Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाजपत्रकार राणा अयूब पर FIR, हिजाब का विरोध करने वाले छात्रों को बताया था...

पत्रकार राणा अयूब पर FIR, हिजाब का विरोध करने वाले छात्रों को बताया था आतंकी: हिन्दू IT सेल की शिकायत पर कर्नाटक पुलिस ने लिया एक्शन

कर्नाटक में हिजाब को लेकर जारी विवाद में राणा अयूब ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उडुपी के कॉलेज के छात्रों को आतंकी करार दिया था। इसके बाद हिंदू संगठन 'हिंदू आईटी सेल' ने राणा अयूब के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

हिजाब विवाद को लेकर हिंदू छात्रों को आतंकी बताने वाली विवादित और कथित पत्रकार राणा अयूब मुश्किलों में फँस गई हैं। उनके खिलाफ कर्नाटक की हुबली-धारवाड़ पुलिस ने उडुपी कॉलेज में भगवा झंडा लहराने वाले छात्रों को आतंकवादी बताने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले राणा अयूब पर केटो फंडरेजिंग कैम्पेन के जरिए 1.77 करोड़ रुपए जुटाकर उसमें गड़बड़ी करने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने उनके अकाउंट को फ्रीज कर दिया था।

कर्नाटक में हिजाब को लेकर जारी विवाद के बीच 13 फरवरी 2022 को राणा अयूब ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उडुपी के कॉलेज के छात्रों को आतंकी करार दिया था। इसके बाद 21 फरवरी 2022 को हिंदू संगठन ‘हिंदू आईटी सेल’ ने राणा अयूब के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

बीबीसी के साथ बातचीत में राणा अयूब ने शिक्षण संस्थानों में बुर्के का विरोध करने वाले हिंदू छात्रों को आतंकी करार दिया। अपने टिपिकल आक्रामक लहजे में डींगें हाँकते हुए कथित पत्रकार ने कहा, “… अचानक से ये निगरानी रखने वाले युवा हिंदुओं का समूह क्यों है- उस मामले के लिए हिंदू आतंकवादी जो कर्नाटक में शैक्षिक परिसर में भगवा झंडे लहरा रहे हैं?”

इंटरव्यू के दौरान राणा ने सवाल किया, “एक शिक्षण संस्थान में पुरुष छात्र भगवा ध्वज क्यों लहरा हैं? इसका क्या अर्थ है?”

हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाने वाला राणा अयूब का यह वीडियों तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके बाद राणा अयूब के खिलाफ एक्शन लेते हुए हिंदू आईटी सेल ने शिकायत दर्ज कराई। हिंदू आईटी सेल ने पुलिस से एंटी इंडिया एलीमेंट राणा अयूब के खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा 124A (देशद्रोह), 153A (शत्रुता और विभाजन पैदा करना), 295A, 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण प्रयास) और 504 ( हिंदू समुदाय का जानबूझकर अपमान) समेत कई अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज करने का अनुरोध किया था।

अयूब के खिलाफ केस दर्ज कराने के कुछ दिन पहले हिंदू आईटी सेल ने पुलिस पर शिकायत दर्ज करने से इनकार करने का भी आरोप लगाया था।

अपनी बात को साबित करने के लिए हिंदू आईटी सेल ने एक ट्वीट में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपनी शिकायत को शेयर किया था। इसमें आरोप लगाया था कि पुलिस वालों ने उनकी शिकायत दर्ज करने से पहले 36 घंटे तक इंतजार कराया था। हिंदू संगठन का आरोप था कि पुलिस ने तो राणा अयूब के खिलाफ केस दर्ज करने से भी मना कर दिया था।

विवाद बढ़ने के बाद अपनी सफाई में पुलिस के एसआई ने कहा कि उन्हें केस दर्ज करने से पहले उच्चाधिकारियों ने इसे वेरिफाई करने के लिए कहा था।

गौरतलब है कि इससे इस्लामिक प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने वाली अयूब के खिलाफ हिजाब मामले में मुबई के बांद्रा में केस दर्ज किया गया था। अयूब के खिलाफ यह केस बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील आशुतोष जे दुबे ने दर्ज कराया था।

विदेशी प्लेटफॉर्म पर झूठ फैलाने वाली राणा अयूब अपने ही देश में वित्तीय धोखाधड़ी करने के कारण भी चर्चा में थीं। हाल में 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति ईडी द्वारा जब्त की गई। कथिततौर पर ये सारा पैसा उन्होंने केटो पर फंड इकट्ठा करने का नाम पर एकत्रित किया था। मगर, सारे पैसे का इस्तेमाल किए बिना उन पैसों को अयूब ने अपने अकॉउंट में रखे रखा। जब विवाद बढ़ा तो अयूब ने खुद को बेगुनाह बताया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -