Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाज'स्कूलों को अपना यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार, हिजाब इससे अलग है': कर्नाटक बुर्का...

‘स्कूलों को अपना यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार, हिजाब इससे अलग है’: कर्नाटक बुर्का विवाद पर SC की टिप्पणी

मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने की। इस दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में दलील दी कि सरकारी संस्थानों में ड्रेस कोड नहीं लागू किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार (15 सितंबर 2022) को मौखिक रूप से कहा कि किसी स्कूल को अपने यहाँ यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बाद माना जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष को झटका लग सकता है।

मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने की। इस दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में दलील दी कि सरकारी संस्थानों में ड्रेस कोड नहीं लागू किया जा सकता।

इस पर न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा प्रशांत भूषण से पूछा कि क्या सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म नहीं हो सकती? इस पर प्रशांत भूषण ने कि हो सकता है, लेकिन हिजाब पर रोक नहीं लगाया जा सकता। इसके बाद जस्टिस धूलिया ने कहा कि स्कूलों को ड्रेस कोड निर्धारित करने का अधिकार है।

उन्होंने मौखिक रूप से कहा, “नियम कहते हैं कि उनके पास यनिफॉर्म तय करने की शक्ति है। हिजाब अलग है। देखें कि किसी विशेष वर्दी को ठीक करने के लिए एक स्कूल की शक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है।” इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा, “सवाल यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि क्या लड़कियाँ इसे पहनती हैं या नहीं। सवाल यह है कि क्या हिजाब इस्लाम का अनिवार्य अंग है तो हाँ है। लाखों लड़कियाँ इसे पहनती हैं।”

इस बीच न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, “न्यायालय स्थापित मानकों के आधार पर फैसला करता है। मामला यह था कि क्या हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा है। उच्च न्यायालय उस तथ्य के आधार पर फैसला दिया। सवाल यह है कि इस विवाद से पहले ये लड़कियाँ क्या हिजाब पहनती थीं।”

इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा, “दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम है। दूसरे देशों में इस्लाम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के तहत हिजाब को मान्यता देता है। संयुक्त राष्ट्र समिति ने पाया है कि हिजाब पर प्रतिबंध कन्वेंशन का उल्लंघन है।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘शायद शिव जी का भी खतना…’ : महादेव का अपमान करने वाले DU प्रोफेसर को अदालत से झटका, कोर्ट ने FIR रद्द करने से...

ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को ले कर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले एक प्रोफेसर को दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है।

43 साल बाद भारत के प्रधानमंत्री ने कुवैत में रखा कदम: रामायण-महाभारत का अरबी अनुवाद करने वाले लेखक PM मोदी से मिले, 101 साल...

पीएम नरेन्द्र मोदी शनिवार को दो दिवसीय यात्रा पर कुवैत पहुँचे। यहाँ उन्होंने 101 वर्षीय पूर्व राजनयिक मंगल सेन हांडा से मुलाकात की।
- विज्ञापन -