Friday, November 22, 2024
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उमर अब्दुल्ला-कॉन्ग्रेस की सरकार ने कश्मीरी पंडितों की दुकानों पर चलाया बुलडोजर, पीड़ित बोले- ‘हम सब कुछ खो चुके, अब कहाँ जाएँ?’

JDA के उपाध्यक्ष पंकज शर्मा का कहना है कि प्रभावित लोगों को 20 जनवरी को नोटिस दिया गया था और उन्होंने फरवरी के अंत तक जगह खाली करने का वादा किया था। लेकिन चुनावी आचार संहिता और अन्य बाधाओं के कारण समय पर कार्रवाई नहीं हो सकी।

जम्मू में कश्मीरी पंडित प्रवासियों की दुकानों पर जम्मू विकास प्राधिकरण (JDA) का बुलडोज़र चलने से बवाल खड़ा हो गया। बुधवार (20 नवंबर 2024) को JDA ने मुठी इलाके में करीब एक दर्जन दुकानों को ध्वस्त कर दिया। ये दुकानें उन कश्मीरी पंडित परिवारों की थीं जिन्हें तीन दशक पहले तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार ने यहाँ बसाया था।

दुकानदारों का कहना है कि उन्हें बिना कोई पूर्व सूचना दिए कार्रवाई की गई, जबकि JDA ने इस दावे को खारिज किया है। JDA के उपाध्यक्ष पंकज शर्मा का कहना है कि प्रभावित लोगों को 20 जनवरी को नोटिस दिया गया था और उन्होंने फरवरी के अंत तक जगह खाली करने का वादा किया था। लेकिन चुनावी आचार संहिता और अन्य बाधाओं के कारण समय पर कार्रवाई नहीं हो सकी।

शर्मा ने बताया कि मुठी इलाके में 25 कनाल ज़मीन थी, जहाँ कश्मीरी पंडित प्रवासियों को शुरू में एक कमरे वाले गुंबदनुमा घरों में बसाया गया था, और बाद में उन्हें पुरखू और जगती में दो कमरों वाले फ्लैटों में बसाया गया। उन्होंने कहा कि इस कदम के बाद भी कई लोगों ने शुरुआती बस्तियों को खाली नहीं किया है। चूँकि यहाँ 208 गरीबों के लिए घरों का निर्माण कराया जाना है, जिसका टेंडर भी जारी हो चुका है। ऐसे में हमें जमीन खाली करानी ही है। इसके बावजूद प्रशासन ने 10 दुकानों का इंतजाम इन लोगों के लिए किया है।

इस घटना के बाद कई राजनीतिक दलों और कश्मीरी पंडित संगठनों ने सरकार की आलोचना की। घटना से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। एक बुजुर्ग व्यक्ति वीडियो में रोते हुए कहते हैं, “हम सब कुछ खो चुके हैं। अब कहाँ जाएँ?”

महबूबा मुफ्ती (PDP प्रमुख) ने इसे “कश्मीरी पंडितों की दशकों की तकलीफों पर एक और चोट” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, “पहले आदिवासी समुदाय को निशाना बनाया गया, और अब कश्मीरी पंडितों को। यह उन्हें और अलग-थलग करने का काम करेगा।”

J-K अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा, “अगर विध्वंस जरूरी था तो पहले उनकी आजीविका का इंतजाम किया जाना चाहिए था। इस तरह की कार्रवाई जनता के हितों के खिलाफ है।”

बीजेपी प्रवक्ता जी.एल. रैना ने इसे NC-कॉन्ग्रेस गठबंधन सरकार की “बदले की कार्रवाई” बताया। उन्होंने प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक व्यवस्था देने की माँग की।

JDA का कहना है कि मुठी कैंप की यह जमीन अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 208 फ्लैट्स के निर्माण के लिए आवंटित की गई है। हालाँकि, राहत आयुक्त अरविंद करवानी ने आश्वासन दिया कि प्रभावित दुकानदारों के लिए नई दुकानें जल्द बनाई जाएँगी। इन लोगों के लिए 10 दुकानें लगभग तैयार हैं, जो कैंप-2 में हैं। जेडीए ने कहा कि सिर्फ 1-2 लोग दिक्कत पैदा कर रहे हैं।

इस घटना को लेकर बीजेपी ने सीधे तौर पर NC-कॉन्ग्रेस गठबंधन की सरकार पर निशाना साधा। लोगों का मानना है कि सरकार बदलने के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय पर ऐसी कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकती है। बता दें कि हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कॉन्ग्रेस की सरकार बनी है, जिसका घाटी की तरफ झुकाव ज्यादा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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