वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाए गए ज्ञानवापी विवादित ढाँचे की अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी पर मुस्लिमों के बुनकर समाज ने घोटाले का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ज्ञानवापी की 31 बिस्वा जमीन थी, जो अब 10.5 बिस्वा ही रह गई है। ऐसे में बाकी जमीन कहाँ गई यह कमिटी को बताना चाहिए।
लोहता निवासी बुनकर मुख्तार अहमद अंसारी का कहना है कि साल 1883 के रेवेन्यू रिकॉर्ड में ज्ञानवापी की जमीन 31 बिस्वा थी। कमीशन की हालिया कार्रवाई में ज्ञानवापी की जमीन 10.5 बिस्वा ही बताई गई है। इसलिए बाकी जमीनों के बारे में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी स्पष्ट करे। इस ज्ञानवापी मामले में पक्षकार बनने के लिए अंसारी ने जिला जज के यहाँ प्रार्थना पत्र दिया है।
अंसारी ने कहा कि बाकी के 20 बिस्वा जमीन का जिक्र कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि राखी सिंह सहित पाँच महिलाओं ने माता शृंगार गौरी मामले को लेकर मुकदमा दाखिल किया उसमें आराजी संख्या (रेवेन्यू रिकॉर्ड का नंबर) 9130 का जिक्र किया गया है, लेकिन रकबा (क्षेत्रफल) का उल्लेख नहीं किया गया।
अंसारी के अनुसार, ज्ञानवापी के पास कुल 14,000 वर्ग फीट जमीन थी। इसका बता लगाने के लिए वह नगर निगम गए। उसके बाद वक्फ बोर्ड गए। अंत में उन्होंने रेवेन्यू ऑफिस से 1883 का नक्शा निकलवाया।
दैनिक भास्कर के अनुसार, इस संबंध में अंसारी ने कमिटी से पूछा, “जो बात अवाम को बतानी चाहिए, वह आप लोग बताते नहीं हैं। जो नहीं बताना चाहिए, वह बताते हैं। उन लोगों को हमारी बात बहुत खराब लगी और हमें गद्दार कहा। कहा गया कि भाजपा वालों से पैसा लेकर सवाल कर रहे हो। इसके अलावा भी हमें अनाप-शनाप कहा गया।”
अंसारी के आरोपों को मसाजिद कमेटी ने बेबुनियाद बताया और कहा कि अंसारी 1883 के जिस खसरे की बात कर रहे हैं, उसमें बदलाव हुआ है। साल 1937 में कोर्ट में जितनी जमीन का जिक्र है, उतनी ही जमीन कमेटी के पास है।
बुनकर अंसारी के आरोपों को लेकर मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन कहा कि ज्ञानवापी परिसर में जितनी बैरिकेडिंग है, उतनी ही जमीन उनके पास है। उन्होंने कहा कि कमेटी के पास ज्ञानवापी परिसर में 2,500 वर्ग फीट से ज्यादा का एक प्लॉट है। इसके अलावा, परिसर में ही 1,400 वर्ग फीट का एक और प्लॉट कमेटी के पास है। यासीन ने बताया कि परिसर में स्थित 1,700 वर्ग फीट के एक अन्य प्लॉट को आपसी सहमति से मंदिर प्रशासन से बदला गया है।
यासीन ने कहा कि 100 साल पहले की वह बात नहीं बता सकते। मस्जिद की जमीन वर्ष 1937 में ही सिकुड़ गई थी। अंसारी जिस जमीन की बात कर रहे हैं, उसके बारे में वही बता सकते हैं। उनके सारे आरोप निराधार हैं। हालाँकि, अंसारी कमेटी की बातों से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे सच बोल रहे तो कागज दिखा दें।