कहा जाता है अगर क्षमता हो तो इंसान क्या नहीं कर लेता, साधारण मिट्टी से भगवान की मूरत बनाने वाला एक कारीगर, मूर्ति निर्माण करके न केवल अपनी कारीगरी को जीवंत करता है अपितु उस मिट्टी को भी पूजन योग्य बना देता है, जिसके ज़मीन पर पड़े रहने की वज़ह से लोग केवल उसे धूल समझते हैं।
अपनी क्षमता का विस्तार करते हुए कुछ ऐसा ही कारनामा गुजरात के आणंद जिले में आने वाले झरोखा गाँव के जयेश पटेल ने कर दिखाया है। अभी तक आपको गाय का गोबर सिर्फ उपला (कंडा) बनाने वाली चीज़ लगती होगी। लेकिन जयेश ने गोबर से वो सभी चीज़ें निर्मित की हैं, जिनके बारे में कोई आम सोच वाला व्यक्ति सोच भी नहीं सकता है।
पर्यावरण का ख़्याल रखते हुए जयेश ने गोबर की मदद से इकोफ्रेंडली गमले, प्लाईवुड और अगरबत्ती निर्मित की है, जिनकी बिक्री गुजरात में धड़ल्ले से हो रही है। जयेश आज के समय में न केवल गाय का दूध बेचकर पैसे कमा रहे हैं, बल्कि गाय के गोबर से कई प्रयोग करके भी वो मालामाल हो रहे हैं।
जयेश हमारे आज के समाज में एक प्रेरणा की तरह हैं, जो अपने कार्य से इस बात की शिक्षा देते हैं कि गाय कोई ऐसा जानवर नहीं है, जिसका लालन-पालन केवल दूध के लालच में किया जाए।
जयेश के पास एक या दो गाय नहीं है बल्कि 15 गाय है। वो बेहद खुलकर इस पर बात करते हुए कहते हैं कि वो पहले गाय का दूध बेचकर पैसे कमा रहे थे लेकिन अब वो गाय के गोबर के प्रयोग से और भी ज्यादा धनवान बनते जा रहे हैं।
जयेश को एक किलो गोबर से 10 रुपए मिलते हैं और रोज़ाना के हिसाब से वो पूरे 14 से 15 किलो गोबर बेचते हैं। अपने द्वारा किए जा रहे गोबर के साथ प्रयोगों से हटकर जयेश ने बताया कि यदि चाहें तो इससे जैविक खाद बनाकर ऊँचे दामों पर बेचा जा सकता है।
इसके अलावा जयेश ने बताया कि वो गाय के गोबर का अधिक से अधिक उपयोग करने की कोशिशें करते हैं। इसलिए उन्होंने गोबर को सुखाने की मशीन भी बनाई है।
इस मशीन में वो गाय के गोबर को पहले सुखाते हैं और फिर उसका पाउडर बनाते हैं। इस पाउडर से वो अलग-अलग प्रॉडक्ट बनाने का प्रयास करते हैं और जो नहीं बना पाते हैं, उसे वो कच्चे माल के रूप में बेच कर भी पैसा कमा लेते हैं। अपने इस अनोखे विचार के कारण जयेश को गुजरात सरकार द्वारा 10 अवार्ड भी दिया जा चुका है।