कर्नाटक में ‘सलाम आरती’ के रिवाज का नाम भारतीय जनता पार्टी अब ‘नमस्कारा’ करने जा रही है। कहा जाता है कि ये आरती टीपू सुल्तान के दौर में शुरू की गई थी। टीपू सुल्तान चाहता था कि मंदिर के पुजारी उसके ‘सम्मान’ में मंदिरों की आरती को करें। इसी के बाद कोल्लूर के मंदिरों मे ये रिवाज शुरू हुआ। बाद में उसकी मौत हो गई, लेकिन चलन खत्म नहीं हुआ। कुछ दिन पहले इस सलाम आरती का नाम बदलने की माँग उठी और अब खबर है कि ये नाम बदलकर ‘नमस्कार’ किया जा रहा है।
#Karnataka religious council changes ritual name from ‘Salaam Aarti’ to ‘Deepa Namaskara’ pic.twitter.com/lS73aOboRZ
— News18 (@CNNnews18) December 10, 2022
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिवाज कोल्लूर के सुब्रमण्या में पुत्तुर के मंदिरों में किया जाता था। इसे बदलने की घोषणा कर्नाटक धर्मिका परिषद द्वारा की गई, जो हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के अंतर्गत आता है।
‘Salam Aarti’ to ‘Namaskara’: #BJP govt to rename ages-old ritual started by #TipuSultan in #Karnataka.https://t.co/tvn8H2b3YB
— TIMES NOW (@TimesNow) December 10, 2022
परिषद के सदस्य काशेकोडी सूर्यनारायण भट ने कहा कि पहले राज्य प्रशासन के भले के लिए इस रिवाज को किया जाता था, अब यह लोगों के कल्याण के लिए होगा। अनुष्ठान को ‘नमस्कार’ नाम दिया जाएगा।
Karnataka State Dharmic Parishad has decided rename “Salam Arati”, in various temples. Now it will be called “namaskara”. Salam Arati practice was started in the temples, by Tipu.
— VADIRAJ C S 🇮🇳 (@vschanna) December 10, 2022
हिंदू संगठनों के अनुसार, ‘सलाम आरती’ गुलामी का प्रतीक थी और वही वर्चस्व कायम करने के लिए इसका अभ्यास किया जाता था। इसलिए उन्होंने इस रिवाज को समाप्त करने की माँग की। इस बीच बुद्धिजीवियों ने कहा भी कि इस परंपरा को खत्म नहीं किया जाना चाहिए, ये हिंदू और मुस्लिमों के संबंध और उनके बीच सद्भाव को दर्शाती है। लेकिन अंतत: फैसला हिंदू संगठनों के पक्ष में हुआ।
याद दिला दें कि मेलकोटे चालुवनारायण मंदिर प्रशासन ने कर्नाटक मुजरई विभाग से इस सलाम आरती का नाम संध्या आरती करने की माँग की थी। इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा गया था।
मूकाम्बिका मंदिर के पुजारी 2018 के बयान के अनुसार, सलाम आरती के पीछे कहानी है कि जब टीपू सुल्तान टीपू सुल्तान मैसूर क्षेत्र पर शासन कर रहा था, तब वह मंदिर को नष्ट करने के लिए आया था, लेकिन दैवीय शक्तियों के कारण प्रवेश नहीं कर सका। इसके बाद वह मंदिर में पूजा करने गया और तब से उस आरती को सलाम आरती कहा जाने लगा।
When Tipu Sultan was ruling Mysuru region, he had come to destroy this temple but couldn’t enter due to divine powers. When he came to pay obeisance to the deity, Aarti was being performed, which came to be known as ‘Salaam aarti’: Priest, Mookambika temple in Karnataka’s Kollur pic.twitter.com/Qr67eDoafG
— ANI (@ANI) May 3, 2018