उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के गोरखनाथ मंदिर में 3 अप्रैल, 2022 (रविवार) की शाम मुर्तजा अब्बासी नामक व्यक्ति ने पुलिसकर्मियों पर धारदार हथियार से हमला किया। मंदिर पर हमले के दौरान अब्बासी ‘अल्लाह हु अकबर’ का नारा लगा रहा था। वह मंदिर में घुसने का प्रयास कर रहा था। इस हमले में 2 पुलिसकर्मी घायल हो गए। हमलावर मुर्तजा को पकड़ लिया गया। UP के गृह सचिव अवनीश अवस्थी के मुताबिक, यह एक आतंकी घटना हो सकती है।
#BreakingNow: गोरखपुर हमले को लेकर यूपी पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस
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अपर मुख्य सचिव गृह @AwasthiAwanishK बोले- इसे आतंकी हमला कहा जा सकता है
यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का बयान- एक बड़ी साजिश की तैयारी थी@himanshdxt #GorakhnathTempleAttack #Gorakhpur pic.twitter.com/GmIMBppN3b
इतिहास में अलाउद्दीन खिलजी और औरंगज़ेब कर चुके हैं गोरखनाथ मंदिर पर हमला
गोरखनाथ मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, त्रेता युग में गोरखपुर में योगीराज गोरखनाथ (गोरक्षनाथ) ने राप्ती नदी के किनारे तपस्या की थी। इसका उल्लेख राजा मानसिंह ने अपनी किताब ‘श्रीनाथतीर्थावली’ में भी किया है। यह मंदिर 52 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। पूरे मंदिर में अलग-अलग प्रकार के फूल और पेड़ दिखाई देते हैं। भारत में इस्लामी हमलों के दौरान इस स्थान ने हिन्दू संस्कारों को जीवंत रखा।
विक्रम संवत की 14वीं सदी में अलाउद्दीन खिलजी और 18वीं सदी में औरंगज़ेब ने इस मंदिर पर हमला किया था। इन हमलों से मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ था। यद्यपि इसके बाद भी हिन्दू समाज की श्रद्धा यहाँ से जुड़ी रही। विक्रम संवत की उन्नीसवीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार श्रद्धालुओं द्वारा करवाया गया। इसमें दिवंगत महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवेद्यनाथ की मुख्य भूमिका रही। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मंदिर के महंत हैं।
वर्तमान समय में मुर्तजा के हमले से 12 साल पहले गोरखनाथ मंदिर परिसर में आपराधिक घटना की सूचना मिली थी। तब भीम सरोहार ताल के पास विस्फोटक की खबर पुलिस को दी गई थी। पुलिस की जाँच के बाद वो दीवाली वाला बम निकला था।
आरोपित: अहमद मुर्तजा अब्बासी pic.twitter.com/lLRy3Nh1x1
— Navneet K Sharma (@navneetks_mmmut) April 4, 2022
योगी आदित्यनाथ को मिल चुकी हैं कई धमकियाँ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुर्तजा अब्बासी के गोरखनाथ मंदिर पर असफल हमले के बाद ATS इस हमले की कड़ियाँ जोड़ने में लगी हुई है। ATS उन धमकियों का भी आपस में मिलान कर रही है जो कुछ समय के अंतराल पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मिली हैं। इसी साल 4 फरवरी को ‘लेडी डॉन’ नाम के ट्विटर हैंडल से कई रेलवे स्टेशन, गोरखनाथ मंदिर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इस मामले में FIR दर्ज की गई थी, लेकिन कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई थी।
जिस दिन हमला हुआ, उसी दिन समाजवादी पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक शहजिल इस्लाम का योगी आदित्यनाथ को धमकी देते हुए वीडियो वायरल हुआ था। उस बयान में इस्लाम ने कहा था कि अगर उन्होंने उनके खिलाफ कुछ भी कहा तो बंदूक से गोलियाँ चलेंगी। इस घटना में बरेली पुलिस ने FIR दर्ज की है। इसी साल मार्च 2022 में सोशल मीडिया पर बिजनौर के एक किशोर ने योगी आदित्यनाथ को गोली मारने की धमकी दी थी। इस मामले में भी बिजनौर पुलिस ने केस दर्ज किया था।
इसके अलावा मई 2020 में बिहार पुलिस के जवान तनवीर अहमद ने सोशल मीडिया पर CM योगी आदित्यनाथ को गोली मारने की धमकी दी थी। इस मामले में गाजीपुर पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर के जेल भेजा था। जून माह में उसको कोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी थी। अप्रैल 2021 में CRPF मुंबई ऑफिस में एक मेल के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जान से मारने से धमकी मिली थी।
त्रेता युग से अब तक जल रही है अखंड ज्योति और अखंड धूना
योगीराज गोरखनाथ की सफेद संगमरमर की मूर्ति यहाँ मंदिर के अंदर मुख्य वेदी पर स्थापित है। यही पर उनकी चरण पादुकाएँ भी हैं। यहाँ संगमरमर की दीवारों पर गोरखवाणी लिखी हुई है। मंदिर की दीवारों पर कई धार्मिक चित्र भी बने हुए हैं। इसी मंदिर में त्रेता युग से गुरु गोरखनाथ द्वारा जलाई गई एक अखंड ज्योति आज तक जल रही है। दावा है कि कितने भी विषम हालातों में वो ज्योति कभी बुझी नहीं है। इस ज्योति का काजल यहाँ के श्रद्धालु अपने बच्चो को लगते हैं।
इसी के साथ त्रेता युग से आज तक यहाँ एक धूना लगातार जल रहा है। इसे ‘अखंड धूना’ कहा जाता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस धूने की राख को पवित्र मान कर भभूत के रूप में प्रयोग करते हैं। अखंड ज्योति और अखंड धूना को जलाए रखने के लिए इसमें लगातार ईंधन डाला जाता है।
इस मंदिर के अंदर एक परिक्रमा मार्ग है। पूरे परिक्रमा मार्ग पर अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन प्रतिमाओं में शिव, काली, भैरव, गणेश, शीतला माँ आदि प्रमुख हैं। इसी के साथ गोरखनाथ मंदिर के अंदर राधा कृष्ण, हट्ठी माता, संतोषी माता, सिंह वाहिनी माता, हनुमान मंदिर राम दरबार, नवग्रह देवता, शनि देवता, भगवती बाल देवी और भगवान विष्णु की प्रतिमाएँ मौजूद हैं।
जिस नाथ सम्प्रदाय से हैं योगी आदित्यनाथ उसका ये है इतिहास
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाथ सम्प्रदाय की उत्पत्ति भगवान शिव के द्वारा हुई। यहाँ से जुड़े सभी संत और महंत मुख्य रूप से गौ रक्षा और योग मार्ग के प्रचार के लिए जाने जाते हैं। इस सम्प्रदाय के योगी मुख्यतः ‘नाथ-योगी’, ‘सिद्ध-योगी’, ‘दरसनी योगी’ या ‘कनफटा योगी’ के नाम से जाने जाते हैं।
मंदिर में सुबह शाम होती है पूजा और पहला भोग का पहला निवाला गाय को जाता है
मंदिर के पुजारी हर दिन रात 1 बजे ही उठ कर पूजा की तैयारियॉँ शुरू कर देते हैं। सुबह 3 बजे तक मूर्तियों को विधि-विधान से स्नान करवा दिया जाता है। थोड़े ही समय में उनको ताजे फूलों की माला आदि पहनाई जाती है और मूर्तियों का श्रृंगार किया जाता है। मंदिर में 3 बजे ही पूजा शुरू हो जाती है। पूजा के दौरान पुजारी अपने मुँह को भगवा रंग के कपड़ों से ढक लेते हैं। इस दौरान घंटे और नगाड़े बजते रहते हैं। पूजा के बाद मंदिर परिसर में मौजूद विग्रहों (मूर्तियों) की आरती होती है।
इसके बाद देवी-देवताओं का भोग लगाया जाता है। यह भोग चाँदी की थाली में लगता है। इसी भोग से गायों के लिए खाना निकाला जाता है और इसी भोग को प्रसाद के रूप में भक्तों में बाँट दिया जाता है। मंदिर के भंडारे में समाज के हर वर्ग को एक समान समझ कर भोजन करवाया जाता है। शाम को भी 6 बजे पूजा शुरू होती है जो 8 बजे तक चलती है।
स्कूल और अस्पताल भी संचालित हैं गोरखनाथ मंदिर से
गोरखनाथ मंदिर के कैम्पस में ही संस्कृत विद्यापीठ मौजूद है। यहाँ पर छात्रों को संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। यह एक महाविद्यालय है जहाँ पढ़ने वाले छात्रों का रहना, खाना और पढ़ाई फ्री है। इसी मंदिर के संरक्षण में ‘महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद’ की स्थापना हुई है जिसके अंतर्गत कई जिलों में 4 दर्जन से ज्यादा पढ़ाई और रोजगार संबंधी ट्रेनिंग दिलाने वाली संस्थाएँ संचालित होती हैं। इस मंदिर के संरक्षण में अनेक जिलों में दयनीय हालत में आ गए कई मंदिरों का जीर्णोद्धार भी करवाया गया है।
इसी क के साथ मंदिर परिसर में ही योग प्रशिक्षण केंद्र भी मौजूद है। इसमें समाज के हर आयु वर्ग के लोगों को योग की शिक्षा दी जाती है।
