Sunday, November 17, 2024
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जब चाहकर भी मंदिर नहीं तोड़ पाया टीपू सुल्तान, शुरू कराई अपने सम्मान में ‘सलाम आरती’: BJP सरकार ने गुलामी वाले नामों को बदला

कहा जाता है कि ये आरती टीपू सुल्तान के दौर में शुरू की गई थी। टीपू सुल्तान चाहता था कि मंदिर के पुजारी उसके 'सम्मान' में मंदिरों की आरती को करें। इसी के बाद कोल्लूर के मंदिरों मे ये रिवाज शुरू हुआ। बाद में उसकी मौत हो गई, लेकिन चलन खत्म नहीं हुआ।

कर्नाटक में ‘सलाम आरती’ के रिवाज का नाम भारतीय जनता पार्टी अब ‘नमस्कारा’ करने जा रही है। कहा जाता है कि ये आरती टीपू सुल्तान के दौर में शुरू की गई थी। टीपू सुल्तान चाहता था कि मंदिर के पुजारी उसके ‘सम्मान’ में मंदिरों की आरती को करें। इसी के बाद कोल्लूर के मंदिरों मे ये रिवाज शुरू हुआ। बाद में उसकी मौत हो गई, लेकिन चलन खत्म नहीं हुआ। कुछ दिन पहले इस सलाम आरती का नाम बदलने की माँग उठी और अब खबर है कि ये नाम बदलकर ‘नमस्कार’ किया जा रहा है।

टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिवाज कोल्लूर के सुब्रमण्या में पुत्तुर के मंदिरों में किया जाता था। इसे बदलने की घोषणा कर्नाटक धर्मिका परिषद द्वारा की गई, जो हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के अंतर्गत आता है।

परिषद के सदस्य काशेकोडी सूर्यनारायण भट ने कहा कि पहले राज्य प्रशासन के भले के लिए इस रिवाज को किया जाता था, अब यह लोगों के कल्याण के लिए होगा। अनुष्ठान को ‘नमस्कार’ नाम दिया जाएगा।

हिंदू संगठनों के अनुसार, ‘सलाम आरती’ गुलामी का प्रतीक थी और वही वर्चस्व कायम करने के लिए इसका अभ्यास किया जाता था। इसलिए उन्होंने इस रिवाज को समाप्त करने की माँग की। इस बीच बुद्धिजीवियों ने कहा भी कि इस परंपरा को खत्म नहीं किया जाना चाहिए, ये हिंदू और मुस्लिमों के संबंध और उनके बीच सद्भाव को दर्शाती है। लेकिन अंतत: फैसला हिंदू संगठनों के पक्ष में हुआ।

याद दिला दें कि मेलकोटे चालुवनारायण मंदिर प्रशासन ने कर्नाटक मुजरई विभाग से इस सलाम आरती का नाम संध्या आरती करने की माँग की थी। इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा गया था

मूकाम्बिका मंदिर के पुजारी 2018 के बयान के अनुसार, सलाम आरती के पीछे कहानी है कि जब टीपू सुल्तान टीपू सुल्तान मैसूर क्षेत्र पर शासन कर रहा था, तब वह मंदिर को नष्ट करने के लिए आया था, लेकिन दैवीय शक्तियों के कारण प्रवेश नहीं कर सका। इसके बाद वह मंदिर में पूजा करने गया और तब से उस आरती को सलाम आरती कहा जाने लगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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