Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाजढाई साल पहले बलिदान हुए जवान की पत्नी ज्योति बनीं सेना में लेफ्टिनेंट... जानिए...

ढाई साल पहले बलिदान हुए जवान की पत्नी ज्योति बनीं सेना में लेफ्टिनेंट… जानिए संघर्ष और देशप्रेम की कहानी

बलिदान दीपक 40 दिन तक अस्पताल में रहे थे और उनका इलाज पुणे के पैराप्लेजिक रिहैब सेंटर में चला था। साल 2018 में जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में एक ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की गोलियाँ दीपक के फेफड़े में लगी थीं।

आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में मई 2018 में कश्मीर के कुलगाम में बलिदान होने वाले नायक दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट हैं। ज्योति शनिवार (20 नवम्बर 2021) को चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पास आउट हो गईं हैं। पति के बलिदान के बाद उन्होंने भी सेना में जाने का फैसला किया था। आखिरकार लगभग 3 वर्ष बाद उनकी मेहनत रंग लाई है।

रिपोर्ट के अनुसार, ज्योति नैनवाल और उनके पूरे परिवार के लिए यह बेहद भावनात्मक समय है। ज्योति ने सेना में वही शपथ ली, जो उनके वीरगति को प्राप्त पति ने कभी ली थी। उनके 2 बेटे भी उनके साथ सेना की वर्दी में नजर आए। वहीं, बेटी लावण्या चौथी क्लास की छात्रा है। बेटा रेयांश कक्षा एक में पढ़ रहा है। दोनों बच्चे अपने पिता और माँ की तरह फौजी बनना चाहते हैं। लेफ्टिनेंट ज्योति के अनुसार, पति के बलिदान होने से पहले उन्होंने नौकरी के लिए कभी सोचा भी नहीं था।

ज्योति ने बताया कि पति के घायल होने के उन्होंने देखा कि सेना अपने जवानों का कितना अच्छे से ध्यान रखती है। इसके लिए उन्होंने सेना की महार रेजिमेंट का धन्यवाद भी किया है। ज्योति ने टेस्ट पास कर के 11 माह की ट्रेनिंग तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई स्थित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में लिया था।

ज्योति नैनवाल की उम्र लगभग 33 वर्ष है। ज्योति एक सशक्त नारी के रूप में बताना चाहती हैं कि बच्चों को माँ के अलावा किसी और से प्रेरणा लेने की जरूरत ही न पड़े। ज्योति ने देश के दुश्मनों को ललकारते हुए कहा कि उनके मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने दिया जाएगा। ज्योति के पति नायक दीपक नैनवाल मुख्यतः देहरादून के हर्रावाला स्थित सिद्धपुरम के निवासी थे।

बलिदान दीपक 40 दिन तक अस्पताल में रहे थे और उनका इलाज पुणे के पैराप्लेजिक रिहैब सेंटर में चला था। साल 2018 में जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में एक ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की गोलियाँ दीपक के फेफड़े में लगी थीं। उनके शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। आख़िरकार वे वीरगति को प्राप्त हो गए। दीपक की तीन पीढ़ियों ने देश की सेवा की है। शहीद दीपक के दादा सुरेश चंद नैनवाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। दीपक के पिता चक्रधर नैनवाल भी रिटायर्ड फौजी हैं। उन्होंने 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के साथ कारगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -