गुजरात के मोरबी पुल पर हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हादसे में अबतक लोगों की 143 लोगों की मौत हो चुकी है। घटना के बाद से ही सबसे बड़ा सवाल यह उभरकर सामने आ रहा है कि आखिर इस दर्दनाक हादसे का जिम्मेदार कौन है। शुरुआती जानकारी से पुल के मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार ओरेवा ग्रुप की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है। मोरबी नगरपालिका के अधिकारी संदीप सिंह जाला ने साफ़ कहा है की कंपनी ने बिना फिटनेस सर्टिफिकेट लिए आनन-फानन में पुल खोल दिया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओरेवा नाम की एक निजी कंपनी को सरकारी टेंडर मिलने के बाद पुल के नवीनीकरण का जिम्मा सौंपा गया था। मार्च 2022 में मोरबी नगर निगम और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे और यह 2037 तक वैध है। मच्छू नदी पर ‘झूलता पुल’ के नाम से मशहूर पुल को मरम्मत के लिए सात महीने पहले बंद कर दिया गया था और 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के दिन फिर से खोला गया था, जिसके बाद यह हादसा रविवार (30 अक्टूबर 2022) को हुआ।
अजंता ओरेवा समूह का मालिक कौन है ?
स्वर्गीय ओधवजी भाई आर. पटेल ने अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) कंपनी को दीवार घड़ियों के निर्माता के रूप में शुरू किया था। ओरेवा अजंता समूह कंपनी के लिंक्डइन पेज पर विवरण के अनुसार, “दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी निर्माण कंपनी’ बन गया है। ओरेवा के व्यवसाय जैसे घड़ी बनाना, किसानों के लिए पानी की कटाई, बिजली की बचत करने वाले कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप और विट्रिफाइड टाइलों का कारोबार 45 देशों में फैला हुआ हैं। ओरेवा समूह का करीब 800 करोड़ रुपए का कारोबार है। फ़िलहाल जयसुख भाई ओरेवा कंपनी के सर्वेसर्वा हैं।”
ओरेवा समूह के बायो में कंस्ट्रक्शन बिजनेस का कोई उल्लेख नहीं
‘फ्री प्रेस जर्नल’ की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी वेबसाइट पर अपने प्रोफाइल में, ओरेवा समूह का दावा है कि वह 6000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है लेकिन उसके कंस्ट्रक्शन बिजनेस का कोई उल्लेख नहीं है। इसमें लिखा है कि ओरेवा की इंडस्ट्री में पहचान लागत लाभ के लिए है और यह देश भर में फैले 55,000 चैनल भागीदारों के माध्यम से अपने उत्पाद बेचता है।
गुजरात में 200 एकड़ भूमि में फैला हुआ है विनिर्माण संयंत्र
ओरेवा ग्रुप गुजरात के कच्छ जिले के समाखियाली में भारत के सबसे बड़े विनिर्माण संयंत्रों में से एक का संचालन करता है, जो 200 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। वॉल क्लॉक सेगमेंट में अग्रणी कंपनी ने अब डिजिटल क्लॉक सेगमेंट में प्रवेश किया है। ओरेवा ग्रुप ने ई-बाइक टेक्नोलॉजी में भी इनवेस्ट कर रखा है।
कंपनी पर लापरवाही का आरोप
हादसे के बाद जिला प्रशासन और पालिका प्रशासन से जो आधिकारिक बयान सामने आए हैं, उसके हिसाब से ओरेवा कंपनी की लापरवाही साफ दिख रही है। कंपनी ने पालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं लिया और इसे जल्दबाजी में शुरू कर दिया। जानकारी के अनुसार, उन्होंने जिंदल ग्रुप की मदद से इस पुल को कुछ रेनोवेट किया और इसका नाम ओरेवा झूलतो पुल रखा। वहीं हादसे को लेकर अब पुलिस एक्शन में आ गई है और इस सिलसिले में 9 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है।