Thursday, November 7, 2024
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जम्मू-कश्मीर में रह रहे म्यांमार और बांग्लादेश के घुसपैठियों की बनेगी लिस्ट: हाई कोर्ट का आदेश, 6 हफ्तों का दिया समय

"सरकारी खजाने से बांग्लादेशी और म्यांमार के अवैध प्रवासियों को दिए गए सभी लाभों को वापस ले लिया जाए और जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए योजना और लाभों को वापस दिया जाए।"

जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश के गृह सचिव आरके गोयल को म्यांमार और बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उनकी एक लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह सूची 6 हफ्ते में बनानी होगी। मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मोक्ष खजूरिया काजमी की पीठ ने यह आदेश बुधवार (6 अप्रैल, 2022) को एडवोकेट हुनर गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। 

हुनर गुप्ता ने अपने याचिका में माँग की थी कि म्यांमार और बांग्लादेश के उन सभी अवैध प्रवासियों की पहचान की जाए, जो वहाँ से आकर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में बस गए हैं। जनहित याचिका में म्यांमार और बांग्लादेश के सभी अवैध प्रवासियों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश देने की भी माँग की गई है। हुनर गुप्ता ने इसके पीछे तर्क दिया कि जम्मू कश्मीर सरकार ने इनके लिए कोई रिफ्यूजी कैंप नहीं बनाया है और न ही यूनाइटेड नेशन ने जम्मू कश्मीर में इनके लिए किसी शिविर को स्थापित करने की घोषणा की थी।

इसके अलावा याचिकाकर्ता ने माँग की कि सरकारी खजाने से बांग्लादेशी और म्यांमार के अवैध प्रवासियों को दिए गए सभी लाभों को वापस ले लिया जाए और जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए योजना और लाभों को वापस दिया जाए। एडवोकेट गुप्ता का कहना था कि प्रवासी जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए बनी योजनाओं के तहत सरकारी मदद का लाभ उठा रहे हैं। साथ ही याचिका में जम्मू-कश्मीर में बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध प्रवासियों की संख्या में अचानक वृद्धि की ओर भी इशारा किया गया है।

याचिका में कहा गया कि सरकार के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में 13,400 म्यांमार और बांग्लादेशी अवैध अप्रवासी रह रहे थे। हालाँकि, वास्तविक आँकड़ें इससे कहीं अधिक हैं। 1982 में म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को गैर-राष्ट्रीय घोषित कर दिया, जिसके कारण उनका पड़ोसी बांग्लादेश, थाईलैंड और यहाँ तक ​​कि पाकिस्तान में प्रवास हुआ। हालाँकि, इन देशों में उनका स्वागत नहीं किया गया। जिसके बाद इन लोगों ने अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ किया। बांग्लादेश और म्यांमार के इन अवैध अप्रवासियों ने जम्मू कश्मीर की जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया। कई अवैध प्रवासियों ने अवैध रूप से राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड और साथ ही स्थायी निवासी प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है।

आगे उन्होंने इनके देश-विरोधी गतिविधियों की तरफ भी इशारा किया। याचिका में कहा गया कि वह देश के दुश्मनों के इशारे पर विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों जैसे मादक पदार्थों की तस्करी, हवाला लेनदेन आदि में संदिग्ध हैं। याचिका में कहा गया कि बांग्लादेश और म्यांमार के अवैध प्रवासियों के कारण, जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के साथ-साथ भारत विरोधी गतिविधियों में वृद्धि होगी। 

इस पर कोर्ट ने कहा कि इससे पहले, सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य में म्यांमार और बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जाँच के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन किया था। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि मई 2017 में, मंत्रियों के समूह को इस मामले को उठाना था, इसकी जाँच करनी थी और इसकी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और इस बीच, जम्मू और कश्मीर राज्य विभाजित किया गया था और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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