उन्होंने अपना और अपने पिता का रोल लिमिट करने की कोशिश नहीं की। उस नरसंहार के लिए आज तक किसी को दोषी नहीं ठहराया गया, किसी को सजा नहीं हुई।”

सुशील पंडित ने कहा कि महबूबा जेहादी हैं और हमेशा जेहाद की बात करती हैं। उन्होंने हमेशा जेहादियों को बचाने की कोशिश की है। महबूबा कश्मीरियों की दुश्मन हैं। उन्होंने अपने समय में 300 से अधिक पत्थरबाजों को हायर किया था।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने लैपिड के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “अंतत: किसी ने फिल्म का नाम लिया, जिसे सत्ताधारी दल द्वारा मुस्लिमों, विशेष रूप से कश्मीरियों को नीचा दिखाने और पंडितों एवं मुस्लिमों के बीच की खाई को चौड़ा करने के लिए प्रचारित किया गया था। दुख की बात है कि अब सच को खामोश करने के लिए कूटनीतिक माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा है।”

लैपिड ने कश्मीर फाइल्स को ‘प्रोपेगेंडा और अश्लील’ बताने के बाद दो कदम आगे बढ़ गए और कश्मीर में भारतीय नीति को ही गलत ठहरा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें फासीवादी विशेषताएँ हैं। दरअसल, कश्मीर फाइल्स फिल्म 90 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं के पलायन पर आधारित है। नादव ने कहा कि अगर इस तरह की फिल्म आने वाले वर्षों में इजरायल में भी बनती है तो उन्हें आश्चर्य होगा।

उन्होंने स्थानीय मीडिया Ynet से बात करते हुए कहा, “इस तरह से बोलना और राजनीतिक बयान देना आसान नहीं था। मुझे पता था कि यह एक ऐसी घटना है, जो देश से जुड़ी हुई है। हर कोई यहाँ सरकार की प्रशंसा करता है। यह कोई आसान स्थिति नहीं है, क्योंकि आप एक अतिथि के तौर पर यहाँ पर हैं।”

उन्होंने आगे कहा, आगे कहा, “मैं यहाँ हजारों लोगों के साथ एक हॉल में मौजूद था। हर कोई स्थानीय सितारों को देखने और सरकार की जय-जयकार करने के लिए उत्साहित था। उन देशों में जो तेजी से अपने मन की बात कहने या सच बोलने की क्षमता खो रहे हैं, किसी को बोलने की जरूरत है। जब मैंने यह फिल्म देखी, तो मैं इसके साथ इजरायली परिस्थिति की कल्पना किए बिना नहीं रह सका, जो यहाँ मौजूद नहीं थे। लेकिन, वे निश्चित रूप से मौजूद हो सकते थे। इसलिए मुझे ऐसा लगा कि मुझे यह करना ही पड़ेगा, क्योंकि मैं एक ऐसी जगह से आया हूँ, जहाँ खुद में सुधार नहीं हुआ है। वह खुद भी इसी रास्ते पर है।”

बता दें कि लैपिड वामपंथी विचारधारा से ग्रसित इजरायली फिल्म निर्माता है। इसने अब तक कुल 13 फिल्में डायरेक्ट की हैं। नादव लैपिड को इजरायल से नफरत वाले व्यक्ति के रूप में देखा जाता है। यहूदियों के एक मात्र देश और उसकी मातृभूमि को लेकर नादव लैपिड के विचार कितने अच्छे हैं, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसके विचारों में इजरायल के विरोधी देश फिलीस्तीन की तरफदारी नजर आती है।

एक इंटरव्यू में लैपिड ने अपनी फिल्म ‘सिनोनिम्स’ पर बात करते हुए इजरायल को लेकर कहा था, “फिल्म इजरायल की आत्मा के बारे में बात करती है। इजरायल की आत्मा एक बीमार आत्मा है। इजरायल के अस्तित्व के गहरे सार में कुछ गलत सा सड़ा हुआ है। यह गलत सिर्फ बेंजामिन नेतन्याहू (इजरायल के प्रधानमंत्री) नहीं है। बल्कि, मुझे लगता है कि इस इजरायली बीमारी या प्रकृति की विशेषता युवा इजरायली लोग हैं जो मस्कुलर बॉडी देखकर खुश होते हैं। लेकिन, न तो कोई सवाल नहीं उठाते हैं और न ही कोई संदेह नहीं करते। उन्हें सिर्फ इजरायली होने में गर्व होता है।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

भारत में न्यूक्लियर टेस्ट हो या UN में दिया हिंदी वाला भाषण… जानें अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन कैसे दूसरे नेताओं के लिए भी...

अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक सशक्त राजनेता थे, बल्कि वे एक संवेदनशील कवि, एक दूरदर्शी विचारक और एक फक्कड़ व्यक्तित्व के धनी थे।

‘शायद शिव जी का भी खतना…’ : महादेव का अपमान करने वाले DU प्रोफेसर को अदालत से झटका, कोर्ट ने FIR रद्द करने से...

ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को ले कर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले एक प्रोफेसर को दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है।
- विज्ञापन -