सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। इसी बीच शनिवार (5 जून 2021) को उनका एक फेसबुक पोस्ट वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ”अभी तो यह झाँकी है, काशी मथुरा बाकी है। जो लोग चिल्ला रहे हैं कि बीजेपी की लोकप्रियता घट रही है, वह भूल गए हैं कि उत्तर प्रदेश का चुनाव हनोज दूर अस्त। यानी चुनाव अभी दूर है।”
उन्होंने आगे लिखा कि चुनाव से कुछ समय पहले सुनियोजित ढंग से व्यापक सांप्रदायिक दंगे करवाए जाएँगे (संभवतः काशी और मथुरा मस्जिद गिरवाकर), जिससे हमारी मूर्ख जनता जिनके खोपड़े में सांप्रदायिकता का गोबर भरा है, उत्तेजित हो जाएगी और भड़भड़ा कर बीजेपी को वोट दे देगी।
पूर्व जस्टिस के इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। ब्रिजेश द्विवेदी नाम के एक यूजर ने उनकी पोस्ट पर लिखा, ”एक पूर्व न्यायाधीश से ऐसे गिरे हुए वक्तव्य की उम्मीद नहीं थी। यह जानते हुए भी अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि है, उनके लिए कई वर्षों तक मुकदमा लड़ा गया, न्यायालय के निर्णय उपरांत ही निर्माण प्रारंभ हुआ। अगर समय रहते न्याय मिल जाए तो लोग आंदोलित ही न हो। आप उकसाने की बात हर समय करते हैं। सदैव हिंदुओं को आक्रांता घोषित करने से नहीं चूकते हैं। अगर सच में हिंदू आक्रामक हो जाए तो अनेक बीमारियाँ ठीक हो जाएँ।”
इसी प्रकार मार्कंडेय काटजू कई अन्य यूजर्स के निशाने पर भी आ गए हैं। हालाँकि, यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी सुर्खियों में बने रहने के लिए वह बेतुके बयान देते रहे हैं। साल 2015 में काटजू ने एक सेमिनार में कहा था, ”90 प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं, जो धर्म के नाम पर आसानी से बहकावे में आ जाते हैं।”
इसके अलावा उन्होंने आम आदमी पार्टी की शाजिया इल्मी को किरण बेदी से सुंदर बताया था। उन्होंने कहा था, “मेरे जैसा आदमी भी जो आम तौर पर वोट नहीं देता (क्योंकि मैं सभी भारतीय राजनेताओं को लफंगा और धूर्त समझता हूँ), केवल शाजिया को वोट देता हूँ।”
मालूम हो कि काटजू सोशल मीडिया पर खासा एक्टिव रहते हैं। उनके फेसबुक अकाउंट पर हर रोज आपको कुछ न कुछ विवादास्पद कंटेंट देखने को मिल जाएगा। इसमें से कुछ ऐसे पोस्ट भी होते हैं, जिसे कोई आम आदमी भी शेयर करने से गुरेज करेगा, लेकिन ये बेधड़क चर्चा में रहने के लिए ऐसा करते रहते हैं।
पूर्व जस्टिस होने के बावजूद इन्होंंने घटिया स्तर के बयान देकर देश को शर्मसार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हद तो तब हो गई, जब पिछले साल सितंबर में काटजू को बैंक से करोड़ों की धोखाधड़ी कर लंदन भागे भगोड़े नीरव मोदी का समर्थन करते हुए देखा गया।
गौरतलब है कि लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर सितंबर 2020 को पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा था कि नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल पाएगा। नीरव मोदी मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान काटजू ने आगे कहा कि अगर हीरा कारोबारी नीरव मोदी का भारत में प्रत्यर्पण किया जाता है, तो भारत में निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल पाएगा।
130 मिनट के अपने बयान में काटजू ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत में न्यायिक व्यवस्था चौपट हो गई है। उन्होंने दावा किया कि जाँच एजेंसियाँ जैसे- सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) राजनीतिक गुरुओं के इशारों पर काम कर रही हैं।
बता दें कि अगले साल देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में पूर्व जस्टिस का सांप्रदायिक दंगे भड़काने और माहौल खराब करने वाला बयान देना बेहद शर्मनाक है।