Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाजकेरल के सरकारी मेडिकल कॉलेज में तालिबानी मॉडल, लैगिंक राजनीति पर इस्लामिक संगठन का...

केरल के सरकारी मेडिकल कॉलेज में तालिबानी मॉडल, लैगिंक राजनीति पर इस्लामिक संगठन का कार्यक्रम, पर्दा डाल कर मेल-फीमेल छात्रों के बीच बनाई दीवार

ये मामला शायद दब गया होता, लेकिन इस कार्यक्रम की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे इसका खुलासा हुआ। तालिबानी मॉडल में भी इसी तरह से छात्रों को अलग-अलग करने के लिए पर्दे का सहारा लिया जाता है।

केरल के त्रिशुर मेडिकल कॉलेज द्वारा एक इस्लामिक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। इस सभा में तालिबानी तरीके से पुरुष और महिला छात्राओं को एक पर्दा लगाकर अलग कर दिया गया। ताकि कोई एक-दूसरे को न देख सके। इस सभा की खास बात ये रही कि इसका मुद्दा ‘लैंगिक राजनीति’ थी। ऑर्गनाइजर वीकली की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आयोजन विवादित इस्लामिस्ट अब्दुल्ला बेसिल ने कट्टरपंथी संगठन विजडम (Wisdom) के बैनर तले किया था।

इस कार्यक्रम का शीर्षक था ‘द लाइव्स एंड आइडियल्स बिहाइंड जेंडर पॉलिटिक्स।’ इसमें लैंगिक राजनीति और भेदभाव पर कई लेक्चर्स दिए गए, जिसमें मेडिकल कॉलेज के पुरुष और महिला छात्राएँ शामिल हुईं। ये मामला शायद दब गया होता, लेकिन इस कार्यक्रम की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे इसका खुलासा हुआ। उल्लेखनीय है कि तालिबानी मॉडल में भी इसी तरह से कक्षाओं में छात्र और छात्राओं को अलग-अलग करने के लिए पर्दे का सहारा लिया जाता है।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सितंबर 2021 में तालिबान इन्हीं कारणों को लेकर सुर्खियों में था। उसने भी देश में कक्षाओं में पर्दों का इस्तेमाल करके लड़के-लड़कियों को अलग किया था। लैंगिक भेदभाव भरा फैसला होने के कारण कई सोशल मीडिया यूजर्स ने तालिबान के इस फैसले की आलोचना की थी।

इस्लामिक संगठन के द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेज में आयोजित किया गया कार्यक्रम (फोटो साभार: हिन्दू पोस्ट)

इधर केरल में कार्यक्रम के आयोजक अब्दुल्ला बासिल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में ‘लैंगिक राजनीति’ पर चर्चा के लिए बैठक आयोजित की गई थी। बासिल ने तंज कसते हुए कहा कि मुझे उन लोगों के लिए दया आती है, लैंगिक डिस्कोर्स में धार्मिक दृष्टिकोण को नहीं पचा पा रहे हैं। ये उदारवाद से काफी अलग है।

हाल में पर्दा डालकर पुरुष और महिलाओं को किया अलग (फोटो साभार: हिन्दू पोस्ट)

दरअसल, इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले संगठन के ही एक पदाधिकारी ने सोशल मीडिया पर तस्वीरों को शेयर किया था। जब लैंगिक आधार पर अलगाव किए जाने पर नेटिजन्स ने खिंचाई की तो संगठन के पदाधिकारी ने कुतर्क देते हुए कहा कि लोग केवल अपनी हताशा को दिखा रहे हैं। संगठन का कहना था कि लैंगिक आधार पर अलग करने के लिए पर्दा डालना कोई गलत बात नहीं है।

इस बीच कॉलेज प्रशासन ने यह कहते हुए इस मामले से खुद को अलग कर लिया है कि उसका इससे कोई लेना-देना है। कॉलेज यूनियन ने कहा, “ऐसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना हमारे कॉलेज का स्टैंड नहीं है। यह कॉलेज हमेशा प्रगतिशील विचारों के साथ खड़ा है।”

गौरतलब है कि केरल में लगातार इस्लामिक कट्टरपंथ अपना पैर पसारता जा रहा है, जो कि चिंता का विषय है। पिछले साल सितंबर 2021 में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें राज्य में सक्रिय इस्लामिक स्टेट स्लीपर सेल के अस्तित्व को लेकर संदेह को बल दिया था। केरल की मेडिकल एजुकेशन पॉलिसी भारत विरोधी एजेंडे का प्रचार करने में लिप्त है। दो साल पहले अक्टूबर 2020 में केरल राज्य चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ रामला बीवी ने एक तालिबानी फरमान जारी किया था कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रक्षा बंधन त्योहार नहीं मनाया जाएगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -