नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद पूरे देश में इस्लामिक कट्टरपंथियों और वामपंथियों ने उत्पात मचाया। विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंदू विरोधी नारे लगाए गए। ‘फक हिंदुत्व’ लिखकर ‘ऊँ’ चिह्न का भरी दुनिया के सामने अपमान हुआ। हालाँकि, इतना सब देखने के बाद ये साफ हो गया था कि इन प्रदर्शनकारियों के भीतर हिंदुओं को लेकर गहरी नफरत है। लेकिन, 10 जनवरी की मध्यरात्रि इस इस्लामिक भीड़ के असल मनसूबों का खुलासा भी सरेआम हो गया, जब शाहीन बाग के प्रोटेस्ट में जिन्ना वाली आजादी के नारों से पूरा इलाका गूँज उठा और वहाँ किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई।
#ShaheenBagh asks for #Azaadi at 2AM, 10th Jan. The mood here ??? pic.twitter.com/0zsvWishsQ
— IRFAN AHMAD (@Irfu39) January 9, 2020
शाहीन बाग में 10 जनवरी की देर रात 2 बजे लगे नारों में जिन्ना का नाम सुना जा सकता है। वायरल वीडियो में देख सकते हैं कि एक शख्स मंच से आजादी के नारे लगा रहा है, जिसके बोल हैं “हम लड़के लेंगे आजादी। नेहरू वाली आजादी। गाँधी वाली आजादी। भगत वाली आजादी। अश्फाक वाली आजादी। जिन्ना वाली आजादी। दिल्ली वाली आजादी…।”
यहाँ प्रदर्शन के दौरान किसी भी व्यक्ति को समझ आ सकता है कि ये वामपंथी और कट्टरपंथी धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़कर ‘नेहरू वाली आजादी की माँग कर रहे हैं। जिसे अपने दौर में नेहरू ने अल्पसंख्यकों को सुपुर्द किया था। लेकिन यहाँ ‘जिन्ना वाली आजादी’ चिल्लाने का क्या मतलब है? बता दें जिन्ना वही शख्स है, जिसने भारत के 2 टुकड़े किए और इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान बनाया। इसका तो मतलब यही है कि जो भीड़ जिन्ना जैसी आजादी चाहता है, वो एक बार फिर देश को तोड़ना चाहता है। ताकि एक और पाकिस्तान बने, जहाँ के कायदे-कानून सब इस्लाम के अनुसार हों।
जिन्ना का दो राष्ट्र सिद्धांत (Two Nation Theory) का आधार यही था कि मुस्लिम हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते हैं। इस थ्योरी में बताया गया था कि हर परिभाषा के अनुसार हिंदू-मुस्लिम के लिए दो अलग-अलग राष्ट्र होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मुस्लिमों के अलग रिवाज़ हैं, अलग मजहब है। इसके अलावा मुस्लिम सामाजिक एवं नैतिक हर बिंदु से हिंदुओं से अलग है। इसलिए मुस्लिमों के पास भारत जैसी अपनी एक जमीन होनी चाहिए। वो भी वहाँ, जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक हों और जहाँ इस्लाम सबसे शक्तिशाली मजहब हो।
गौरतलब है कि उस दौरान भी जिन्ना की ये विचारधारा मुस्लिमों को जगाने के नाम पर उठी थी, जिसने भारत को 2 टुकड़ों में बाँट दिया था। संविधान के जनक डॉ बीआर अम्बेडकर ने कई बार मुहम्मद अली जिन्ना की और उनकी 14 माँगो की आलोचना की थी। जिनमें वंदे मातरम को खारिज करना और मुस्लिमों को गाय काटने की आजादी देना, मुस्लिम लीग के झंडे को बराबर सम्मान देना जैसे बिंदु थे। इन सभी बिंदुओं का जिक्र ‘Pakistan or the partition of India’ नामक बुक के 11वें अध्याय में डॉ अंबेडकर ने खुद किया है। ये डॉ बीआर अंबेडकर का ही मत था कि मुस्लिम अपनी माँगों से हिंदुओं को शोषण कर रहे हैं। ताकि हिंदु उनके बिंदुओं को नकार दें।
आज जब शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी पाकिस्तान से प्रताड़ित हिंदुओं को नागरिकता देने का विरोध कर रहे हैं, तो साफ पता चलता है कि ये जिन्ना की विचारधारा से प्रभावित भीड़ है। जो अब बिना किसी शर्म के ‘जिन्ना जैसी आजादी’ के नारे खुलेआम लगा रहे हैं। और वो हर शख्स, जो भारत में रहते हुए जिन्ना वाली आजादी की माँग कर रहा है। वो चाहता है कि हिंदुओं और मुस्लिमों को अलग राष्ट्र मिले। जिसमें मुस्लिम अलग रहे और देश एक बार फिर दो टुकड़ों में बँटे, जिसका एक हिस्सा कोई नया पाकिस्तान कहलाए।
बता दें कि बीते दिनों सीएए के ख़िलाफ़ हुए दंगों में देश ने इस्लामिक भीड़ का एक अलग ही चेहरा देखा। ये याद रखने वाली बात है कि खुद को भारत का नागरिक कहने वाले लोग एक तरफ देश में धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हैं, वहीं दूसरी तरफ ये लोग हिंदुओं से आजादी की माँग कर रहे थे। और हिंदू विरोधी नारों के साथ उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली में हिंसा मचा रहे थे। ख़िलाफत 2.0 का संदेश दे रहे थे और ला इलाहा इल्लल्लाह के नारे लगा रहे थे।