गोरखनाथ मंदिर परिसर में ही एक 300 बेड का अस्पताल है। इसका नाम ‘गुरु श्री गोरखनाथ चिकित्सालय’ है। यहाँ पर कई असाध्य रोगों का इलाज उच्च तकनीकी से किया जाता है। इस अस्पताल में रजिस्ट्रेशन फीस 30 रुपए है जो 15 दिनों तक वैलिड रहती है। यहाँ टेलीमेडिसिन की सुविधा भी फ्री है। साथ ही आँखों का परीक्षण भी यहाँ समय-समय पर फ्री कैम्प लगा कर किया जाता है। इस अस्पताल में आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए जाते हैं।
हिन्दुओं के जातिवाद को आत्महत्या के समान मानता है गोरखनाथ मंदिर, कई नस्लों की गाएँ रहती हैं गौशाला में
गोरखनाथ मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, हिन्दू समाज को इतिहास में भी जातिवाद के चलते काफी हानि उठानी पड़ी हैं। इसको भविष्य में किसी भी हालत में जारी रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मंदिर के नियमों के मुताबिक, हिन्दू समाज का हर व्यक्ति समान अधिकार रखता है और हर सनातनी हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग है। गोरखनाथ मंदिर के मुताबिक, जैन, बौद्ध और सिख भी हिन्दू समाज के ही अंग हैं।
यहाँ धर्माचार्यों और आगंतुकों के मंदिर की नियमावली के मुताबिक रुकने की व्यवस्था है। इस में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। यहाँ के नियमित चलने वाले भंडारे में भी किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। यहाँ कथा और यज्ञशाला मौजूद है। उसमें कोई भी श्रद्धालु अपनी इच्छानुसार भक्तिभाव से आराधना कर सकता है। इसी के साथ मंदिर परिसर में ही फव्वारे लगे हैं जो रात में रंग-बिरंगे पानी से इंद्रधनुष जैसी आकृति बनाते हैं।
मंदिर में मौजूद गौशाला में लगभग हर वर्ण की गायें मौजूद हैं। यहाँ पर गायों का संरक्षण और उनका संवर्धन प्रमुख प्राथमिकता होती है। यहाँ गौसेवा से आने वाले दूध से मंदिर के प्रसाद आदि बनाए जाते हैं। गायों के लिए चारे और उनको किसी भी बीमारी के बाद इलाज के लिए डॉक्टर तक का हमेशा प्रबंध रहता है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अपने गोरखपुर प्रवास में प्रतिदिन सुबह गौ सेवा करते हैं।
अभूतपूर्व होती है मकर संक्राति और नेपाल तक के श्रद्धालु आते हैं दर्शन के लिए
गोरखनाथ मंदिर की मकर संक्रांति पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है। इस पर्व को बंगाल में तिलवा संक्रांति और दक्षिण भारत में पोंगल कहते हैं। यहाँ की मान्यताओं के मुताबिक, योगीराज गोरखनाथ के पास अक्षय पात्र था। उस पात्र से खिचड़ी खाने बहुत दूर-दूर से लोग आते थे। आज भी वही परम्परा चल रही है। मकर संक्रांति के पर्व पर यहाँ लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है। भारत के कोने-कोने से आए लोगों के अलावा इस आयोजन में नेपाल तक से लोग आते हैं।
यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक मेला होता है। पहले नंबर पर गोरखपुर से ही थोड़ी दूर शक्तिपीठ देवीपाटन का मेला है, जो UP के बलरामपुर जिले में है। इसी के साथ गुरु पूर्णिमा, नाग पंचमी, होली, कृष्ण जन्माष्टमी और विजयादशमी पर भी गोरखनाथ मंदिर में बहुत भीड़ होती है।
एडिशनल SP के नेतृत्व में सैकड़ों पुलिसकर्मियों के साथ होती है गोरखपुर मंदिर की सुरक्षा
इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के मुताबिक, गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में होती है। इसी के साथ लगभग 875 पुलिसकर्मी मंदिर की सुरक्षा करते हैं। इन पुलिसकर्मियों में एक प्लाटून में PAC के जवान भी शामिल हैं। मंदिर में बम डिस्पोजल दस्ता भी तैनात किया गया है। मंदिर परिसर में पुलिस चौकी का भी निर्माण किया गया है। मंदिर में घुसने से पहले स्कैनर से गुजरना होता है।
इसी के साथ आसपास पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) के जवान तैनात रहते हैं। जिले के एसएसपी भी लगातार मंदिर की सुरक्षा की मॉनिटरिंग करते हैं। मंदिर परिसर में धूम्रपान करना और किसी भी प्रकार के हथियार या विस्फोटक वस्तु के साथ प्रवेश वर्जित है।