पिछले साल 5 लड़कियों के साथ रेप करने के मामले में झारखंड के खूँटी की अदालत में एक पादरी समेत 6 लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इनमें से एक केस पीड़िताओं की ओर से दर्ज करवाया गया था जबकि दूसरा एक एनजीओ की ओर से। युवतियों की शिकायत पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राजेश कुमार की अदालत ने 17 जून 2019 को स्थानीय चर्च के फादर अल्फांसो आइंद, बाजी सामद उर्फ टकला, अजुब सांडीपूर्ति, जोनास मुंडा, जॉन जुनास तिड़ू और बलराम सामद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन, ताजा जानकारी के मुताबिक एनजीओ की शिकायत पर सुनवाई के दौरान इन सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने यह फैसला गवाहों के अदालत में समय से पेश न होने के कारण लिया।
प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक खूँटी के न्यायधीश राजेश कुमार की अदालत ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले गैर सरकारी संगठन के संचालक संजय शर्मा तथा अन्य गवाहों के अदालत में पेश नहीं होने के कारण साक्ष्य के अभाव में इस मामले के आरोपित पादरी अल्फांसो सहित सभी 6 आरोपितों को बुधवार को बरी कर दिया। आरोपितों की ओर से अधिवक्ता सुभाशीष सोरेन ने जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट की ओर से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी अभियोजन पक्ष की ओर से एनजीओ के वाहनचालक के अलावा कोई भी गवाह अदालत में पेश नहीं हुए। जिस कारण कोर्ट ने उनकी गवाही बंद कर दी। सोरेन ने कहा कि मामले के शिकायतकर्ता एनजीओ संचालक संजय शर्मा के पेश न होने से इस मामले में दर्ज कराई गई दूसरी प्राथमिकी की अदालत में पुष्टि ही नहीं हो सकी।
पूरा मामला:
यह मामला 19 जून 2018 का है। जब कोचांग के गाँव स्थित स्कॉट मैन मिडिल स्कूल में नुक्कड़ नाटक करने आई 5 लड़कियों का अपहरण कर उनका बलात्कार किया गया था। एफआईआर के मुताबिक 18 जून 2018 को खूँटी के पिस्टाकोली में आशा किरण नाम की संस्था के कुछ लोग नुक्कड़ नाटक करने पहुँचे थे। इनका उद्देश्य लोगों में सरकारी योजनाओं को लेकर जागरूकता फैलाना था।
नाटक के दौरान टीम की एक सिस्टर को एक व्यक्ति मिला, जिसने खुद को कोचांग का मुखिया बताया। उसने सिस्टर से कहा कि उसे उनका कार्यक्रम पसंद है और वह चाहता है कि कोचांग में भी ऐसे कार्यक्रम किए जाएँ। मीडिया खबरों के मुताबिक पहले तो सिस्टर ने वहाँ नाटक करने से मना कर दिया, लेकिन बाद में व्यक्ति के कहने पर टीम वहाँ जाने को तैयार हो गई। 19 जून को टीम वहाँ पहुँची और बाजार में नुक्कड़ नाटक शुरू हुआ।
इस दौरान टीम की दोनों सिस्टर बगल के स्कूल के फादर से मिलने चली गईं, जहाँ बाद में पूरी टीम को भी बुलाया गया, यहाँ भी टीम ने नुक्कड़ नाटक किया। इसके बाद वहाँ 2 लड़के फादर से बात करने आए। बात खत्म हुई तो फादर ने टीम की लड़कियों को उन लड़कों के साथ जाने के लिए कहा, जब लड़कियों ने विरोध किया तो हथियारों के बल पर लड़कियों को लड़कों के साथ भेजा गया।
इसके बाद सुनसान जगह ले जाकर उनका रेप किया गया। उनके गुप्तांगों पर सुलगती सिगरेट दागी गई। उन्हें पेशाब पिलाया गया। जब लड़कियों ने इसकी शिकायत फादर से की तो अल्फांसो ने उन्हें धमकी दी कि अगर उन्होंने इस घटना का जिक्र किसी से किया तो उनके माता-पिता को मार दिया जाएगा। 20 जून को जब इस बात की जानकारी पुलिस को मिली तो बड़ी मुश्किल से पुलिस ने एक लड़की को बयान के लिए राजी किया। जिसके बाद इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की गई। अभियोजन की ओर से इस मामले में सिर्फ एक गवाही दर्ज कराई गई थी और एनजीओ की युवतियों और अन्य सहकर्मियों की गाड़ी का ड्राइवर संतोष हेंब्रम ही इस मामले में अपनी गवाही देने अदालत पहुँचा था।
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