कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेप-मर्डर की शिकार हुई डॉक्टरों के परिजनों ने बताया है कि उनकी बेटी को उन्हें तीन घंटे तक देखने भी नहीं दिया गया, जबकि उन्हें शुरुआत में ये सूचना दी गई थी कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। उन्हें अस्पताल के बाहर ही रोके रखा गया और सिर्फ पिता को ही तीन घंटे बाद अंदर ले जाया गया, जहाँ उन्हें एक सिर्फ तस्वीर ही खींचने दी गई। बेटी का पैर 90 डिग्री मुड़ा हुआ था, ऐसा सिर्फ तब होता है, जब पेल्विक गर्डल टूटा हो। इस बीच, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी है, साथ ही निर्देश भी दिए हैं कि एक भी सबूत बर्बाद न होने पाए।
पीड़ित परिवार ने अस्पताल प्रशासन पर खड़े किए सवाल
लल्लनटॉप की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित परिवार का कहना है कि हॉस्पिटल अथॉरिटी ने उन्हें फोन करके कहा कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। फिर जब वे हॉस्पिटल में शव देखने पहुँचे…उन्हें अस्पताल के बाहर तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा।
एक रिश्तेदार ने बताया, “तीन घंटे तक माँ-बाप रोते रहे, लेकिन उन्हें बच्ची को देखने अंदर नहीं जाने दिया। तीन घंटे बाद… पिता को अंदर जाने, बेटी का शव देखने की अनुमति दी। बेटी की केवल एक तस्वीर क्लिक करने की अनुमति दी गई जिसे उन्होंने बाहर आने पर हमें दिखाया। उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। उसके पैर 90 डिग्री अलग-अलग थे। ऐसा तब तक नहीं हो सकता जब तक कि पेल्विक गर्डल टूट न जाए। इसका साफ मतलब है कि वह दो भागों में एकदम चीर दी गई थी।”
पीड़ित परिवार ने बताया कि बेटी का चश्मा टूटा हुआ था। ये ही शीशे उसकी आंखों में घुस गए थे। उसे गला घोंटकर मारा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी आँखों में चोट की वजह सीसे का घुसना बताया गया है, जो चश्मे का हिस्सा था। उन्होंने बताया, “चश्मे को कूटा गया, जिसकी वजह से आँखों से खून निकल गया।”
हॉस्पिटल में मौजूद एक रिश्तेदार ने बताया, “माँ जोर-जोर से रो रही थी। जब मैं वहाँ गया तो उन्होंने मुझे गले लगाया और रोते हुए कहा कि सब कुछ खत्म हो गया है। उन्होंने मुझे बताया कि अस्पताल ने उनसे कहा है कि बेटी ने आत्महत्या कर ली है।” सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट कहती है कि आरजी कर अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन विंग के सहायक अधीक्षक ने सबसे पहले पीड़िता के परिवार को घटना के बारे में सूचित किया।
बता दें कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि गला घोंटने के कारण उसकी थायरॉयड कार्टिलेज टूट गई थी और उसके निजी अंगों में गहरा घाव पाया गया था। उसके पेट, होठों, उंगलियों और बाएँ पैर पर चोट के निशान पाए गए। आँख में चश्मे का सीसा घुस गया था, क्योंकि रेप के समय उसके चेहरे पर चोट पहुँची थी। पीड़िता की नाक और मुँह को दबाया गया था और उसे चीखने से रोकने के लिए उसके सिर को दीवार से टक्कर मारी गई थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महिला की दोनों आँखों, मुँह और गुप्तांगों से खून बह रहा था।
गौरतलब है कि गुरुवार-शुक्रवार (8-9 अगस्त 2024) की रात 3-5 बजे के बीच डॉक्टर की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले को दबाने का आरोप लगाया गया। शुरुआत में मृतक डॉक्टर के माता-पिता को आत्महत्या की सूचना दी गई थी, लेकिन विरोध-प्रदर्शन के बाद इस मामले ने बड़ा तूल ले लिया। इस मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी है, जिसने अपनी जाँच शुरू कर दी है।
सीबीआई ने इस मामले में एक बार फिर से एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई कोई मामला हाथ में लेती है, तो अपनी तरफ से एफआईआर दर्ज करती है। इस बीच, फॉरेंसिक एक्सपर्ट और डॉक्टरों की टीम कोलकाता पहुँची है और जाँच शुरू कर चुकी है। सीबीआई की टीम पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने से लेकर घटनास्थल तक का मुआयना करेगी। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अस्पताल प्रशासन पीड़ित या उसके परिवार के साथ नहीं था। अदालत ने कहा, “यह मामला एक अनोखा मामला है। इसमें और समय बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना हो सकती है।”