बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसएस शिंदे ने 19 जुलाई, 2021 को आतंकवाद के आरोपित स्टेन स्वामी की तारीफों के पुल बाँधे। बता दें कि स्टेन स्वामी नक्सली था। साथ ही वो भीमा-कोरेगाँव मामले में आरोपित भी था। अब एक समूह ने देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिख कर कहा है कि जस्टिस शिंदे को भीमा-कोरेगाँव केस से अलग होने को कहा जाए। ‘लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी (LRO)’ नामक संस्था ने ये पत्र लिखा है।
CJI एनवी रमना को लिखे गए पत्र में LRO ने कहा है कि वो एक ऐसे मुद्दे की तरफ उनका ध्यान दिलाना चाहता है, जो काफी गंभीर है। साथ ही जस्टिस शिंदे के बयान का जिक्र किया गया। उन्होंने कहा था, “सामान्य तौर पर हमारे पास वक्त नहीं होता लेकिन मैंने अंतिम संस्कार (स्वामी का) देखा। यह बहुत सम्मानजनक था। वह काफी शानदार व्यक्ति थे। उन्होंने समाज के लिए काम किया था। उनके कार्य के प्रति बहुत सम्मान है। कानूनन, उनके खिलाफ जो भी है वह अलग मामला है।”
साथ ही जस्टिस एसएस शिंदे ने स्टेन स्वामी के ‘मानवीय कार्यों’ का जिक्र करते हुए उनकी प्रशंसा की थी। साथ ही कहा था कि मेडिकल बेल एप्लिकेशन पर विचार करने के दौरान भी ये सब देखा जाता है। साथ ही ये भी कहा था कि स्टेन स्वामी के खिलाफ जो कुछ भी था, वो एक अलग मुद्दा है। निधन के बाद स्टेन स्वामी की प्रशंसा करते हुए जस्टिस शिंदे ने उसे प्रतिष्ठित और दयालु करार दिया था।
Appeal- Justice SS Shinde of Bombay HC has “Great Respect” for terror accused #Catholic Father Stan Swamy.
— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) July 26, 2021
We have drafted letter to CJI to look into matter to force said judge to recuse himself from #KoregaoBhima hearing. PleaseDM or email your consent to add your name in it+ pic.twitter.com/H2WGsk7tEK
LRO ने अपने पत्र में कहा कि स्टेन स्वामी को लेकर इस तरह का बयान देकर जस्टिस एसएस शिंदे ने ‘न्यायिक उपयुक्तता’ का उल्लंघन किया है। साथ ही याद दिलाया है कि ये सब उन्होंने इसके बावजूद कहा, जब वो स्टेन स्वामी की जमानत याचिका से लेकर भीमा-कोरेगाँव से जुड़े अन्य मामलों की भी सुनवाई कर रहे हैं। LRO ने कहा है कि एक बड़े आपराधिक मामले के आरोपित के ‘कार्यों’ की तारीफ़ करने वाले जज की निष्पक्षता और न्याय पर सवाल खड़े होते हैं।
LRO ने कहा कि भले ही जस्टिस एसएस शिंदे ने अपना बयान वापस ले लिया हो, लेकिन उन्हें न्याय व्यवस्था के हित में भीमा-कोरेगाँव से जुड़े सभी मामलों से खुद को अलग कर लेना चाहिए। LRO ने सोशल मीडिया पर इस पत्र को साझा करते हुए कहा कि स्टेन स्वामी के लिए ‘बड़ा सम्मान’ रखने वाले जस्टिस शिंदे को भीमा-कोरेगाँव से जुड़े मामलों की सुनवाई से हट जाना चाहिए। 84 वर्षीय स्टेन स्वामी को NIA ने गिरफ्तार किया था और वो जेल में बंद था।