एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की शनिवार (12 अक्टूबर 2024) को मुंबई में हत्या कर दी गई। बाबा सिद्दीकी को 6 गोलियाँ मारी गई, जिसमें से तीन उन्हें लगी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया। बाबा सिद्दीकी को मुंबई की राजनीतिक और फिल्मी दुनिया में अपने कनेक्शनों की वजह से जाना जाता था। वो कॉन्ग्रेस पार्टी से 3 बार विधायक और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रहे थे। बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में 2 हमलावर पकड़े गए, जो हरियाणा और यूपी के रहने वाले बताए जा रहे हैं। इनकी पहचान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शूटरों के तौर पर हुई है।
लॉरेंस बिश्नोई का नाम आज भारत में अपराध और गैंगस्टरों की दुनिया में बहुत ऊपर आ चुका है। वह एक ऐसे गैंगस्टर के रूप में उभरा है, जिसने न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने आपराधिक साम्राज्य का विस्तार किया है। उसकी कहानी एक साधारण पुलिस कॉन्स्टेबल के बेटे से शुरू होती है, जो अंततः भारत का सबसे खतरनाक अपराधी बन गया। इस रिपोर्ट में लॉरेंस बिश्नोई के जीवन, उसकी आपराधिक गतिविधियों और उसके गिरोह के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।
लॉरेंस बिश्नोई की शुरुआती जिंदगी और पढ़ाई-लिखाई
लॉरेंस बिश्नोई का जन्म 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उसके पिता हरियाणा पुलिस में कॉन्स्टेबल थे, जो 1992 में पुलिस में शामिल हुए थे, लेकिन कुछ साल बाद नौकरी छोड़कर खेती करने लगे। बचपन में लॉरेंस का सपना था कि वह एक बड़ा अधिकारी बने। उसकी माँ को भी उम्मीद थी कि उनका बेटा उच्च शिक्षा प्राप्त कर एक सफल व्यक्ति बनेगा। लॉरेंस ने पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की और चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। लेकिन उसकी जिंदगी तब बदल गई जब वह कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में हार गया।
छात्र राजनीति से अपराध की दुनिया तक का सफर
कॉलेज चुनाव में हार ने लॉरेंस के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। हार का अपमान वह सहन नहीं कर पाया और उसने अपराध की दुनिया की ओर कदम बढ़ा दिया। इस दौरान उसने छात्र राजनीति के माध्यम से गोल्डी बराड़ से मुलाकात की, जिसने उसे अपराध की दुनिया में खींच लिया। लॉरेंस के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उसने अपना पहला अपराध 2011 में चंडीगढ़ में किया, जब एक लड़ाई के दौरान उसने गोली चला दी। इसके बाद उसके खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज हुई और यहीं से उसका आपराधिक सफर शुरू हो गया।
लॉरेंस की खतरनाक गैंग, कई हाई-प्रोफाइल मामलों में आया नाम
लॉरेंस बिश्नोई ने धीरे-धीरे अपना गिरोह खड़ा करना शुरू किया। उसका सबसे करीबी सहयोगी संपत नेहरा था, जो एक पुलिस इंस्पेक्टर का बेटा था और एक बेहतरीन एथलीट भी था। लॉरेंस की खासियत यह थी कि वह खुद कभी हिटमैन नहीं बना, बल्कि उसने अपने गिरोह के लिए शार्प शूटरों को शामिल किया। बिश्नोई का गैंग उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में सक्रिय है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। उसके गैंग में लगभग 700 से ज्यादा शार्प शूटर शामिल हैं, जो उसकी हर योजना को सफल बनाने में सक्षम हैं।
लॉरेंस बिश्नोई का नाम उस समय चर्चा में आया जब उसने 2018 में बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी। उसने अपने साथी संपत नेहरा को मुंबई भेजा, ताकि वह सलमान खान को मार सके। हालाँकि, नेहरा को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया, जिससे यह योजना नाकाम हो गई।
सलमान खान को धमकी और बाबा सिद्दीकी पर हमले का कनेक्शन?
