Monday, November 11, 2024
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आनी थी डोली, आ रही अर्थियाँ: बच्चे-बुजुर्ग, औरत-मर्द… अब तक 35 मौत, दिसंबर की एक त्रासदी जिसकी चर्चा कम हुई

किसी हादसे में एक ही परिवार के इतने सारे लोगों की मौत का मामले ने राजस्थान को हिला कर रख दिया है। खासकर जोधपुर शहर में घटना को लेकर मातम का माहौल है। लोग बस किसी तरह से मौत के इस दर्दनाक सिलसिले के खत्म हो जाने की दुआ कर रहे हैं।

जोधपुर के शेरगढ़ का भूंगरा गाँव। इस गाँव के एक परिवार में 8 दिसंबर 2022 को जश्न का माहौल था। नाते-रिश्तेदारों की हँसी से आँगन खिलखिला रहा था। शाम को बारात जानी थी। बहू की डोली आनी थी। लेकिन एक त्रासदी ने चंद सेंकेंड के भीतर सब कुछ बदल डाला। न बारात गई। न डोली आई। न बैंड बाजा बजा। उस त्रासदी के बाद से इस परिवार के 35 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, औरत से लेकर मर्द तक शामिल हैं। कई अभी भी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे है। बावजूद इसके राजस्थान का प्रशासन अड़ियल बना रहा तो 18 दिसंबर को मार्च करने के लिए पूरा शहर ही सड़क पर उतर आया।

8 दिसंबर की रात सुरेंद्र की बारात निकलने वाली थी। घर में खुशी का माहौल था। महिलाएँ मंगल गीत गा रही थीं। बच्चे इधर-उधर खेल रहे थे। कुछ ही देर में घर में रखे दो सिलिंडर ब्लास्ट हो गया और एक ही पल में सब कुछ तबाह हो गया। घर में खुशी का माहौल एक ही झटके में गम में तब्दील हो गया। दो बच्चों ने तो मौके पर ही दम तोड़ दिया। हादसे में 63 लोग घायल हो गए थे। इनमें से 51 को जोधपुर के सरकारी अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया।

घायलों में से 35 की हालत काफी खराब थी और ये लोग 60 प्रतिशत से ज्यादा जल चुके थे। अन्य लोगो की बर्न इंजरी 40 प्रतिशत के आसपास थी। बीते कई दिनों से घायलों में से किसी न किसी की मौत हो रही है। परिवार के अधिकतर लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में गाँव वाले ही पीड़ित परिवार का सहारा बन रहे हैं और सदस्यों के अंतिम संस्कार में मदद कर रहे हैं।

किसी हादसे में एक ही परिवार के इतने सारे लोगों की मौत का मामले ने राजस्थान को हिला कर रख दिया है। खासकर जोधपुर शहर में घटना को लेकर मातम का माहौल है। लोग बस किसी तरह से मौत के इस दर्दनाक सिलसिले के खत्म हो जाने की दुआ कर रहे हैं। घटना के बाद मुआवजे को लेकर राजस्थान सरकार निशाने पर आ गई है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार (15 दिसंबर 2022) को भी घायलों में से चार की मौत हो गई थी। इसके बाद मृतकों के परिजनों ने मुआवजे की माँग को लेकर शव को लेने से इनकार कर दिया और अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए। वहीं रविवार को पीड़ितों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और जोधपुर कलेक्ट्रेट तक मार्च किया। आखिरकार देर रात मुआवजे को लेकर सहमति बनी। बकौल दैनिक भास्कर, संभागीय आयुक्त कैलाश चंद्र मीणा ने बताया कि मृतकों के परिजनों को 17 लाख रुपए व आश्रितों को संविदा पर नौकरी पर सहमति बनी है और इसके लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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