उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। जमीन लगातार धँसती जा रही है। इस बीच जमीन धँसने के कारण जोशीमठ-औली रोपवे पर दरार पड़ गई थीं। इसलिए अब, इस रोपवे को बंद कर दिया गया है। वहीं, जोशीमठ के पास स्थित सेलंग गाँव के खेतों और घरों में दरार पड़ने की खबरें आ रहीं हैं।
एशिया के सबसे बड़े रोपवे जोशीमठ-औली रोपवे को लेकर इसके मैनेजर दिनेश भट्ट ने मीडिया से बात करते हुए कहा है, “रोपवे के टावर नंबर 1 के पास दरारें दिखाई देने के बाद प्रशासन द्वारा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे अस्थायी रूप से बंद किया गया है। अगले आदेश तक यह बंद रहेगा।”
Joshimath, Uttarakhand| Cracks have surfaced on the ropeway platform since yesterday. I have sent the report to higher authorities. Ropeway has been stopped since 5th January due to the situation in Joshimath: Dinesh Bhatt, Manager, Ropeway pic.twitter.com/2F5sHNOxcE
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 14, 2023
उन्होंने यह भी कहा है, “जोशीमठ में भूस्खलन (भू-धँसाव) बढ़ता जा रहा है। जोशीमठ को औली से जोड़ने वाला 4.15 किमी लंबा रोपवे भी खतरे में आ गया है। रोपवे के प्लेटफॉर्म के पास दरारें आ गई थीं।”
उत्तराखंड में जोशीमठ के आलावा कुछ अन्य जगहों पर भी भू-धँसाव की घटनाएँ सामने आईं हैं। जोशीमठ से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित गाँव, सेलंग का भी हाल जोशीमठ जैसा होने की आशंका जताई जा रही है। दरअसल, सेलंग के कई घरों और खेतों में दरारें पड़ना शुरू हो गईं हैं। इसलिए, जोशीमठ की स्थितियों को देखने के बाद स्थानीय ग्रामीण बेहद डरे हुए हैं।
सेलंग के लोग अपनी दुर्दशा के लिए एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। दरअसल, इस परियोजना के लिए गाँव के नीचे से सुरँगे बनाई गई है। ऐसे में, गाँव वालों का कहना है कि इन सुरँगों के चलते ही यहाँ दरारें पड़ रहीं हैं। सेलंग गाँव में रहने वाले विजेंद्र लाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि जुलाई 2021 में सुरंग के मुहाने पर बना एक होटल ढह गया था। यही नहीं, यहाँ बने एक पेट्रोल पंप में भी दरार आई थी। जहाँ, होटल ढहा था, वहाँ कुछ घर भी बने हैं। ऐसे में, घरों के ढहने की भी आशंका है।
विजेंद्र लाल ने दावा किया है, “एनटीपीसी ने गाँव के नीचे 9 सुरंगे बनाई हैं। सुरँग बनाने के लिए बहुत सारे विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। इससे यहाँ बने घरों की नींव कमजोर हो चुकी है।” उन्होंने यह भी कहा है कि गाँव के करीब 15 घरों में दरार आ चुकी है।
सेलंग गाँव के सरपंच शिशुपाल सिंह भंडारी का कहना है कि एनटीपीसी परियोजना के चलते यहाँ के लोगों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। गाँव की स्थिति को लेकर कई आवेदन भेजे हैं लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ। एक दशक पहले जब एनटीपीसी ने यहाँ सुरंग बनाना शुरू किया था, तभी से यहाँ नुकसान हुआ शुरू हो गया था।