लॉरेंस बिश्नोई की सलमान खान से दुश्मनी का कारण 1998 का काले हिराण के शिकार का मामला है, जिसमें सलमान आरोपित थे। बिश्नोई समुदाय ब्लैकबक को पवित्र मानता है और इसी के चलते बिश्नोई ने सलमान को जान से मारने की धमकी दी थी। सवाल उठता है कि क्या बाबा सिद्दीकी की हत्या का संबंध सलमान खान से उनकी नजदीकी के कारण है? बाबा सिद्दीकी और सलमान खान के अच्छे संबंध किसी से छिपे नहीं थे। यह भी संभव है कि लॉरेंस बिश्नोई ने बाबा सिद्दीकी को सलमान खान से नजदीकी के कारण टारगेट किया हो, हालांकि पुलिस की जाँच अभी इस दिशा में स्पष्ट निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।
इसके अलावा, लॉरेंस का नाम पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में भी आया। 2022 में मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह ने ली। यह हत्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में रही। इसके बाद से ही लॉरेंस और उसके गिरोह पर कानून का शिकंजा कसता चला गया।
सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बढ़ाया दबदबा
लॉरेंस बिश्नोई का एक और अहम पहलू उसकी सोशल मीडिया पर सक्रियता है। जेल में रहते हुए भी उसने सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने डर और आतंक को फैलाने के लिए किया। वह अक्सर अपने गैंगस्टर जीवन की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करता था, जिससे उसकी छवि और भी डरावनी हो गई। फेसबुक और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उसकी बढ़ती लोकप्रियता ने उसकी अपराधी छवि को और मजबूत किया। इसके माध्यम से वह नई भर्तियों को आकर्षित करता और अपना आपराधिक नेटवर्क फैलाता था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपराधिक साम्राज्य
लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार विदेशों तक फैले हुए हैं। उसके करीबी सहयोगी गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा जैसे अपराधी विदेश से बैठकर भारत में अपराधों को अंजाम देते हैं। लॉरेंस का गैंग न केवल रंगदारी और हत्या जैसे अपराध करता है, बल्कि अवैध हथियारों की तस्करी, फिरौती, और अन्य संगठित अपराधों में भी शामिल है। उसके गैंग का नेटवर्क इतना मजबूत है कि जेल में रहते हुए भी वह अपने गैंग को कंट्रोल करता है और नए अपराधों की योजना बनाता है।
आतंकवाद के भी आरोप, UAPA का केस
लॉरेंस बिश्नोई के खालिस्तानी समर्थकों और आईएसआई से संबंधों की भी जाँच हो रही है। उसकी गतिविधियों पर नजर रखने वाली राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने उसके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किए हैं। इस आरोप के पीछे की वजह यह है कि बिश्नोई के गिरोह के लोग खालिस्तानी समर्थक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही उसके आईएसआई से भी संबंध होने के आरोप लगे हैं, जो भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।
लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह की सबसे बड़ी खासियत है कि उसके पास एक मजबूत नेटवर्क और पेशेवर शूटरों की टीम है। ये शूटर किसी भी बड़ी सुपारी को अंजाम देने में सक्षम होते हैं। लॉरेंस की खासियत यह है कि वह जेल में रहते हुए भी अपना अपराधी साम्राज्य चला रहा है। वह कई छोटे गिरोहों के साथ मिलकर बड़े अपराधों को अंजाम देता है, जो उसके गिरोह को और भी खतरनाक बनाता है।
जुर्म की दुनिया का बड़ा नाम
लॉरेंस बिश्नोई का जीवन अपराध और हिंसा से भरा रहा है। वह एक साधारण कॉलेज स्टूडेंट से लेकर भारत के सबसे खतरनाक गैंगस्टर के रूप में उभरा है। उसकी कहानी यह दिखाती है कि किस प्रकार एक साधारण इंसान अपराध की दुनिया में जाकर कितना खतरनाक बन सकता है। उसका गिरोह आज भी सक्रिय है, और भारतीय कानून व्यवस्था के लिए यह एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। उसकी गिरफ्तारी और जेल में बंद होने के बावजूद, उसका आपराधिक नेटवर्क देश और विदेश दोनों जगह सक्रिय है, जो यह साबित करता है कि वह जुर्म की दुनिया का एक बड़ा नाम बन चुका है।