Sunday, November 17, 2024
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‘गवाहों के हस्ताक्षर नहीं, खुद ही गढ़ दिया नम्बी नारायणन का भी बयान’: CBI की चार्जशीट में खुलासा – केरल पुलिस और IB को पता था ISRO जासूसी कांड के नहीं हैं सबूत

क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर S जोगेश ने नम्बी नारायणन को गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्होंने CBI को बताया कि उन्हें पूछताछ के दौरान आसपास भी नहीं फटकने दिया गया।

1994 में आया ‘ISRO जासूसी कांड’ पूर्णतः फर्जी था और S विजयन नामक एक सर्किल इंस्पेक्टर ने मलेशिया की एक महिला से बदला लेने के लिए ये पूरी कहानी रची थी। 30 वर्षों बाद इस मामले में दायर की गई CBI चार्जशीट तो यही कहती है। तिरुवनंतपुरम स्थित ‘चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट’ (CJM) के समक्ष दायर चार्जशीट में बताया गया है कि कैसे मरियम रशीदा के साथ हवस की आग न बुझा पाने के कारण S विजयन ने उससे बदला लेने की ठानी और इस मामले में ISRO के वैज्ञानिकों को भी घसीट लिया।

मरियम रशीदा को 2 बार गिरफ्तार किया गया था और उनके वीजा व श्रीलंका जाने का टिकट भी पुलिस ने रख लिया था, 27 मार्च, 2024 को CBI ने दायर की गई चार्जशीट में ये बताया है। मरियम रशीदा को 1994 में एक बार 20 अक्टूबर और फिर उनकी कस्टडी खत्म होने से 1 दिन पहले 13 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उनके व्यक्तिगत संपर्कों के आधार पर उनके जासूस होने की बात कही गई। विजयन ने कहानी बनाई थी कि रूटीन चेक के दौरान उसे मरियम रशीदा पर शक हुआ था, और वो होटल में रुकने फिर किराए के घर में रहने के लिए आ रहे पैसे के स्रोत के बारे में नहीं बता पाईं।

जबकि सच्चाई ये थी कि वीजा की अवधि बढ़ाने के किए खुद मरियम रशीदा पुलिस के पास गई थीं। फिर S विजयन उसके घर पहुँचा और जबरदस्ती की, लेकिन सफल न हो पाने के बाद वो बदला लेने के लिए अड़ गया। विजयन उसके होटल वाले कमरे और फिर घर में भी गया था। उसके साथ रह ही फौजिया को उसने बाहर भेज दिया था। विजयन ने उनका वीजा रख लिया था, ऐसे में उन्हें भारत में रुकना पड़ा और इसे ही आधार बना कर विजयन ने FIR दायर करवाई।

इसमें सबसे पहले ISRO के वैज्ञानिक D शशिकुमारन को फँसाया गया। वो ‘लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर’ (LPSC) से जुड़ा हुआ था। VR राजीवन तब पुलिस कमीशन थे। IB को सूचित किया गया, लेकिन उसे जासूसी वाली कोई बात मिली ही नहीं। विजयन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि दोनों महिलाएँ भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के खिलाफ काम कर रही थीं, जिससे पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते भी खराब होंगे। असिस्टेंट पुलिस प्रॉसिक्यूटर हबीब पिल्लई की सलाह के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई, लेकिन पिल्लई ने इसे नकार दिया।

इसमें IB के कुछ अधिकारियों ने भी केरल पुलिस का साथ दिया। CBI ने IB द्वारा दायर की गई 4 रिपोर्ट्स को देखा, लेकिन किसी पर भी हस्ताक्षर नहीं था। किसी भी गवाह के बयान के नीचे उसका हस्ताक्षर नहीं था। गवाहों के बयान के न सिर थे न पाँव। केरल पुलिस की 16 नवंबर, 1994 की डायरी में लिखा गया कि मरियम रशीदा और फौजिया D शशिकरण के अलावा बेंगलुरु में रूस की स्पेस एजेंसी ग्लावकोस्मोस के एजेंट K चंद्रशेखर से संपर्क में थीं।

‘बहुमूल्य सूचनाएँ’ बाहर भेजने का आरोप लगाया गया, लेकिन बताया नहीं गया कि वो कौन सी सूचनाएँ थीं। खुद नम्बी नारायणन व अन्य वैज्ञानिकों के बयान पुलिस ने खुद से गढ़े। क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर S जोगेश ने नम्बी नारायणन को गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्होंने CBI को बताया कि उन्हें पूछताछ के दौरान आसपास भी नहीं फटकने दिया गया। SIT के मुखिया सिबी मैथ्यूज ने उन्हें नम्बी नारायणन का टाइप किया हुआ बयान सौंपा, जिस पर उन्हें सिर्फ सिग्नेचर करना था।

CBI की चार्जशीट में कहा गया है कि केरल पुलिस और IB अधिकारियों को ये पूरी तरह पता था कि जासूसी के आरोपों के पक्ष में सबूतों का अभाव था और पूछताछ रिपोर्ट की विषय-वास्तु भी आधारहीन थी, फिर भी गिरफ़्तारी के लिए इन्हीं चीजों का इस्तेमाल किया गया। बेंगलुरु के एक सुधीर शर्मा नामक लेबर कॉन्ट्रैक्टर को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2021 में जैन कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल पुलिस के 11 और IB के 7 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए कहा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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