Sunday, December 22, 2024
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तिलक और कलावा देख रमेश बाबू को मारी गोली, ISIS आतंकी आतिफ और फैजल को अब मिलेगी सजा: सीरिया भेजा था हत्या का Video

कत्ल के लिए रमेश को ही चुनने की वजह दोनों ने उनके हाथ में कलावा और माथे पर तिलक होना बताया था। जाँच के दौरान यह भी सामने आया था कि आतिफ और फैज़ल ने रमेश बाबू की हत्या से पहले वीडियो रिकार्डिंग भी की थी।

कानपुर के जाजमऊ में 24 अक्टूबर 2016 को हुए शिक्षक रमेश बाबू हत्याकांड में अदालत आज फैसला सुनाएगी। इस मामले में आरोपित फैज़ल और आतिफ हैं जिन्हे NIA/ATS के विशेष अदालत ने 4 सितम्बर 2023 को ही दोषी ठहरा चुकी है। अभियोजन पक्ष जहाँ फैज़ल और आतिफ के लिए मृत्युदंड की माँग कर रहा है वहीं बचाव पक्ष दोनों की सजा को कम से कम कराने का प्रयास करेगा। बता दें कि ISIS की विचारधारा वाले फैज़ल और आतिफ ने रिटायर्ड टीचर रमेश बाबू को माथे पर तिलक और हाथ में कलावा देख कर मार डाला था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह केस लगभग 78 महीने तक चला। जहाँ अभियोजन पक्ष ने फैज़ल और आतिफ द्वारा रमेश बाबू हत्याकांड में शामिल होने के तमाम सबूत पेश किए गए वहीं बचाव पक्ष आरोपों को नकारता रहा। अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 29 गवाह पेश हुए थे। इन गवाहों में उत्तर प्रदेश सरकार में वर्तमान राज्यमंत्री असीम अरुण भी शामिल हैं। ट्रायल के दौरान असीम अरुण ATS के IG पद पर तैनात थे। हालाँकि जाँच एजेंसी ने कुल 64 गवाहों के बयान दर्ज करवाए थे। सबूत के तौर पर 61 दस्तावेज भी जमा हुए थे। मृतक की पत्नी ने आतिफ और फैसल को फाँसी की ही सजा मिलने पर अपने कलेजे को ठंडक मिलने की बात कही है।

क्या था घटनाक्रम

कानपुर के चकेरी थानाक्षेत्र के विष्णुपुरी कालोनी में रहने वाले रमेश बाबू 24 अक्टूबर 2016 को कॉलेज से पढ़ा कर घर लौट रहे थे। रास्ते में खड़े 2 युवकों ने उन्हें गोली मार दी। इस हमले में रमेश बाबू की मौके पर ही मौत हो गई। तब पुलिस ने अज्ञात हमलावरों पर FIR दर्ज कर के जाँच शुरू की। हालाँकि घटना के 7 माह बीत जाने पर भी हमलावरों का कुछ अता-पता नहीं चल पाया। इस बीच 7 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश ATS की लखनऊ में उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट के साजिशकर्ता सैफुल्लाह से मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में सैफुल्लाह मारा गया पर उसके पास से बरामद हथियार चकेरी में रमेश बाबू की हत्या में प्रयोग हुए पाए गए।

सैफुल्लाह केस की जाँच में UP ATS के साथ NIA भी शामिल हो गई। NIA ने हथियारों के कनेक्शन जोड़ते हुए पहले फैज़ल और बाद में आतिफ को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों ने खुद को ISIS के खुरसान मॉड्यूल का सदस्य बताया। सैफुल्लाह भी इसी नेटवर्क से जुड़ा था। फैज़ल और आतिफ को ISIS के नेटवर्क से हथियार मिले थे। इन सभी ने भारत में जिहाद फैलाने की कसम भी खाई थी। इन हथियारों को चलाने की प्रैक्टिस वो नदी के किनारे किया करते थे। रमेश बाबू की हत्या करके दोनों ने हथियारों की टेस्टिंग की थी। एक बार दोनों ने लखनऊ के ऐशबाग में IED ब्लास्ट का भी प्रयास किया था। हालाँकि वो विस्फोटक फट नहीं पाया।

खासतौर पर कत्ल के लिए रमेश को ही चुनने की वजह दोनों ने उनके हाथ में कलावा और माथे पर तिलक होना बताया था। जाँच के दौरान यह भी सामने आया था कि आतिफ और फैज़ल ने रमेश बाबू की हत्या से पहले वीडियो रिकार्डिंग भी की थी। यह वीडियो सीरिया में आतंकियों को भेजी थी। पुलिस ने इस हत्याकांड के बाद आस-पास के कुछ अन्य लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था। हालाँकि सबूत न मिलने के कारण बाकियों को छोड़ दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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