Sunday, September 29, 2024
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बेटी का नाम रखने पर माँ-बाप में चल रहा था झगड़ा, हाईकोर्ट ने 3 साल की बच्ची का नाम रखा ‘पुण्या’: जानिए क्यों पारिवारिक विवादों में लैंडमार्क साबित हो सकता है ये केस

वेरिफिकेशन के लिए इसका उपयोग सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर होगा। इस बारे में केन्द्र सरकार ने 13 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि बर्थ सर्टिफिकेट को सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर लागू किया जा रहा है, ताकि केंद्र और राज्य स्तर पर जन्म व मृत्यु डेटाबेस तैयार किया जा सके।

केरल हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2023 को एक फैसला सुनाया, जिसमें तीन साल की एक बच्ची का नाम ‘पुण्या बालगंगाधरन नैयर’ रखने की अनुमति दी गई। बच्ची के माता-पिता अलग हो चुके हैं और वे अपनी बेटी के नाम को लेकर सहमत नहीं हो पा रहे थे। बच्ची के पिता अपनी बेटी का नाम ‘पद्मा नैयर’ रखना चाहते थे, जबकि माँ ‘पुण्या नैयर’ रखना चाहती थी।

पिता का नाम शामिल करने पर कोर्ट ने दिया जोर

केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चे के नाम को लेकर माता-पिता के बीच सहमति नहीं बन पा रही है, इसलिए कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे के नाम में देरी से उसके भविष्य पर असर पड़ रहा है। साथ ही वह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़ रही है।

कोर्ट ने कहा कि बच्चे का हित माता-पिता की लड़ाई से ज्यादा जरूरी है। बच्ची की माँ के साथ रह रही है। इसलिए उसकी माँ के सुझाव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हालाँकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि पिता का नाम भी शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि समाज पितृसत्तात्मक है। इसलिए कोर्ट ने माँ का दिया नाम पुण्या और पिता का बालगंगाधरन नैयर नाम जोड़ दिया।

माता-पिता रहते हैं अलग, नामकरण पर विवाद बढ़ा

दरअसल, बच्ची के माता-पिता अलग रहते हैं। माँ बच्ची के एडमिशन के लिए उसे स्कूल ले गई। स्कूल की ओर से बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र माँगा गया, लेकिन इस पर कोई नाम नहीं था। स्कूल ने बिना नाम के जन्म प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया और उस पर नाम दर्ज कराने के लिए कहा।

माँ जब रजिस्ट्रार ऑफिस नाम दर्ज कराने पहुँची तो रजिस्ट्रार ने पिता की सहमति के बिना कोई नाम लिखने से मना कर दिया। इसी मामले में दोनों ने कोर्ट का रुख किया, क्योंकि दोनों ही एक नाम पर सहमत नहीं थे। अंत में, कोर्ट ने बच्ची का नाम ‘पुण्या बालगंगाधरन नैयर‘ रख दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्ची को ‘पुण्या बालगंगाधरन नैयर’ या ‘पुण्या बी. नैयर’ के नाम से भी जाना जाएगा।

अच्छा उदाहरण बन सकता है ये फैसला

यह मामला एक महत्वपूर्ण फैसला है, क्योंकि यह बताता है कि माता-पिता के बीच सहमति नहीं बनने पर कोर्ट बच्चे के नाम को लेकर हस्तक्षेप कर सकता है। यह फैसला यह भी बताता है कि बच्चे के नाम को चुनते समय बच्चे के कल्याण को ध्यान में रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने भी इस बारे में टिप्पणी की है कि बच्चे के कल्याण से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।

एक अक्टूबर से हर काम के लिए जरूरी हुआ जन्म प्रमाण पत्र

बता दें कि 1 अक्टूबर 2023 से बर्थ सार्टिफिकेट यानी कि जन्म प्रमाण पत्र का रोल बढ़ चुका है। मोदी सरकार द्वारा जारी नए नियम के अनुसार यदि आपके पास सिर्फ बर्थ सर्टिफिकेट है, तब भी स्कूल में एडमिशन से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी नौकरी, वोटर आईडी, पासपोर्ट, आधार कार्ड, विवाह पंजीयन करा सकते हैं।

वेरिफिकेशन के लिए इसका उपयोग सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर होगा। इस बारे में केन्द्र सरकार ने 13 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि बर्थ सर्टिफिकेट को सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर लागू किया जा रहा है, ताकि केंद्र और राज्य स्तर पर जन्म व मृत्यु डेटाबेस तैयार किया जा सके।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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