मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाँजे व मोजर बिअर के पूर्व कार्यकारी निदेशक रतुल पुरी को 354 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया है। रतुल पुरी को सोमवार (अगस्त 19, 2019) देर रात गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दायर 354 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में की गई है।
Businessman Ratul Puri was arrested by Enforcement Directorate (ED) in connection with a bank fraud case, yesterday. He will be produced before a court, today. (file pic) pic.twitter.com/OOepxF3kHF
— ANI (@ANI) August 20, 2019
रतुल पुरी की गिरफ्तारी के बाद मोजर बिअर ने बयान जारी कर गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कंपनी का कहना है कि उसने सभी कानून का पालन किया है।
Moser Baer statement: The arrest by Enforcement Directorate is unfortunate. Moser Baer had operated in accordance with all legal compliances and this case now, when Moser Baer is in National Company Law Tribunal (NCLT), is motivated. https://t.co/nISXXkFZD2
— ANI (@ANI) August 20, 2019
बता दें कि, रतुल पुरी के खिलाफ शनिवार (अगस्त 17, 2019) को सीबीआई ने केस दर्ज किया था। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 354.51 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में रतुल पुरी के अलावा कंपनी मोजर बिअर इंडिया लिमिटेड (एमबीआईएल), कंपनी के प्रबंध निदेशक दीपक पुरी (रतुल के पिता), कंपनी की पूर्णकालिक निदेशक नीता पुरी (रतुल की माँ और कमलनाथ की बहन) के साथ ही कंपनी के अन्य निदेशक संजय जैन और विनीत शर्मा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इन पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सेंट्रल बैंक ने एक बयान में बताया कि रतुल ने 2012 में कार्यकारी निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनके माता-पिता निदेशक मंडल में बने रहे। एफआईआर दर्ज होने के बाद जाँच एजेंसी ने दिल्ली में ओखला इंडस्ट्रियल एरिया स्थिर मोजर बिअर के ऑफिस और न्यू फ्रेंड्स कॉलेनी स्थित पुरी आवास समेत 6 जगहों पर छापे मारे थे।
बैंक ने अपनी शिकायत में कहा था कि कंपनी ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से अनुमति लिए बिना सहायक कंपनियों की ओर से 2051.87 करोड़ रुपए की कॉर्पोरेट गारंटी दी। एमबीआईएल ने 29 नवंबर, 2014 को अनुचित तरीके से बैंक को 354.51 करोड़ रुपए का नुकसान पहुँचाया, जिससे कंपनी को गैरकानूनी तरीके से लाभ हासिल हुआ।