कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पैगंबर मुहम्मद के कथित अपमान के कारण व्यापक दंगे और आगजनी हुई। संप्रदाय विशेष की भीड़ द्वारा मंगलवार (अगस्त, 11, 2020) देर रात हुई इस हिंसा में प्रमुख विपक्षी कॉन्ग्रेस इसके जवाब को लेकर दुविधा में नजर आ रही है और अभी तक भी यह निर्णय नहीं ले पार ही है कि आखिर उसे दंगों पर क्या राय रखनी है।
राज्य के अधिकांश कॉन्ग्रेस नेताओं ने इन दंगों पर चुप्पी साध ली है। जिसके पीछे एक कारण इन दंगों में इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा के संगठन PFI द्वारा समर्थित SDPI की संलिप्तता को माना जा सकता है।
वहीं, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आखिरकार इन दंगों में बेहद चालाकी से अपनी जुबान खोलते हुए कहा है कि बेंगलुरु में हुई हिंसा और ‘आपत्तिजनक सोशल मीडिया’ पोस्ट बेहद निंदनीय हैं। इसके साथ ही ओवैसी ने कहा है कि सभी लोगों को शांति से पेश आना चाहिए।
The violence in #Bengaluru & the objectionable/offensive social media posts are highly condemnable. I appeal to everyone involved to not indulge in violence. I hope peace is strengthened
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 12, 2020
कर्नाटक के मंत्री सीटी रवि ने एक बयान में इस हिंसा में साजिश की आशंका जताते हुए इसके पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का हाथ बताया है। बेंगलुरु पुलिस ने डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पर हुई हिंसा मामले में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेता मुजम्मिल पाशा (Muzammil Pasha) को गिरफ्तार भी कर लिया है। मुज़म्मिल के अलावा, एक अन्य एसडीपीआई कार्यकर्ता अयाज़ भी दंगाइयों को उकसाने के लिए जाँच के दायरे में है।
Muzamil Pasha, an SDPI leader has been arrested by Police in connection with DJ Halli police station limits violence (in Bengaluru): Mujahid Pasha, convenor SDPI (Social Democratic Party of India). #Karnataka
— ANI (@ANI) August 12, 2020
ज्ञात हो कि ये वही एसडीपीआई है, जिस पर दिल्ली दंगों में CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान यह आरोप लगा था कि इसके नेता हिंसा भड़काने में इस्लामिक कट्टरपंथी पीएफआई का सहयोग कर रहे थे। पीएफआई और एसडीपीआई नाम भले ही अलग हों, लेकिन इनके पीछे आइडलॉजी एक ही है।
हालाँकि, पीएफआई के कागजी दस्तावेज आतंकी संगठन सिमी से सम्बन्ध से इनकार करते हैं लेकिन ख़ुफ़िया एजेंसियाँ अक्सर खुलासा करती आई हैं कि पीएफ़आई की जड़ों में सिमी का जहर मौजूद है। एसडीपीआई पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया द्वारा शुरू की गई एक कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी है।
कर्नाटक में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेता अमित शाह ने दावा किया था कि कॉन्ग्रेस द्वारा चुनाव मैदान में उतारे गए दो उम्मीदवार वास्तव में एसडीपीआई के सदस्य थे।
अब बेंगलुरु दंगों में एसडीपीआई की संलिप्तता पर भी अभी तक कॉन्ग्रेस ने चुप्पी साध रखी है, जिसके पीछे प्रमुख वजह यह हो सकती है कि यहाँ पर कॉन्ग्रेस अल्पसंख्यक वोटबैंक के मामले में एसडीपीआई के साथ सीधे टकराव में है। कुछ रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि कॉन्ग्रेस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
कर्नाटक में एसडीपीआई की मौजूदगी और इसके प्रसार से कॉन्ग्रेस को होने वाले नुकसान के बारे में इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ पर कॉन्ग्रेस के विरोध में एसडीपीआई चुनाव लड़कर कॉन्ग्रेस को उन सीटों पर भी नुकसान पहुँचा चुकी है, जहाँ कॉन्ग्रेस को सीट जीतने की उम्मीदें थीं।
ऐसे में सम्भव है कि कॉन्ग्रेस इसी एसडीपीआई के साथ शायद ही कोई जोखिम लेने के मूड में हो! अपने बढ़ते नेटवर्क के माध्यम से, SDPI यहाँ पर लोकप्रियता हासिल करने में कामयाब रही है, जिससे संप्रदाय विशेष के वोटों पर कॉन्ग्रेस की पकड़ का खतरा पैदा हो गया।
ऐसे में यदि कॉन्ग्रेस जोर-शोर से इस हिंसा की निंदा करती है, तो यह डर है कि वह एसडीपीआई का रास्ता ही साफ़ कर रही होगी, जो पहले से ही किसी भी तरह अल्पसंख्यक वोटों और समुदाय के स्वामित्व पर नजर गड़ाए हुए है। और यदि कॉन्ग्रेस इन दंगों की निंदा नहीं करती है, तो बहुसंख्यक वर्ग कॉन्ग्रेस से दूर जा सकता है।
यही वजह है कि राज्य के अधिकांश नेता, जिनमें विपक्ष के नेता सिद्धारमैया और दर्जनों अन्य नेता भी शामिल हैं, ने कल रात से इस घटना पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालाँकि, कुछ मुट्ठी भर नेताओं ने अभी तक ट्वीट के जरिए इसकी निंदा की है।
कॉन्ग्रेस के संप्रदाय विशेष के नेता भी, जो कि एसडीपीआई को अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखते हैं, वे एसडीपीआई की इस सांप्रदायिक राजनीति पर बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, और बस दबी जुबान से इन दंगों के बारे में बोल रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, दलित कॉन्ग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर पर किए गए हमले, दंगे, आगजनी और पत्थरबाजी और हिंसा के मामले में बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर कमल पंत ने कहा है कि अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।
डीजे हल्ली एवं केजी हल्ली पुलिस स्टेशन के क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा है और शहर के अन्य हिस्सों में धारा 144 लगाई गई है। किसी भी प्रकार की हिंसा की आशंका के चलते शांति बनाए रखने के लिए आरएएफ, सीआरपीएफ एवं सीआईएसएफ की टुकड़ियाँ भी पहुँच रही हैं।
कमल पंत ने कहा कि इस हिंसा में पत्थरबाजी की वजह से करीब 60 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस के वाहनों को आग के हवाले किया गया। हिंसा करने वाले लोगों का एक समूह एक बेसमेंट में दाखिल होकर वहाँ 200 से 250 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा मामले की जाँच की जा रही है।