Saturday, November 23, 2024
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6 महीने के लिए बंद हुआ केदारनाथ का कपाट, 550 गोल्ड प्लेट से गर्भगृह को सजाया गया: उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान किए भगवान शिव

साल 2017 में गर्भगृह की दीवारों को चाँदी से ढँका गया था, जिसके लिए लगभग 230 किलोग्राम मेटल का इस्तेमाल किया गया था। केदारनाथ मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने से पहले इस पर लगी चाँदी हटाई गई। उसके बाद चाँदी की जगह ताँबा लगाया गया।

उत्तराखंड के विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham, Uttarakhand) के कपाट सर्दियों के लिए बंद कर दिए गए हैं। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना के बाद आज गुरुवार (27 अक्टूबर 2022) को सुबह साढ़े आठ बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया। इस दौरान भारतीय सेना के 11 मराठा रेजीमेंट ने आध्यात्मिक संगीत बजाए।

कपाट बंद करने के दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, तीर्थ पुरोहित और रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ 3,000 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे। इस साल 43 लाख से अधिक तीर्थयात्री चारधाम पहुँचे थे। अकेले केदारनाथ में 15,61,882 श्रद्धालुओं ने मंदिर में माथा टेका।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों और छतों को बुधवार (26 अक्टूबर 2022) को 550 सोने की परतों से सजाकर एक भव्य रूप दिया गया। इसके लिए मुंबई के एक बिजनेसमैन ने फंडिंग की है। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को सोने से सजाने का काम पिछले तीन दिनों से चल रहा था। इसकी दीवारों और छतों को 3 दिन में 19 कारीगरों ने सोने की 550 परतों से सजाया है। इसके बाद IIT रुड़की, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च रुड़की और ASI की 6 सदस्यीय टीम ने धाम का निरीक्षण भी किया।

मालूम हो कि साल 2017 में गर्भगृह की दीवारों को चाँदी से ढँका गया था, जिसके लिए लगभग 230 किलोग्राम मेटल का इस्तेमाल किया गया था। केदारनाथ मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने से पहले इस पर लगी चाँदी हटाई गई। उसके बाद चाँदी की जगह ताँबा लगाया गया।

गर्भगृह की दीवारों पर ताँबा चढ़ाने के बाद नाप लिया गया और फिर से इसको निकालकर वापस महाराष्ट्र ले जाया गया, जहाँ ताँबे की परत की नाप के आधार पर सोने की परतें तैयार की गईं। सोने की ये परतें मंदिर के गर्भगृह, चारों खंभों एवं शिवलिंग के आसपास भी लगाई गई हैं।

मंदिर के पुजारी द्वारा ज्योतिर्लिंग को बाघंबर, भृंगराज फूल, भस्म, स्थानीय सूखे फूलों और पत्तियों से ढँकने के बाद गर्भगृह और मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिया और भगवान शंकर की पंचमुखी डोली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई। बता दें कि चारधाम के कपाट हर साल सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं। यह अगले साल अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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